Book Title: Agam 04 Samavao Angsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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एगुणतीसइमो समयाओ
२५
नामरस कन्परस नियमा एगूणतीसं उत्तरपीओ निबंधिता पेमाणिएसु देवेसु देवत्ताए उववज्र इसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्येगइयाणं नेरइयाणं एगूणतीसं पलिओ माई ठिई पन्नत्ता अहेसत्तमाए पुढवीए अत्येगइयाणं नेरइयाणं एगूणतीसं सागरोवमाई टिई पन्नता असुरकुमाराणं देवा अत्थेगइवाणं एगूणतीसं पलिओबमाई ठिई पन्नता सोहमीसाणेसु कप्पे देवाणं अथेगइयाणं एगूणतीसं पतिओवमाई ठिई पत्रत्ता उवरिम-मज्झिम- गेवेन्द्रयाणं देवाणं जहन्नेणं एगूणतीसं सागरोवमाई टिई पत्रत्ता जे देवा उवरिम- हेट्ठिम- गेवेज्जयविमाणेसु देवत्ताए उबवण्णा तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं एगूणतीसं सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता ते णं देवा एगुणतीसाए अद्धमासेहिं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा तेसि णं देवाणं एगूगतीसारा वाससहरसेहिं आहारट्टे समुप्पाइ संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे एगुणतीसाए भवग्गहणेहिं सिज्झिस्सति । वुन्झिस्संति मुचिस्संति परिनिव्वाइस्संति] सव्यदुक्खाणमंतं करिरसंति 1२९1-29
एगजतीसइमो समय सपत्तो तीसइमो-समवाओ
(६४) तीसं मोहणीयठाणा पन्नत्तां ( तं जहा ) - 1३०-१1-30-1 (६५) जे यावि तसे पाणे वारिमज्झे विगाहिया उदरणं कम्म मारेइ महामोहं पकुव्वइ (६६) सीसावेढेण जे केई आवेढेइ अभिक्खणं तिच्यासुभसमायारे महामोहं पकुव्वाइ (६७) पाणिणा संपिहित्ताणं सोयभावरिय पाणिणं अंतोनदतं मारेई महामोहं पकुब्वइ (६८) जायतेयं समारब्भ वहुं ओरंभिया जणं तोधूमेणं मारेई महामोहं पकुव्वइ (६९) सिसम्मि जे पहणइ उत्तमंगम्मि चेयसा विभज मत्थवं फाले महामोहं पकुव्वइ ( ७० ) पुणो पुणो पणिहिए हणित्ता उवहसे जणं फलेणं अदुव दंडेणं महामोहं पकुव्वइ (७१) गूढायारी निगूहे मार्च मायाए छायए असवाई निण्हाई महामोहं पकुव्वइ (७२) धंसेइ जो अभूएणं अकम्पं अत्तकम्पुणा अदुवा तुम कासिति महामोहं पकुव्वइ (७३) जाणमाणो परिसओ सच्चमोसाणि भासइ अज्झणझंज्ञे पुरिसे महामोहं पकुव्वइ अणायगस्स नयवं दारे तस्सेवं धंसिवा विउलं विक्खोभइत्ताणं किया णं पडिबाहिरं (७५) उवगसंतंपि पित्ता पडिलोमाहिं वग्गुि भोगभोगे विचारेई महामोहं पकुव्वइ
(७४)
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113911-1
॥२२॥1-2
॥२३॥-3
३२४॥1-4
॥१२५॥-5
॥२६॥1-6
॥२७॥-7
१२८॥ 8
॥२९॥-9
॥३०॥-10
11391-11

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