Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 02
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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अभियान सनद माम
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पि 46 पिता रक्षति कौमारे-भर्ता रक्षति यौवने ।
पुत्राश्च स्थाविरे भावे, न स्त्री स्वातन्त्रमर्हति ॥
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144 पुरः पुरः स्फुर तृष्णा, मृग तृष्णाऽनुकारिषु ।
इन्द्रियार्थेषु धावन्ति, त्यक्त्वा ज्ञानाऽमृतं जडाः ॥ 2 153 पुव्वं दण्डा पच्छा फासा, पुव्वं फासा पच्छा दंडा। 2 181 पुत्रश्च मूर्को विधवा च कन्या,
शठं मित्रं चपलं कलत्रम् । विलासकालेऽपि दरिद्रता च विनाग्निना पञ्चदहन्ति देहम् ॥
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पं 151 पंकभूयाउ इथिओ। 223 पंथपेही चरे जयमाणे।
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48 प्रथमे वयसि नाधीतं, द्वितीये नार्जितं धनम् ।
तृतीये न तपस्तपं, चतुर्थे किं करिष्यति ।
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108 बहुपि ल« ण णिहे।
2 120 बत्तीसं किर कवलो, आहारो कुच्छिपूरओ भणिओ।
पुरिसस्स महिलाए, अट्ठावीसं भवे कवला ॥ 2 166 बलवानिन्द्रयग्रामो विद्वांसमि कर्षति। 2
(पंडितोप्यऽत्रमुह्यति) 175 बहुमायाओ इथिओ।
2 179 बद्धेय विसयपासेहिं मोहमागच्छती पुणो मंदे। 2
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ना
60 बाह्यात्मा चान्तरात्मा च परमात्मेति त्रय :।
कायाधिष्ठायक ध्येयाः, प्रसिद्धा योगवाङ्गमये ॥ 2 188
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-2 • 134
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