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आचाका
उत्तरः-धर्मकथाना अवसरमां, मा-तेओए केवो धर्म कसो ? एवी शंका दूर करवा कहे . 'समिय' समता एटले, & मित्रमा समभाव राखचो; तेनावडे आर्योए धर्म कहेलो छे. कबुं छे के:
सूत्रम् ॥५७९॥ जो चंदणेण बाई, आलिंपइ वासिणाव तच्छेति । संथुणइ जोअर्णिदति, महेसिणो तत्थ समभावा ॥१॥ ॥५७९॥
जे कोइ भक्तिथी मुनिने भुजा उपर चंदननो लेप करे, अथवा बांसलाथी चामडी छोले, अथवा कोई स्तुति करे, कोई निंदे, तो पण ते मुनि बधा जीवो उपर समभाव राखे छे. (तेज महर्षि छे) अथवा आर्य एटले देशथी भाषाथी के उत्तम आचरणी तेओ & आर्य (सुधरेला) छे, ते वधा उपर भगवाने समभाव राखी उपदेश आपेलो छे. तेज कधु, छे के:
जहा पुण्णस्स करथइ, तहा तुच्छस्स कत्थइ-विगेरे
जेम पुण्यवानने धर्म संभळावे, तेम तुच्छने पण धर्म संभलावे अथवा शमि (शम शांतिधारक) नो भाव ते शमिता ते शांत हदय राखीने बधा हेय धर्म (कुरीवाजा) ने त्यागवाथी आर्य बनेला तेमणे प्रकर्षथी अथवा प्रथमथी आ धर्म को छे अर्थात् पांचे इन्द्रियो तथा मनने कबजे करवा वडे (केवळझान मत करी) तीर्थकरोए धर्म कहो. ठीक एम हशे, तेवीरीते बीजामओए पण पोताना अभिप्राय प्रमाणे धर्मो कया छेज, आवी शंका थाय, ते दूर करवा आचार्य कहे छे, के तेम नहीं. आ धर्म भगवानेज कयो /छे, ते कहे थे, 'जहेत्य' विगेरे देवता अने मनुष्यनी सभामां भगवाने आ प्रमाणे का, जेम में अहीं मान विगेरे मोक्ष संधि 8 | (अवसर) सेवन कर्यो के, अथवा आ शानदर्शन चारित्ररूप मोक्षमा मां अथवा समभावरुपमा तथा इन्द्रिय नोइन्द्रियना उपशममा में हैं।
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