Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 02
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora

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Page 133
________________ HTRA 337 398 94 आचार्यस्यैवतत्जाड्यं, यच्छिष्यो नावबुध्यते । गावो गोपालकेनैव कुतीर्थेनावतारिताः ॥ 113 आरंभा विरमेज्ज सुव्वते। 122 आलोयणयाएणं उज्जुभावं जणयइ। 139 आहार पच्चक्खाणेणं जीविया संसप्पओगं वोच्छिदइ ।2 199 आसुरियं दिसं बाला, गच्छंति अवसातमं । 2 465 554 881 79 इष्टकाद्यपि हि स्वर्णं, पीतोन्मत्तो यथेक्षते । आत्माऽभेद भ्रमस्तद्वद् देहादावविवेकिनः ॥ 2 232 160 इच्चेए कलहा संगकर भवंति । 2 616 182 इथिओ जेण सेवन्ति आदिमोक्खा हु ते जणा। 2 641 184 इत्थीवसंगता बाला, जिण सासण परम्मुहा। 2 651 235 इमं च मे अत्थि इमं च नत्थि, इमं च मे किच्च इमं अकिच्चं तं एवमेवं लालप्पमाणं, हरा हरंति त्तिकहं पमाओ। 2 1187 432 573 616 118 उद्धरियं सव्वसल्लो आलोइय निदिओ गुरुसगासे । होइ अतिरेग लहुओ, ओहरिय भरोव्व ॥ 142 उपन्ने वा, विगमे वा धुवेति वा। 154 उब्बाधिज्जमाणे गामधम्मेहिं अविनिब्बलासए। 197 उदगस्स फासेण सिया य सिद्धि सिज्मंसु पाणा बहवे दगंसि। • 204 उपदेशो हि मूर्खाणां, प्रकोपाय न शान्तये । पयः पानं भुजङ्गानां केवलं विषवर्द्धनम् ॥ 2 797 2 887 21 एस खलु गंथे एस खलु मोहे एस खलु मारे एस खलु णरए। 2 30 27 एको भावः सर्वथा येन दृष्टः सर्वे भावाः सर्वथा तेन दृष्टाः । सर्वे भावा सर्वथा येन दृष्टाः, एको भावः सर्वथा तेन दृष्टः । 2 79 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-2 • 125

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