Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 02
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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- उत्तराध्ययन 7/29 क्षमा, मार्दव आदि समस्त धर्मों का परिपालन करने वाले धीरपुरुष की धीरता को देखो। 204 मूर्योपदेश -
उपदेशो हि मूर्खाणां, प्रकोपाय न शान्तये । पयःपानं भुजङ्गानां केवलं विषवर्द्धनम् ॥
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 2 पृ. 887]
- हितोपदेश 1/4 मूों को दिया गया उपदेश प्रकोप के लिए होता है, शान्ति के लिए नहीं । सर्यों को दूध पिलाना मात्र उनके विष का वर्धन करना ही है। 205 मद्यपान-दुर्गुण
विवेकः संयमोज्ञानं, सत्यं शौचं दया क्षमा । मद्यात् प्रलीयते सर्वं, तृण्या वह्निकणादिव ॥
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 2 पृ. 928]
- योगशास्त्र - 346 जैसे आग की चिनगारी से घास का ढेर जलकर भस्म हो जाता है वैसे ही मदिरापान से विवेक, संयम, ज्ञान, सत्य, शौच, दया और क्षमा आदि सभी गुण नष्ट हो जाते हैं। 206 मद्य से हानि मज्जं दुग्गइ मूलं हिरि सिरि मइ धम्म नासकरं ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 2 पृ. 928]
- धर्मसंग्रह - 2/12 ___ मद्य दुर्गति का मूल है, क्योंकि इससे लज्जा, लक्ष्मी, मति और धर्म का नाश होता है। 207 अहंकार सूरं मन्नति अप्पाणं जाव जेतं न पस्सति ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 2 पृ. 1050] - सूत्रकृतांग 1AAN
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-2 • 108