Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 02
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora

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Page 137
________________ 186 जहा नदी वेयरणी, दुत्तरा इह संमता । एवं लोगंसि नारीओ, दुत्तरा अमतीमता ॥ 202 जहा कुसग्गे उदगं समुद्देण समं मिणे । 2 एवं माणुस्सगा कामा, देवकामाण अन्तिए । 210 जहा रूक्खं वणे जायं मालया पडिबंधति । एवं णं पडिबंधंति, णातओ असमाहिणा || 220 जहा खलु मइलं वत्थं, सुज्झइ उदगाइएहिं दव्वेहिं । एवं भाववहाणे - ण सुज्झाए कम्ममट्ठविहं ॥ 248 जस्सऽत्थि मच्चुणा सक्खं, जस्स चऽत्थिपलायणं । जोजाइ न मरिस्सामि, सो हु कंखे सुए सिया || 2 2 जा 17 जसद्धाणिक्खतो तमेव अणुपालिया विजहित्ता विसोत्तियं । 231 जाया य पुत्ता न भवंति ताणं । 245 जा जा वच्चइ रयणी ण सा पडिनियत्तई । 254 जातस्य हि ध्रुवं मृत्युः 258 जावइया उस्सग्गा तावइया चेव हुंति अववाया । जावइया अववाया, उस्सग्गा तत्तिया चेव । जी 96 जहा विलिहतो, न भद्दओ सारणा जर्हि नत्थि । दण्डेण वि ताडतो, स भद्दओ सारणा जत्थ । 211 जीवितं नाहिकंखेज्जा, सोच्चा धम्म अणुत्तरं । जु 251 जुन्नो व हंसो पडिसोयगामी । 63 जे 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2 652 जे लोगं अब्भाइक्खति से अत्ताणं अब्भाइक्खति । जे अत्ताणं अब्भाइक्खति, से लोगं अब्भाइक्खति ॥ 2 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-2 • 129 883 1051 1076 1190 28 1187 1189 1192 1195 337 1051 1191 195

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