Book Title: Acharang Sutram Part 04
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
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________________ MES बारह व्रतधारी तपस्वी रत्ना श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन (श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी हिन्दी टीका) ଉତ୍ତରର आपने अपने जीवन का मुख्य लक्ष्य देव गुरु धर्मकी उपासना आराधना अर्चना का रखते हुवे जीवन को व्रत-नियम में रखने के निर्णयसे बारहव्रतधारण करके उत्कष्ट तपस्या में लगाने के उद्देश्य से 12 वर्षीतप, मासक्षमण, श्रेणीतप, सिद्धि तप तीनो उपधान महातप, 100 आयम्बिल, अट्ठाई, अहम, छड उपवास आदि विविध तपोसे आत्मभाव निर्मल करती हुई जीवन चर्या धर्माराधनामे ही व्यतीत करना लक्ष रहा है आपके तीनो पुत्र महावीर, धरणेन्द्र व यतीन्द्र पुत्री अ. सौ. विद्यादेवी व पुत्रवधुए मधुबाला, मैना,सुशीला, एवं पौर श्रेयांस, अजित, श्रेणिक, पक्षाल, अनंत, एवं पौत्री हेमलता, हीना, अनीला, प्रीती आदि धर्मराधना मे सहभागी बनी रहती है। आपका जीवन दीर्घजीवी होकर देवगुरुकीसेवाभक्तिसह तपस्या निर्विघ्नतासे होतीरहेयहीशुभाकांक्षा। श्रीमतीसुखीबाई शांतिलाल मुथा'. आहोर (राजस्थान)