Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 02
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora

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Page 197
________________ राजेन्द कोष - 'अभिधान राजेन्द्र कोष' : एक झलक विश्वपूज्य ने इस बृहत्कोष की रचना ई. सन् 1890 सियाणा (राज.) में प्रारम्भ की तथा 14 वर्षों के अनवरत परिश्रम से ई. सन् 1903 में इसे सम्पूर्ण किया। इस विश्वकोष में अर्धमागधी, प्राकृत और संस्कृत के कुल 60 हजार शब्दों की व्याख्याएँ हैं। इसमें साढे चार लाख श्लोक हैं। इस कोष का वैशिष्ट्य यह है कि इसमें शब्दों का निरुपण अत्यन्त सरस शैली में किया गया है । यह विद्वानों के लिए अविरलकोष है, साहित्यकारों के लिए यह रसात्मक है, अलंकार, छन्द एवं शब्द-विभूति से कविगण मंत्रमुग्धहो जाते हैं । जन-साधारण के लिए भी यह इसी प्रकार सुलभ है, जैसे-रवि सबको अपना प्रकाश बिना भेदभाव के देता है। यह वासन्ती वायु के समान समस्त जगत् को सुवासित करता है। यही कारण है कि यह कोष भारत के ही नहीं, अपितु समस्त विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में उपलब्धहै। विश्वपूज्य की यह महान् अमरकृति हमारे लिए ही नहीं, वरन् विश्व के लिए वन्दनीय, पूजनीय और अभिनन्दनीय बन गई है। यह चिरमधुर और नित नवीन

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