Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 02
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora

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Page 131
________________ अकारादि अनुक्रमणिका अभियानका 8888888888888888 180 62 195 231 23 अट्टेसु मूढे अजरामरव्व। 232 25 अवरेण पुव्वं ण सरंति एगे। 59 अहवा कायमणिस्स उ, सुमहल्लस्स वि उ कागणी मोल्लं। । वइरस्स उ अप्पस्स वि, मोल्लं होति सयसहस्सं ॥ 2 41 अप्पं च खलु आउं इहमेगेसिं माणवाणं। 2 176 अभिकंतं च खलु वयं संपेहाए ततो से एगया मूढभाव जणयंति। 176 53 अणभिकंतं च वयं संपेहाए । 179 55 अत्ताणं जो जाणति जोय लोगं । अणिदिय गुणं जीवं, दुज्जेयं मंस चक्खुणा । 64 अस्थि मे आया उववाइए से आयावादी, लोगावादी, . कम्मावादी, किरियावादी । 205 73 अरक्खिओ जाइपहं उवेई। 231 75 अप्पा खलु सययं रक्खियव्वो। 107 अलाभोत्ति न सोएज्जा। 128 अणुवीइ भिक्खू धम्ममाइक्खमाणेणो अत्ताणं, आसादेज्जा णो परं आसादेज्जा। 140 अहऽसेयकरी अन्नेसि इंखिणी। 155 अवि ओमोदरियं कुज्जा। 616 156 अवि उड्ढं ठाणं ठाएज्जा। 616 157 अवि आहारं वोच्छिदेज्जा। 616 158 अवि चए इत्थीसु मणं । 159 अविगामाणुगामं दूइज्जेज्जा । 616 163 अश्वप्लुतं माधवगजितं च, स्त्रीणां चरित्रं भवितव्यता च। अवर्षणञ्चाप्यतिवर्षणं च, देवो न जानाति कुतो मनुष्यः ।। 2 618 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-2 • 123 393 512 559 616

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