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15 वाल चणादि अथवा अल्प आहार ले, ते पण विगइ रहित लुखो ले, आयो आहार कोण ले ? वीर पुरुषो कर्म विदारण करवाने 21 समर्थ होय तेवा, वळी ते केवा छे ? सम्यक्त्वदर्शियो अथवा समत्वदर्शिओ छे, अने जे तुच्छ लुखो आहार खानारो छे, तेने शृंद
सूत्रम् गुण थाय ते कहे छे के, उपर बतावेल उत्तम गुणवाळो भावौध (संसार) ने तरे छे, कोण तरे ? मुनि होय ते, (अने तेवा गुण ॥५९०॥ धारण करावथी) हमणाज वर्तमानकाळमां तीर्ण (तर्या जेदो)ज छे, अने ते बाह्य अभ्यंतर संगना अभावथी मुक्त जेबोज छे. ५९०॥
मा-आवो कोण छ ? उ:-जे सावध अनुष्ठानथी विरत होय ते. आ प्रमाणे बतान्यो सुधर्मास्वामी कहे छे के में एम है भगवान महावीर पासे सांभळ्यु ते तमने कबु.
॥ लोकसारअध्ययनमां त्रीजो उद्देशो समाप्त थयो । हDAOS
चोथो उद्देशो. हवे चोथो उद्देशो को छे, तेनो संबन्ध आ प्रमाणे छे, पहेला उद्देशामां हिंसा करनार विषयारंभ करनार एकलविहारी होय || तो पण तेने मुनिखनो अभाव घतान्यो, पण बीजा अने श्रीजामां तो हिंसा अने विषयारंभ तथा परिग्रह छोडवावडे साधपणं छे, & तथा हिंसा करनार परिग्रहधारीना दोषो वताव्या. अने तेनाथी विरत (मुक्त) होय तेज मुनि छे, एम बताव्यु. अने आ चोथा
शामा एकला फरनाराने मुनिपणानो अभाव छे, तेथी तेनो दोषी बताववावडे कारणो कहे . आ प्रमाणे संबन्धथी आवेला| चोथा उद्देशानुं आ पहेलुं मूत्र :
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