Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 02
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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मवार रात को सकिमाम 173 अविधूयराहिं सुण्हाहिं धातीहिं अदुवदासीहि ।
महतीहिं वा कुमारीहि संथवं से णेव कुज्जा अणगारे।2 627 174 अन्नं मणेण चिंतेति अन्नं वायाइ कम्मुणा अन्नं ।
तम्हाण सद्दहे भिक्खू, बहुमायाओ इथिओ णच्चा ॥2 628 185 अज्झोववन्ना कामेहिं पूयणा इव तरुणए। 2 651
अणागयमपस्सन्ता, पच्चुप्पन्नगवेसगा।
ते पच्छा परितप्पन्ति, झीणे आउम्मि जोव्वणे।। 192 अदिण्णा दाणाइ वोसिरे। 222 अहाकडं ण से सेवे।। 228 अहिंसमाणो धासमेसित्था ।
1087 234 अण्णप्पमत्ते धणमेसमाणे, पप्पोति मच्चुं पुरिसे जरं च ।
1187 241 अधम्मं कुणमाणस्स अफला जंति राइओ। 2 1189 243 अज्झत्थ हेउं निययऽस्स बंधो ।
1189 259 अतिरेगं अहिगरणं ।
2 1209
आ 28 आगमचक्खू साहू।
2 90 30 आणाए मामगं धम्म ।
2 131 34 आणं अइक्कमंते ते कापुरिसे न सप्पुरिसे। 2 135
335 35 आणाए च्चिय चरणं, तब्भंगे किं न भग्गं तु।। 2 137-138 36 आणा नो खंडेज्जा, आणाभंगे कुओ सुहं ? 2 138-141
आणा खंडणकरीय, सव्वंपि निरत्थयं तस्स। आणा रहिओ धम्मो, पलाल पुलुव्व पडिहाइ॥ 2 141
आतंकदंसी अहियंति णच्चा। 40 आयंकदंसी न करेति पावं।
2 175 59 आततो बहिया पास।
2. 186 आया हु महं नाणे, आया मे दंसणे चरिते य। 2। आया पच्चक्खाणे आया मे संजमे जोगे॥ अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-2 • 124
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