Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 02
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora

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Page 145
________________ समा 888633998233988979838 N वा 171 वाया वीरियं कुसीलाणं ।। 2 627 183 वाउ व जालमच्चेति, पिया लोगंसि इथिओ। 2 641 वि 3 विणया णाणं, णाणाउ दंसणं दंसणाहिं चरणं तु। चरणाहिं तो मोक्खो मुक्खे सुक्खं अणाबाहं ॥ 2 8 विनयफलं शुश्रूषा, शुश्रूषाफलं ज्ञानं । ज्ञानस्य फलं विरति, विरति र्फलं चास्रव निरोधः ॥ संवरफलं तपोबलमथ, तपसो निर्जरा फलं दृष्टम् । तस्मात्क्रिया निवृत्तिः क्रिया निवृत्तेरयोगित्वम् ।। योगनिरोधाद् भवसन्ततिक्षयः सन्ततिक्षयान्मोक्षः । तस्मात् कल्याणानां सर्वेषां भाजनं विनयः ॥ 28 38 विहडइ विद्धंसइ ते सरीरयं, समयं गोयम ! मा पमायए। 2 174 92 विहिणा जो उ चोएइ, सुत्तं अत्थं च गाहई। सो धन्नो सो अ पुण्णो अ, सबंधू मुक्खदायगो॥ 2 334 131 विषया विनिवर्तन्ते, निराहारस्य देहिनः । रसवर्ज रसाऽप्येवं, परं दृष्टवा निवर्तते ॥ 2 205 विवेकः संयमोज्ञानं, सत्यं शौचं दया क्षमा । मद्यात् प्रलीयते सर्वं, तृण्या वह्निकणादिव ।। वी 65 वीरभोग्या वसुन्धरा । 548 928 207 147 वृद्धास्तृष्णाजलाऽपूर्ण रालवालैः किलेन्द्रियः । मूर्ध्वमतूच्छं यच्छन्ति, विकार विषपादपाः ॥ 2 597 237 वेया अधीया ण भवंति ताणं ॥ 187 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-2 . 137

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