Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 02
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora

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Page 154
________________ समकारक 96 07 49 244 99 09 1008 101 10242 103 56 104 105 162 106 48 107 255 108 84 109 163 110 111 52 112 112 113 15 114 115 128 116 165 117 118 234 चेतना-शक्ति जराभिशाप जरा-मरण जिणवाणी-सार जीवन-प्रिय जीवन कामना ढलती आयु में मूढ़ । तबतक गुरु सेवा तप का फल तीन अदृश्य तुर्यावस्था में क्या करेगा? दह्यमान संसार दारूण-भ्रान्ति देव के लिए भी असंभव दोहरी मूर्खता 177 द्रुतगामी द्विविध बन्धन धर्म निवास 50 धर्म 196 119 239 120 252 121 253 धर्मोपदेश - पद्धति धर्मवीर धर्म का लक्षण धन की खोज में प्रमत्त पुरुष धर्म धुरा धन से रक्षा नहीं धर्म ही रक्षक धिक्-धिक जरा धीर का धैर्य धीरे चलो नारी-रक्षा नारी-पंक नारी नेह दुस्तर निर्भय साधक 122 47 123 203 229 124 125 46 151 126 127 186 128 19 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-2 . 146

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