Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 02
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora

View full book text
Previous | Next

Page 143
________________ सक्ति 129 बाल - स्त्री - मूढ - मूर्खाणां नृणां चारित्रकाङ्क्षिणाम् । अनुग्रहार्थं तत्त्वज्ञैः, सिद्धान्तः प्राकृतः कृतः ॥ 2 177 बालस्स मंदयं बितियं जं च कडं अवजाणई भुज्जो । दुगुणं करेइ से पावं, पूयण कामए विसण्णेसी || 2 बि 148 बिभेषि यदि संसारान् मोक्ष-प्राप्तिं च काङ्क्षसि । तदेन्द्रिय जयं कर्तुं स्फार पौरूषम् ॥ 31 भ 2 10 भवकोटिभिरसुलभ, मानुष्यं प्राप्य कः प्रमादो मे । न च गतमायुर्भूयः, प्रेत्यत्यपि देवराजस्य भट्ठायारो सूरी ! भट्ठायाराणुवेक्खओ सूरी । उम्मग्गओ सूरी तिणिविमग्गं पणासंति ॥ म 206 मज्जं दुग्गइमूलं हिरि सिरि मइ धम्म नासकरं । 244 मच्चुणाब्भाहओ लोगो, जराए परिवारिओ । अभियान राजन काम श्रम मा 167 मात्रा स्वस्रा दुहित्रावा न विविक्तासनो भवेत् । 200 माणुसत्तं भवे मूलं, लाभो देवगई भवे । मूलच्छेदेण जीवाणं, नरगतिरिक्खत्तणं धुवं ॥ 225 मातण्णे असणपाणस्स । मि 119 मित्ति मे सव्वभूएस, वेरं मज्झ ण केणइ । मु 191 मुसावयं विवज्जेज्जा । 2 597 2 2 2 2 2 2 2 2 512 629 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-2 • 135 11 135 335/336 928 1189 625 882 1083 432 652

Loading...

Page Navigation
1 ... 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198