Book Title: Pratigyasutra
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 4002 TA Hi ha P For Private and Personal Use Only Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir XS3023 g ere DR pogo de 1 992 SA 40. 2 921 9 9 9999 yo 2.99 999 99 . 99 11372 gamaTFT:# 11 12 22822 O 66 866 6 0 06 266066 066 066d6ar &urg PARAME 256 Goon Soon Co do G 06 For Private and Personal Use Only Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्र.श्रीगणेशाय नमः॥ ॥श्रीमल्लक्ष्मीवेङ्कटेशाय नमः॥ // अथ प्रतिज्ञामन्त्रब्राह्मणयोर्वेदनामधेयं तस्मिञ्छुक्ले याजुषानाये मा / ध्यन्दिनीयके मन्त्रे स्वरप्रक्रिया हृद्यनुदात्तो मूर्युदात्तः श्रुतिम् / / लेस्वरितः एवं जात्यादयोभिहिता ब्राह्मणे तदात्तानुदात्तौ भा अषिकस्वारौता नस्वराणि छन्दोवत्सूत्राणि ॥१॥अथान्तस्थाना माद्यस्य पदादिस्थस्यान्यहलसंयुक्तस्य संयुक्तस्यापि रेफोमा त्याश्यामृकारेण चाविशेषेणादिमध्यावसानेषूचारणे जकारो KAAR*********OMKARMEktik For Private and Personal Use Only Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चारणं विर्भावेप्येवमथापरांतस्थस्यायुक्तान्यहलःसंयुक्तस्योष्म प्रकारे रेकारसहितोच्चारणमेवं तृतीयांतस्थस्य क्वचिकारस्यतु / Eसंयुक्तासंयुक्तस्याविशेषेण सर्वत्रैवमथान्त्यस्यान्तस्थानां पदादि / मध्यान्तस्थस्य विविधं गुरुमध्यमलघुवृत्तिभिरुच्चारणमथो / ईन्योष्मणोऽसंयुक्तस्य टुमृतेसंयुक्तस्य च खकारोच्चारणमध्य / यनादिकर्मस्वर्थवेलायां प्रकृत्या // 2 // अथानुस्वारस्य इत्यादे शः शषसहरेफेषु तस्य त्रैविध्यमाख्यातं -हस्वदीर्घगुरुभैदैर्दीर्घा HOMEMORE***ORAMGIOK KKKKK HEREKM For Private and Personal Use Only Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobarth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रत्परो -हस्वो हस्वात्परो दीर्घा गुरौ परेगुरुः परसवर्णेषत्प्रकृत्या . चान्यत्र विसर्गेष्वीषद्विरामः पदाद्यस्य संयुक्ताकारस्येषदीर्घता च अवतीषदीर्घता च भवति॥३॥ // इति कात्यायनपरि / शिष्टसूत्रं समाप्तम्॥ ॥श्रीरस्तु॥ KEMEMOIRMEMORRORCEMEMORRIORDERMENDMEMORE E For Private and Personal Use Only Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir // अथ यमनस्कपशिक्षाप्रारम्भः RESS ReseamlessNGORIDEOS For Private and Personal Use Only Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ** ***IMERIOMEN 3 MOKAMERICEMEN******** श्रीगणेशाय नमः॥ // अथातस्वैस्वर्यलक्षणंव्याख्यास्यामः // उदात्तश्चानुदात्तश्चस्वरितश्चतथैवच // लक्षणंवर्णयिष्यामिदैवतं / स्थानमेवच॥१॥ शुक्लमुच्चंविजानीयानीचंलोहितमुच्यते॥श्यामं / तुस्वरितविद्यादग्निमुच्यस्यदैवतम्॥२॥नीचेसोमंविजानीयात्स्व / रितेसविताभवेत्॥ उदात्तंबाह्मणंविद्यान्नीचंक्षत्रियमुच्यते॥३॥वै। श्यंतुस्वरितविद्याभारद्वाजमुदात्तकम् // नीचंगौतममित्याहुर्गा / ग्यचस्वरितंविदुः ॥४॥विद्यादुदात्तंगायत्रंनीचं त्रैष्टुभमुच्यते // *HREMOREME*MMMMM******* For Private and Personal Use Only Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirtm.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir E************************** जागतंस्वरितविद्यादतएवंनियोगतः॥५॥ गांधर्ववेदेयेप्रोक्ताःसा में तषड्जादयःस्वराः ॥तएववेदविज्ञेयाखयउच्चादयःस्वराः // 6 // उच्चौनिषादगांधारौनीचौऋषभधैवतौ // शेषास्तुस्वरिताज्ञेयाःष इजमध्यमपंचमाः // 7 // षड्जोवेदेशिखंडिः स्यादृषभः स्यादजा मुखे // गवारंअंतिगांधारंकौंचाश्चैवतुमध्यमम् // ८॥कौकिलापं / चमोज्ञेयोनिषादंतुवदेद्वजः॥ आश्वश्चधैवतोज्ञेयःस्वराःसप्तविधी / यते // 9 // निमेषमावःकालःस्याद्विद्युत्कालस्तथापरे॥ अक्षरा / For Private and Personal Use Only Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir या० तुल्ययोगाच्चमतिःस्यात्सोमशर्मणः॥ १०॥सूर्यरश्मिप्रतीकाशा शि० कणिकायत्रदृश्यते // अणवस्यतुसामात्रामात्राचचतुराणवा॥ // 11 ॥मानसेचाणविंद्यात्कंठेविद्याद्विराणवम्॥विराणवंतुजि ह्वाग्रेनिःसृतंमात्रिकंविदुः॥१२॥अवग्रहेतुकालःस्यादर्धमात्रावि : धीयते॥पदयोरंतरेकालएकमात्राविधीयते॥१३॥ऋचोर्दुतुद्विमा त्रस्यात्रिमात्रःस्याहगंतके // रिक्तंतुपाणिमुक्षिप्यद्वेमात्रेधारयेदु धः॥१४॥एकमात्रोभवेद्रस्वोदिमात्रोदीर्घउच्यते॥त्रिमावस्तुप्लुतो BROCCEMEMEENEEEEEEEREMEREKEERTNERMOMEN For Private and Personal Use Only Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir EXEMERIEEEEEERICORIE********* ज्ञेयोव्यंजनंचार्द्धमात्रकम् // 15 // विवृतौचावसानेचऋचोच तथापरे॥ पदेचपादसंस्थानेशून्यहस्तविधीयते॥१६॥ प्रणवंतुप्लुतं कुर्याद्व्याहृतीर्मातृकाविदुः ॥चाषस्तुबदतमात्रांद्विमात्रांवायसोब वीत् // १७॥शिखीवदतित्रिमात्रांमात्राणामितिसंस्थितिः॥ वर्णो जातिश्चमात्राचगोवंछंदश्चदैवतम् // 18 // एतत्सर्वसमाख्यातंया ज्ञवल्क्येनधीमता // हस्तौतुसंयतौधायौंजानुफ्यामुपरिस्थितौ / // 19 // गुरोरनुमतंकुर्यात्पठन्नान्यमतिर्भवेत् // ऊरुभागेतृतीयेतु / For Private and Personal Use Only Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir या। करविन्यस्यदक्षिणं॥२०॥प्रसन्नमानसोभूत्वाकिंचिन्निम्नमधोमुशि० खं // प्रणवंप्राक्मयुंजीतव्याहतीस्तदनंतरं॥ 21 // सावित्रींचानु / पूर्येणततोवेदानसमारभेत्। कूर्मोङ्गानीवसंहत्यचेष्टादृष्टिं दृढंमनः E॥२२॥स्वस्थःप्रशांतोनिीतोवर्णानुच्चारयदुधः॥नाश्याहन्यान्न निहन्यान्नगायेनैवकंपयेत्॥ २३॥यथैवोच्चारयेद्वांस्तथैवैतान्स मापयेत् // निवेश्यदृष्टिंहस्ताग्रेशास्त्रार्थमनुचितयेत्॥२४॥समा मुच्चारयेद्वर्णान्हस्तेनचमुखेनच // स्वरश्चैवतुहस्तश्चद्वावेतौयुगप **************************** For Private and Personal Use Only Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ***EEE*Kkkk ******* द्भवेत् // २५॥हस्तवष्टःस्वराष्टोनवेदफलमश्नुते // नकरालोन लंबोष्ठोनाव्यक्तोनानुनासिकः॥ 26 // गद्दोबद्धजिह्वश्चनवर्णा | वक्तुमर्हति॥प्रकृतिर्यस्यकल्याणीदंतोष्ठीयस्यशोभनौ॥२७॥ गल्भश्चविनीतश्चसवर्णान्वक्तुमर्हति // शंकितंभीतमुहृष्टमव्यक्तम नुनासिकं // 28 // काकस्वरमूर्द्धिगतंतथास्थानविवर्जितं // वि स्वरंविरसंचैवविश्लिष्टंविषमाहतं // 29 // व्याकुलंतालुहीनंच पाठदोषाश्चतुर्दश // संहितासारबहुलःपदसंज्ञासमाकुलः॥ 30 // For Private and Personal Use Only Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobarth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्रमसंधिसमाकीर्णोदुस्तरोमंत्रसागरः // ऋक्संहितांत्रिरश्यस्यय जुषांवासमाहितः // 31 // साम्नांवासरहस्यांचसर्वपापैःप्रमुच्य / ते॥ संहितानयतेसूर्यपदंचशशिनःपदं // 32 // क्रमश्चनयतेसूक्ष्म / यत्तत्पदमनामयं // कालिंदीसंहिताज्ञेयापदयुक्तासरस्वती॥३३॥ क्रमेणावर्त्तयेद्नंगांशंभोर्वाणीतुनान्यथा // यथामहान्हदंप्राप्यक्षि तोलोष्ठोविनश्यति // 34 // एवंदुश्चरितंसर्ववेदेत्रिवृतिमज्जति // आम्रपालाशबिल्वानामपामार्गशिरीषयोः॥ वाग्यतः प्रातरुत्था / tor For Private and Personal Use Only Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir HOMEMORRENCREMOKWOOK***ikk*********** यभक्षयेदंतधावनं // 35 // खदिरश्चकदंबश्वकरवीरकरंजकौ // ए तेकंटकिनःपुण्याक्षीरिणस्तुयशस्विनः // 36 // तेनास्यकरणेसू / क्ष्ममाधुर्यचैवजायते // त्रिफलांलवणाक्नभक्षयेच्छिष्यकःस / दा॥क्षीणमेधाजनन्येषास्वरवर्णकरीतथा॥३७॥ हस्तहीनंतुयो / धीतेमंत्रवेदविदोविदुः // नसाधयतियजूषिभुक्तमव्यंजनंयथा / // 38 // हस्तहीनंतुयोधीतेस्वरवर्णविवर्जितं // ऋग्यजुःसामभि / दिग्धोवियोनिमधिगच्छति // 39 // ऋचोयजूषिसामानिहस्त For Private and Personal Use Only Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * * ***** ** हीनानियःपठेत्॥अनृचोब्राह्मणस्तावद्यावत्स्वारंनविंदति॥४० ज्ञातव्यश्चतथैवार्थोवेदानांकर्मसिद्धये // पठन्मात्रापपाठात्तुपंके / गौरिवसीदति // 41 // स्वरवर्णप्रयुंजानोहस्तेनाधीतमाचरन् / ऋग्यजुःसामाभिःपूतोब्रह्मलोकमवाप्नुयात् // 42 // नकुर्वीतपदं दीर्घनकुर्वीतविलंबितं // पदस्यगृहमोक्षौचयथाशीघगतिर्हयः // ॥४३॥आगमंकुरुयत्नेनकारणंहितदात्मकम् ॥आस्येनचशयंकु 7 त्पिठन्नान्यमतिर्भवेत् // 44 // नचास्यमुष्टिबंधीस्यानचात्यु ** EXEEEEEK** For Private and Personal Use Only Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्तममाचरेत् // चुलुनौंकास्फुटोदंडीस्वतिकोमुष्टिरारुतिः // एते वैहस्तदोषाःस्युःपरशुश्चैवसप्तमः // 45 // यथावाणीतथापाणीरि / तंतुपरिवर्जयेत्॥ यत्रयवस्थितावाणीपाणिस्तत्रैवतिष्ठति // 46 // यथाधनुष्याविततेशरेक्षिप्तेपुनर्गुणः // स्वस्थानप्रतिपद्येततद्वद्ध / स्तगतःस्वरः॥४७॥ उत्तानंसोन्नतंकिंचित्सुव्यक्तांगुलिरंजितं // स्वरविद्धंकरंकुर्यात्प्रादेशोद्देशगामिनं // 48 // अंगुष्ठस्योत्तरेपर्वत जन्योपरियद्भवेत्॥प्रादेशस्यतुसोद्देशस्तन्मात्रचालयेत्करं॥४९॥ ********************** *** For Private and Personal Use Only Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www kobirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie या० मनुष्यतीर्थोच्चंरुत्वापितृतीर्थोदकंवजेत् // नामितंकरपृष्ठेतुसुव्य / क्तांगुलिमोक्षणं॥५०॥ स्वरितेभ्यंगुलंबिंद्यानिपातेतुषडंगुलं // थानेतुनवांगुल्यमेतत्स्वरस्यलक्षणं ॥५१॥अभ्यासार्थेद्रुतांवृत्ति प्रयोगार्थेतुमध्यमां // शिष्याणामुपदेशार्थकुर्यादृत्तिविलंबितां // ॥५२॥ऐंद्रीतुमध्यमावृत्तिःप्राजापत्याविलंबिता ॥अग्निमारुतयो वृत्तिःसर्वशास्त्रेषुनिंदिता॥५३॥मुष्टयारुतिर्मकारेतुनकारेतुनखा। प्रतः॥अनुस्वारेंगुष्ठलेपऊष्मांतेंगुलिमोक्षणं // 54 // उदात्तंभुवि / For Private and Personal Use Only Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir MMERNMMMMMMMMKICICKKKKAKKKAKKA पातेनप्रचयंनासायमेवच // शेषषडंगुलंविंद्यानिचितंतुविधीयते // 55 ॥षडंगुलंतुजात्यस्यहस्तस्यानुपथस्यच // तच्चतुर्भागमा / तुहस्तस्तेनैववर्तयेत् // 56 // ककारांतेटकारांतेङणेचांगुलिना मये // पंचांगुल्यमकारेतुतकारकुंडलाकृतिः // 57 // ऊर्ध्वक्षेपा च्चयोष्माचअधःक्षेपाच्चयोभवेत् // एकैकामुत्सृजेद्धीरःस्वरितेतू भयंक्षिपेत् // 58 // अंगुष्ठाकुंचनलब्धौअनुस्वारेत्वपासं // दीपेरंगेचतर्जन्याःप्रसारःपरिकीर्तितः॥ 59 // तर्जन्यंगुष्ठयोःस्प *AKMERMCRIMONITOROMOKAKKAROMOMEMORRHOICIOMOMEN For Private and Personal Use Only Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शप्युदात्तंप्रतिविद्यते ॥नीचंतुमध्यमंकुर्याच्छेषंनीचतरंक्रमात् // // 60 // स्वरितंयद्भवेत्किंचिदकारसहसंयुतं / ऊष्माणंतद्विजानी। यानिक्षिपेदुभयोरपि // 61 // स्वरितसंज्ञेचनिक्षिप्तेसंयोगोयत्र / श्यते // द्विमात्रिकेभवेदेकमात्रिकेतूभयंक्षिपेत् // 62 // जात्येच / स्वरितेचैववकारोयत्रदृश्यते // कर्तव्यस्तूभयोःक्षेपोवायव्यइति / दर्शनं // 63 ॥शृंगवद्वाथवत्सस्यकुमारीकुचयुग्मवत् // उभक्षेप / स्वरोयत्रसविसर्गउदाहृतः६४॥विसगाँतस्वरोयत्रस्वरितोयत्रदृश्य / / For Private and Personal Use Only Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir HEKKKMOMEMENKICKAKKAREKKIMOKMORK ते।दीर्घश्चैवतुकारश्चतचोभक्षेपउच्यते॥६५॥विविधस्तुभवेदूष्माष चिताबलकातरा // स्वरितेप्रचिताविद्यानिपातेबलकांविदुः // // 66 // उत्थानेतुतथाताराएताभिखिभिरुप्मभिः // मात्रामात्रां / विदित्वातुततःक्षेपंप्रयोजयेत् ॥६७॥अक्षरंभजतेकाचिकाचिद्वि त्तेप्रतिष्ठितं // समानेजातिकाकाचित्काचिदूष्माप्रदायिका // // 68 // यथाबालस्यसर्पस्यउच्छ्रासोलघुचेतसः॥ एवमूष्माप्रयो / क्तव्याहकारःपरिवर्जितः // 69 // विवृतिप्रत्ययाऊष्मांप्रवदंतिम For Private and Personal Use Only Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www kobirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie EXEMONOKRNXREKKARXXRXXXKOMAEXEMOKEMON नीषिणः // तामेवप्रतिषेधंतियथाआईऊएइतिनिदर्शनं // 70 // अष्टौस्वरान्प्रवक्ष्यामितेषामेवतुलक्षणं // जात्योभिनिहितक्षेपप / श्लिष्टश्चतथापरः // 71 // पादवृत्तस्तथाभाव्यइतिस्वराः॥ एक पदेनीचपूर्वःसयवोजात्यः // एकपदइत्याह // 72 // नीचपूर्वःस यकारवकारौवाजात्यः स्वरितोभवति // यथाजात्यंमनुष्यानि / ति।सुद्येति। चम्बीव। धान्यं। कन्याइव / स्वः। वीर्य / एवंद्याह / यानिचान्यानीदृग्लक्षणानिपदानिभवंति // एओआल्यामुदात्ता HOMEMEMEICICICICIEKKX*** For Private and Personal Use Only Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir EKMOREKARMEREKKNOKR EXCMOMONOMMONKEDIOKRRIORMOMEMOMENDMEREMEMOICKk यामकारोरिफितश्चयः // अकारोयवलुप्येततंचाभिनिहितंविदुः // 73 // यथा कुक्कुटः असि।कुक्कुटोसि / वेदःअसि।वेदोसि।भा || गःअसि।भागोसि।मारुतःअसि।मारुतोसिवात्रःअसि।श्वाबासि तेअप्सरसाम। तेप्सरसाम्।ते अवंतु / तेवंतु। कःअसि कोसि।सः / अहं। सोहं ।एवठेहियानिचान्यानिईदृग्लक्षणानिपदानिभवंति॥इ उवौँयदोदात्तावापद्येतेयवौक्वचित् // अनुदात्तेपदेनित्यंविंद्यात्क्ष प्रस्यलक्षणम् // 74 // यथा त्रिअंबकम्। त्र्यंबकम् ।द्रुअन्नः।। For Private and Personal Use Only Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यानः / वीडु अंगः। वीइंगः / वाजी अर्वन् / वाज्यर्वन् / एवछंद्या शि० यानिति // इकारोयत्रदृश्येतइकारेणैवसंयुतः // उदात्तश्चानुदात्ते नप्रश्लिष्टोभवतिस्वरः॥७५॥ अभि।इन्धताम्।अभीन्धताम् / अभि। इमं / अभीमं / वि।इहि।वीहि। त्रुचि।इव / सुचीवाचम्बी / इव। चम्बीवेति। एवछंद्याहयानिचान्यानि / उदात्तपूर्वयत्किंचि च्छंदसिस्वरितंपदं॥एषसर्वबहुस्वारस्तैरोव्यंजनउच्यते॥७६॥इडे||११ रते। हव्ये।काम्ये। चंद्रे। ज्योते ॥अदिति / सरस्वती / महि।बि। / For Private and Personal Use Only Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir MOMIRMIREOKEMOREKHOKE KHEKREMEMONOKREMEME / श्रुतीतिभवंति / एवछंद्याहयानि०अवंति // अवग्रहात्परोयस्तुस्व रितःस्यादनंतरं / तैरोविरामंतविद्यादुदात्तोयद्यवग्रहः॥ 77 ॥य थागोमदितिगो।मत् / गोपतावितिगो। पतौ / प्रतिप्रप्र / वितते / तिवि। तता / समिद्धइतिसम्। इद्धः / एवछंद्याहयानि भवंति // स्वरेतिस्वरितेचैवविवृतिर्यत्रदृश्यते // पादवृत्तोभवेत्स्वारः श्वित्र / आदित्येतिनिदर्शनं॥ श्वित्रः। आदित्यानां श्वित्रआदित्यानां।। त्रः। ईधे। पुत्रईथे। दावे। एधि। दावएधि ।कः। ईम् कईम् / ताः।। For Private and Personal Use Only Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir या० RAKACEMEMORKHAKIKEKOMMKHEMORMEK अस्य। ताअस्य। एवछंद्याहयानि०॥उदात्ताक्षरयोर्मध्यभवेन्नीच स्त्ववग्रहः / तथाभाव्यंभवेत्कंपस्तनूनप्त्रेतिनिदर्शनम् // 78 // यथातनूनप्वइति तनू। नप्त्रे / तनूनपादिति तनू / नपात् / तनूनपा तमिति तनू। नपातम् / एवछंद्याहयानिपदानिलक्षणानिभवंति // इत्यष्टपदसमाम्नायवैशेषिकेयाज्ञवल्क्यवचनानांपदानांपाठः स माप्तः॥ // माध्यंदिनविरोधिस्यात्तथाभाव्यस्तुयः स्मृतः॥स्वरोनै / / 12 वाचदृश्येतभिन्नोदात्तानुदात्तकौ // १॥स्वराःस्पर्शातःस्थोष्माणः॥ HEREMONOMMEMOMEMOIRAKRRIOMXNXOMMMEIN For Private and Personal Use Only Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobarth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कंठ्या जिह्वामूलीय।तालव्य / मूर्धन्य।दत्य / ओष्ठ्य ।यमावि सर्जनीयनिपाताद्याश्चकिंवर्णदेवत्यलिंगाः / स्मराः शुक्लाः नाना देवत्याः।स्पर्शाः कृष्णाः / कपिलाअंतस्थाः। ऊष्माणोऽरुणाः। नीलायमाः। हरितानासिक्याः / पीतोनुस्वारः / रक्तोजिह्वामूली यः।पीतउपध्मानीयः। श्वेतोविसर्जनीयः / शबलोरंगः। नीलोन / नासिक्यः। इत्यंतर्मध्यमयो सिक्यविद्यात् // द्विरुदात्ताख्याइ / तिस्मृतः // उदमनुदनिपातेाद्येचोपसर्गेनामाख्यातेचोपसर्गनि / K,NMERA KHORIRAM***KRNAK **** For Private and Personal Use Only Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatim.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie EREKKK****WAROKARKkKkkkkkkkk पाताश्चेति।किंदैवत्याः। अक्षराणांचकेपुरुषाः। काःस्त्रियः। कानि! शि नपुंसकानिइत्यत्रब्रूमः / कंठ्याआमेयाः / अकारादयः // जिह्वा / मूलीयानैर्ऋत्याःककारादयः / तालव्याः सौम्याः चकारादयः। वायव्यामूर्धन्याष्टकारादयः / रौद्रादंत्याःतकारादयः / औष्ठया / आश्विन्याः पकारादयः।शेषावैश्वदेवाः। अंइत्येवमादयः / स्वरा स्तुबाह्मणाज्ञेयावर्गाणांप्रथमाश्चये // द्वितीयाश्चतृतीयाश्चचतुर्था / 13 श्वापिभूमिपाः॥ 2 // वर्गाणांपंचमावैश्याअंतस्थाश्चतथैवच // Ekkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkkk For Private and Personal Use Only Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir KXEKkkkkkkkkkkkk******Kal ऊष्माणश्चहकारश्चशूदाएवप्रकीर्तिताः // 3 // शुक्लवर्णानिनामा निश्राख्यातारोहितामताः // कपिजलास्तूपसर्गाःकृष्णाश्चैवनि / पातकाः // 4 ॥भार्गवगोत्राणिनामानिभारद्वाजाआख्याताः // वासिष्ठाउपसर्गास्तुनिपाताःकाश्यपाःस्मृताः // पीतवर्णश्चोपस ोनिपातः कृष्णवर्णकः // सर्वतुसौम्यमाख्यातनामवायव्यदृश्य / ते॥आग्नेयस्तूपसर्गःस्यानिपातोवारुणःस्मृतः // 5 // प्रथमाश्च / तथांतस्थाःस्त्रीलिंगाःपरिकीर्तिताः ॥शेषाक्षराणिषंढानिमाहुर्लिंग KAKKAR****CICI***EKICKKkkw*** For Private and Personal Use Only Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobairth.org **** विवेचकाः // 6 // नाम्नामिंदोदेवतावरुणःउपसर्गाणामादित्यः 14 सर्वस्याक्षरगणस्यस्वराविसर्जनीयोयमाश्चपुंल्लिंगाः। जगनमा / यरलवाः स्वीलिंगाः / शेषाण्यक्षराणिनपुंसकलिंगानीति ॥सं धिश्चतुर्विधोभवतीति // लोपागमौवर्णविकारः प्रकृतिभावश्चे / ति। तद्यथा तत्रलोपोभवति अयक्ष्माः मा अयक्ष्मामा। शतते / जाः वायुः शततेजावायुः / तिग्मतेजाः द्विषतः तिग्मतेजादि / षतः इतिलोपः / / आगमोभवति यथा प्रत्यङ्सोमःप्रत्यक् सोमः / *KICKAX**EKREMEMORMEREMEMOMENEKK For Private and Personal Use Only Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1********** ************KK प्राक्सोमः।प्राङ्सोमः अस्मान् सीते अस्मान्त्सीते चीन समुदान / त्रीन्समुद्रान् इतिआगमः // विकारोभवति आ इदम् एदम् आ इमे एमे आ इष्टयःएष्टयः प्र इषितः प्रेषितः इतिविकारः प्रकृति / भावः यथा आशुः शिशानः। युआनःप्रथमम् / अदितिः षोडशा क्षरेण।देवोवःसविता। इतिप्रकृतिभावः // आकाशस्थायथावि द्युत्स्फुटितंमणिसूत्रवत् // एषच्छेदोविवृतीनांयथावालेषुकतरि // H // 7 // द्वयोस्तुस्वरयोर्मध्येसंधिर्यवनदृश्यते // विवृतिस्तत्रविज्ञे EXMOMMOICKENOMOOM******MEREKOKRONOKARMER For Private and Personal Use Only Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir या यायईशेतिनिदर्शनम् // 8 // पिपीलिकापाकवतीतथावत्सानुसा शि. 15 रिणी॥वत्सानुसंसृताचैवचतस्रस्तुविवृत्तयः॥ 9 // पंचरंगाः प्र वर्ततेघातनिर्घातवत्रिणः // अहरप्रहरोज्ञेयअइउऋोइतिनिदर्श / नं ॥१०॥पिपीलिकाआयंतदीर्घाना याआसीदितिनिदर्शनम्॥ पाकवत्युभयोर्हस्वाविनइन्द्रेतिनिदर्शनम् // 11 // अंतेचवत्सा / नुसृजतातानेत्यसौत्रावोढमश्विनेतिनि० // वत्सानुसारिणीचा 15 दौदीर्घाताअस्येतिनि०॥ 12 // करिणीकुर्विणीचैवहरिणीहारि KAKK***KEK********* For Private and Personal Use Only Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir CAKAKKOICEKE***AKKKIGK**KEKOKAME णीतिच॥तथाहंसपदानामपंचैताःस्वरभक्तयः // 13 // करिणी सहयोर्योगेकुर्विणीलहकारयोः // हरिगीरषयोर्योंगेहारितंऋषका / रयोः॥ 14 ॥यातुहंसपदानामसातुरेफषकारयोः // हरिणीहरयो / विद्यात्कुर्विणीलहकारयोः // 15 // देवंबर्हिरितिकारेणीउपव्हरे / तिकुर्विणी॥हरिणींअरेषसइत्याहुर्हारिणीशतवल्हेतिच // 16 // वर्षोवर्षीयतेसीतितथाहंसपदेतिच // स्वरभक्तिंप्रयुंजानवीन्दोषा। परिवर्जयेत् // 17 ॥इकारंचाप्युकारंचग्रस्तदोषंतथैवच // एत * *** * For Private and Personal Use Only Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalithong www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लक्षणमाख्यातंयाज्ञवल्क्येनधीमता॥ 18 // सम्यक्पाठस्यसि शि० यर्थशिष्याणांहितकाम्यया // अर्धमात्रास्वरंकिंचित्पृथङ्न्यून मिवोच्चरन् // ऋकारेहकारहत्कंठमनसानिच // 19 // नैतत्स्वरि / तपूर्वांगेनापरांगेकथंचन // नस्वरेनचमात्रायांकथंस्वारोविधी यते // 20 // परांगस्यतुयत्पूर्वपूर्वागस्यतुयत्परं // उभयार्डाई संयोगेस्वारंकुर्याद्विचक्षणः // 21 // संयोगेतुपरंस्वार्थपरंसंयोग नायकम् // संयुक्तस्यतुवर्णस्यनस्वार्थपूर्वमक्षरम् // 22 // उदा / For Private and Personal Use Only Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * ****** ****************** त्तादनुदात्तेतुवामायानुवआरभेत् // उदात्तात्स्वरितोदात्तौकमाइ क्षिणतोन्यसेत् // 23 ॥स्वरितादनुदात्तायेप्रचयांस्तान्प्रचक्षते॥ एकस्वररापिचांतानाहुस्तत्वाचिंतकाः // 24 ॥प्रचयोयत्र / श्येततत्रहन्यात्स्वरंबुधः // स्वरितःकेवलोयत्रमृदुस्तत्रनिपातयेत् // 25 // दुर्बलस्ययथाराष्ट्रहरतेबलवान्नृपः॥ एवंव्यंजनमासाद्य अकारोहरतेस्वरम् // 26 // उच्चादुच्चतरंनास्तिनीचान्नीचतरंतथा / अक्षरात्तुल्ययोगाच्चनीचेनीचगतानिच // 27 // स्वरउच्चःस्व / ********KKKAKKKKKKKKKKKKKKI For Private and Personal Use Only Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir या | रोनीचः स्वरः स्वरितएवच // स्वरप्रधानैस्तैः स्वार्यव्यंजनंतेनस शि. 17 स्वरम् // 28 ॥व्यंजनान्यनुवर्ततेयत्रतिष्ठतिसस्वरः // स्वरप्रधा। नत्रैस्वयआचार्याःप्रवदंतिहि // 29 // मणिवद्व्यंजनविद्यात्सूत्र बच्चस्वरंविदुः // आचार्याः सममिच्छंतिपदच्छेदंतुपंडिताः॥३०॥ स्त्रियोमधुरमिच्छंतिविरुष्टमितरेजनाः // उदात्तंनानुवर्ततेनीच नस्वरितंतथा // 31 // विस्वरतविजानीयादीर्घ-हस्वविवर्जित।। 17 म् // हरिवरुणवरेण्येषुधारापुरुषेषुच // स्वरितेरेफवैश्वानरोना / KOKHEMOREKKEKOMMOKRAM***OOKM8MMEDIOKOKAM* For Private and Personal Use Only Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobarth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir **** कारःशेषाकारःस्वरितानकाराः // 32 // द्वौवरुणौचस्वरिती // उदुत्तमंवरुपधारयेवरेरुधाराउरुधाराचहोहते // माविकंवाद्विमा / / वास्वरितंयदिहाक्षरम् // तस्यादितोर्द्धमात्रावैशेषंचपरतोभवे / त्॥ 33 // नकारांतेपदेपूर्वेश्मश्रुभिःपरतःस्थिते॥छकारंनप्रयुंजी / तजशसंधिसमुच्चरेत् // 34 ॥ओकारप्लुतविज्ञेयंप्लुतममाद्वितीयकं लाजींछाचीतृतीयंचविवेशेतिचतुर्थकं // 35 // अधः स्विदा सीत्पंचमंचोपरिस्विदासीच्चषष्ठकं // सप्तमंतु वोस्मारअष्टमनैव / **ekek*****EORGICHME** For Private and Personal Use Only Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विद्यते॥३६॥ उच्चस्थानगतेहस्तेस्वरितंनोपपद्यते // अंधस्थातु यदागच्छेत्स्वरितंनतदाभवेत् // कचटतपादृश्यंतसंधिस्थानेषुनि त्यशः // स्ववर्गेणैवसंयुक्तामोक्षंतत्रनकुर्वीत // तकारांतेपदेपूर्वेस / कारेपरतःस्थिते ॥प्रत्याशनकुर्वीतपापावितिनिदर्शनम् // कका रांतेपदेपूर्वेसकारपरतः स्थिते // रखसवर्णविजानीयाभिखक्से / तिनिदर्शनम् // तकारांतेपदेपूर्वेचवर्गपरतः स्थिते॥ मोक्षंतत्रचकु / 18 तयच्चपापौनिदर्शनं // उकारांतेपदेपूर्वेसकारेपरतः स्थिते॥ कस। *KKAKKK******** ***** *** For Private and Personal Use Only Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir EREkkkkkkkkkkkkkkkkaRK वर्णविजानीयात्प्राङ्सोमेतिनिदर्शनम् // टकरांतेपदेपूर्वंसकारेप रतःस्थिते // टसवर्णविजानीयात्संम्राट्संभृततिनिदर्शनम् ॥तका रांतेपदेपूर्वेसकारेपरतः स्थिते // छसवर्णविजानीयात्तत्सवितु / रितिनिदर्शनम् // नकारांतेपदेपूर्वेसकारेपरतःस्थिते // तसव र्णविजानीयात्रीन्समुद्रतिनिदर्शनम् // पकारांतेपदेपूर्वेशकारेपर तःस्थिते / छासवर्णविजानीयादनुष्टप्छारदीतिनिदर्शनम् // म, कारांतेपदेपासवर्णपरतः स्थिते // मसवर्णविजानीयादिमम्मेति RANRARKETAKMERE REMEENEMAREKAR*K For Private and Personal Use Only Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir **kkkkkkkki**** या निदर्शनम् // वर्णेतुमात्रिकेपूर्वेअनुस्वारोद्विमात्रकः // द्विमात्रेमा / शि. 19 / त्रिकोज्ञेयःसंयोगावस्ययोभवेत् // अनुस्वारोद्विमात्रः स्याहवर्ण व्यंजनादिगः॥ हस्वाद्वायदिवादी_देवानादृदयेश्यइति // अ नुस्वारस्योपरिष्टात्संवृतंयत्रदृश्यते // दीर्घतंतुविजानीयाच्छ्रोता यावाणेतिनिदर्शनम् // अनुस्वास्योपरिष्टात्संयोगोयत्रदृश्यते // हस्वंतंतुविजानीयात्सठ स्थेतिनिदर्शनम् // अनुस्वारश्चयोदी | 19 Cदक्षराद्योभवेत्परः // सतु-हस्वइतिज्ञेयोमंत्रेष्वेवविभाषया KAKKAKEkkkkkkkkk********** ******** * For Private and Personal Use Only Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobarth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir VEMKAMRKNONENEMAMOKAKKKKKMMENWWWEEKKNOK ओभावश्चविवृत्तिश्चशषसारेफएवच // जिव्हामूलमुपध्माचग तिरष्टविधोष्मणः // यथाभावप्रसंधानमुकारादिपरंपदम् // स्वरां तंतादृशंविद्याद्यदन्यद्व्यक्तमूष्मणः // उभावादुत्थितश्चोष्मातातु केलिंविनिर्दिशेत् // विवृत्तंप्रतियाऊष्माविज्ञेयाविकठानना ॥ली। ढातिलीढविधुच्चशषसेषुप्रकीर्तिताः॥ जिव्हामूलेचरेफेचविज्ञेया विठकाशठा // उपध्मानीयसहितांपुष्पिणींतांविनिर्दिशेत् // अ न्यत्रयोभवेदूष्मासुलभातांविनिर्दिशेत् ॥पादाद्यपदाद्यतंतथावय KAMKAKKMEHEK MON**EKHEROENKEKK***NA For Private and Personal Use Only Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1 * // या० हकालिकं॥ईषत्स्पृष्टंविजानीयात्तस्मिन्कालेतुकारयेत्॥पादादौच 20 पदादौचसंयोगावग्रहेषुच // यःशब्दइतिविज्ञेयोयोन्यःसयइतिस्मृ / तः॥ उपसर्गपरोयस्तुपदादिरपिदृश्यते // ईषत्स्पृष्टयथाविद्युत्पदछंदा, त्परंभवेत् // त्वदर्थवाचिनौवोवांवावैयदिनिपातजौ // आंदेराज / विकल्पार्थाईषत्स्पृष्टाइतिस्मृताः॥ विभाषयामकारःस्यात्तथानेतैः / पदात्परः ॥भवंतेत्यपिपूर्वैवतथाचसपदादपि // यदेवलक्षणंयस्य वकारस्यापितद्भवेत् // यत्रयविशेषःस्यादिदानींससकथ्यते For Private and Personal Use Only Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वकारविविधःप्रोक्तोगुरुल घुलंघूतरः // आदौगुरुर्लघुर्मध्येपदांते चलघूतरः // यवर्णविविधःप्रोक्तोगुरुल घुर्लघूतरः // आदौगुरुर्ल घुर्मध्येपदातेतुलघूतरः // उपांशुत्वरितंचैवयोधीतेहृदिसंज्ञकः // अपिरूपसहस्रेषुसदेहेषुप्रवर्तते ॥पंचविद्यानगृह्णतिजडास्तब्धा श्चयेनराः ॥आलस्याश्चैवरोगाश्चयेषांचविस्मृतंमनः॥ अहिरिव / गणाद्भीतः समानान्नरकादिव // राक्षसीयइवस्त्रीभ्यः सविद्याम धिगच्छति // नभोजनविलंबीस्यानचनारी निबंधनः // सुदूरम / For Private and Personal Use Only Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatitm.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir KOREACKKKKROACHKKKKKRAMECKKIMMER पिविद्यार्थीबजेद्गरुडहंसवत् // यथानखात्खनित्रेशनरोवार्यधिग शि. च्छति // तथागुरुगतांविद्याशुश्रूषुरधिगच्छति // सुखार्थीचेत्त्य / / जेद्विद्यांविद्यार्थीचेत्त्यजेत्सुखम् // सुखिनस्तुकुतोविद्यासुखंवि द्यार्थिनःकुतः ॥गुणिताशतशोविद्यासहस्रावर्तितापुनः॥ आगमि / प्यतिजिह्वाग्रेस्थलनिम्नमिवोदकम् // शतेनगुणिताविद्यासहस्रेण / चतिष्ठति // शतानांचसहस्रेणप्रत्यंचदवतिष्ठति // जलमभ्यास 21 योगेनशिलायांकुरुतेक्षयं // कामदुतस्तस्यकिमायासान For Private and Personal Use Only Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साध्यते // गुरुशुश्रूषयाविद्यापुष्कलेनधनेनवा // अथवाविद्यया विद्याचतुर्थनोपलभ्यते // शुश्रूषारहिताविद्याह्यल्पमेधागुणैः सह / / // वंध्याचयौवनीतस्यानविद्याफलिनीभवेत् // हयानामिवजा / त्यानामर्धमात्रार्द्धशायिनाम् // नहिविद्यार्थिनांनिदाचिरनेत्रेषुति / ठति // यथा॥ पिपीलिकाभिःपांसुभिर्वल्मकिंक्रियतेमहान् ॥न / तबबलसामर्थ्यमुद्यमस्तवकारणम् // अंजनस्यक्षयंदृष्ट्वावल्मीक स्यतुसंचयं // अवंध्यंदिवसंकुर्यादानाध्ययनकर्मसु // अन्नव्यं / / For Private and Personal Use Only Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जनयो गस्तृतीयमुदकस्यच // वायोःसंचारणायचतुर्थमुप 22 कल्पयेत् // हकारंपंचभैर्युक्तमंतस्थैश्चापिसंयुतं॥औरसंतविजानी यात्कंठयमाहुरसंयुतं // हकारोयत्रपूर्वस्थोअंतस्थाद्योभवेत्परः // पदकालेवियुज्येतसंहितायांसऔरतः // मेघदुंदुभिनि?षोज्ञाय / तपयसोदात् // एवंनादप्रयोक्तभ्यसिंहस्यरुदितंयथा // मासेमा द्वपदेमेघाःशब्दकुर्वतियादृशम् // एवंगव्हरमासाद्यशुक्रंदुहुन्हतिदर्श नं // शेषाणांवानरायुद्धमुत्पतंतिपतंतिच // एवंवर्णाःप्रयोक्तव्या For Private and Personal Use Only Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir REkakkkkkkkkkkkk*** इहेहैषानिदर्शनम् // यथापुत्रवतीस्नेहाचुंबतेनिजमौरसम् // एवं वर्णाःप्रयोक्तव्यायुआनेतिनिदर्शनं // दुईरोजयदेशेचप्रफतेषुर्नया / प्यया // एवंःप्रयोक्तव्या अपांफेनेतिनिदर्शनम् // यथाभा / रभराक्रांतानिश्वसंतिनराशुवि // एवंवर्णाः प्रयोक्तव्या अमः / तइत्यपि // कुक्कुटःकामलुब्धश्चककारद्वयमुच्चरेत् // एवंवर्णाः / प्रयोक्तव्याःकुक्कटोसीतिदर्शनम् // वडाचह दृष्ट्वायोनिविकुरुते / यथा॥ एवंवर्णाःप्रयोक्तव्याःसदुंदु तिदर्शनम् // रंगेचैवसमुत्पन्ने / For Private and Personal Use Only Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir CREKAKKENERGREEKEX KKKRAMPREMEME नोयसेत्पूर्वमक्षरम् // स्वरंदीर्घप्रयुंजीतपश्चान्नासिक्यमाचरेत् // यथासौराष्ट्रिकानारीअरॉइत्यभिभाषते // एवंरंगःप्रवक्तव्योङका रः परिवर्जितः॥ द्विमात्रिकोमात्रिकोवानासामूलंसमाश्रितः // अंतेप्रयुंजतेरंगः पंचमैः सानुनासिकः // यथासौराष्ट्रिकानारी / अराँइत्यभिभाषते॥ एवरंगविजानीयात्कारपरिवर्जितम् // नंतरंमकारस्ययोरंगस्तत्ररंज्यते // सर्वानुनासिकंविद्यादेषामध्यो 23 पधानिका // यरलवशषसहरज्यंतेचोपधानिका // गतिरंग। KRONICICICIREMOICICIRIGIGRICKERMERMENDEMOIGMERIE* For Private and Personal Use Only Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir *MOMEMOR*****kkkkKKKKRKKKKKARKI तेयस्तुसर्वैःसर्वानुनासिका // नासादुत्पद्यतेरंगः कांस्येनसमनिः स्वनः। मृदुश्चैवद्विमात्रःस्यादृष्टिमान्स्यानिदर्शनम् // यथाव्या / घीहरेत्पुत्रान्दंष्ट्राभिर्नचपीडयेत् // भीतापतनभेदाश्यांतद्वद्वान्प्र योजयेत् ॥मधुरंचनचाव्यक्तंव्यक्तंचापिनपीडितम् // सनाथस्यै / देशस्यनवर्णाःशंकरंगताः // यथासुमत्तनागेंद्रःपदात्पदंनिधाप येत्॥एवंपदंपदाद्यतंदर्शनीयंपृथक्पृथक्॥गीतीशीघीशिरःकंपीय त थालिखितपाठकः॥अनर्थज्ञोल्पकंठश्चषडेतेपाठकाधमाः।।माधुर्य / ***KIOKkHORAEMEMPIOID ***** - मन * *** For Private and Personal Use Only Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ***** या मक्षरंव्यक्तिः पदछेदस्तुसुस्वरः // धैर्यलयसमत्वंचपडेतेपाठकागु 24 जणाः॥ चतुरक्षरषटुंचनिवर्तेतपुनःपुनः // श्रावर्ततेपदंयच्चद्विखिरा / डितंहितत् // यथा धान्नेधाम्नेतियजुषेयजुषेतिनिदर्शनम् // ही यतेवर्धतेचापिपदंयनकशोदरम् // उपचारःसविज्ञेयउ सुश्चंद्रे / अतिनिदर्शनम्॥ // अथसप्तविधाःसंयोगपिंडाः // // अयःपिंडोदा रुपिंडऊर्णापिंडोज्वालापिंडोमृत्पिडोवायुपिंडोवज्ञपिंडश्चेति // य / / मान्विद्यादयःपिंडान्सांतस्थंदारुपिंडवत् // अंतस्थंयमवर्जंतुऊ ***** **** ** For Private and Personal Use Only Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ********** BREAKKAKKKEMEREKX***KEEKKEkk*** पिंडविनिर्दिशेत् // अंतस्थंयमसंयोगेविशेषोनोपलभ्यते॥ शरीरंयमविद्यादंतस्थापिंडनायकम् // ज्वालापिंडान्सनासिक्या / न्सानुस्वारांस्तुमृन्मयान् // सोपध्मावायुपिंडाश्चजिव्हामूलेतुव / / त्रिणः // अयःपिंडोनामयथा / अग्नीः। पक्तीः।नातनच्मि।दारु / पिंडोनामयथा। अश्वः / सूर्यः / विश्वाजतीतिभवति। तत्रऊर्णा / पिंडोनामयथा। यस्मिन् / अत्यस्मिन् / अमुष्मिन् / इतिभवति // तत्रज्वालापिंडोनामयथा।ब्रह्मा।वन्हिः / गृह्वामीतिभवति ।तब *** ** ******** For Private and Personal Use Only Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मृत्पिडोनामयथा। सास्थासकर्त्तार / सस्वर्तइति / तत्र 25 / वायुपिंडोनामयथा / देवसवितः।युञ्जानःप्रथमम् // प्रादिवःककु, सुप्तमितिभवति // तत्रवज्ञपिंडोनामयथा / इष्कृतिःनिष्कृतिः।। ऋक्सामइतिभवति // प्रथममेवषकारेणसकारेणैवसंयुतं // एत / स्वरसमासाद्यअग्निष्वात्तान्निदर्शनम् // प्रथमेनठकारेणथकारेणै वसंयुतम् // एतत्स्वरंसमासाद्यअधिष्ठाननिदर्शनम् // प्रथममेवण 25 कारेणनकारेणैवसंयुतम् // एतत्स्वरंसमासाद्यत्रिणवत्रयखिठशा KEKWORCEMEEMENEKEEK***EKHOMEREMEERKHYA 来来来长长长长表长长长长长春张长长长长长长款长表来我来来! For Private and Personal Use Only Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वितिनिदर्शनम् // प्रथममेवरंगेणनकारेणैवसंयुतम् // एतदञ्जित Eमासाद्यवृष्टिमानितिनिदर्शनम् // एतेककारादयोमकारपर्यवसा नाःकृष्णाव्याख्याताः / शनैश्चरदैवत्याः / चत्वार्यतस्थायरल वाःकपिलवर्णाःअमिदैवत्याः / चत्वार्युष्माणःशषसहा अरुण / वर्णाः आदित्यदैवत्याः // त्रयविठशब्द्यंजनानि स्पर्शाअंतस्था / ऊष्माणश्चेति। चतुर्विधकरणम् // स्पृष्टमस्पृष्ट संवृतविवृतंचेति॥ संवृतोघोषाविवृताअघोषाः / विठशतिर्थोषास्तेगजडदबाघझट / KAMKAKKKKWEEKKKKREKKKENNEACHEXI KEANINEMAMNEWERENCHEKNEWSKOREAKKKKICKENKINEKEXE. For Private and Personal Use Only Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir *MEHENSIONERNEKHACKEKXXIOMORROMONOK धभाङञणनमाःयरलवाश्चेति / त्रयोदशअघोषास्तेकचटतपाः खछठथफाःशषसाश्चेति // अष्टौवर्णस्थानानिभवंति / उरः के ठयमूर्धन्यतालुदंत्योजिह्वामूलयमानुनासिक्याश्चेति // दौऔर स्यौह / हाइति अाआश्चयःकंठ्याः ऋषटमूर्द्धन्याः / टठडट / णष३इति / दशतालव्याः / चछजझञयशइईईइइति / अष्टदं / त्याः। तथदधनललसाः। एकादशऔष्ठयाः। पफबभमाउऊऊ३छ / उपध्माचेत्यादयः / एकोदंतमूलीयोरेफः / जिहामूलीयाःपंच / / For Private and Personal Use Only Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ENXNNNNNN***MMEREKANKEEMKnok कुंखुगुंघुडुइति / क्मख्मग्मध्भकुंखुगुंघुइतियमाश्चत्वारः // रुक्मे / तिप्रथमोज्ञेयः सक्इत्यपरोभवेत् / तृतीयःसमइत्याहुःउपध्मेति चतुर्थकः॥ प्रथमौचौष्ठनासिक्यौद्वितीयःकंठयदंत्यश्च / नासामू / / लमुपाश्रितः // तृतीयःकंठ्यजिहाग्रेनासायामेवनिर्दिशेत् // चतु / थहदिनासिक्यःकंठेचाभिहितायमाः // आपंचमैश्चैकपादःसंयु। पंचमाक्षरम् // यमास्तत्रनिवर्ततेश्मशानादिवबांधवाः। यतिक चिद्वाङ्मयलोकेसर्वमत्रप्रतिष्ठितम् // सर्वमत्रप्रतिष्ठितमिति // For Private and Personal Use Only Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वर्णेतित्परेसादावनुस्वारोद्विमात्रकः / संयोगेपरभूतेषु-हस्वएवो 27 च्यतेबुधैः॥ // इति श्रीयाज्ञवल्क्यशिक्षासमाप्ता॥ 7 // KEKAKKKKICKKKKKKKAKKKIME REMEKKKKA RAMMEHEKOKkKNEKHKARMEREKKENEWHEMEME For Private and Personal Use Only Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir MOREKKIDNEKKIOCKkKERNMEKKRENOMOREMEMONOK: ॥श्रीगणेशायनमः // // ॐ अथानुवाकान्वक्ष्यामिब्रह्मणानि / मितानपुरा // शिष्याणामुपदेशाययज्ञसंस्कारएवच॥ विप्राणांय / ज्ञकालेषुजपहोमार्चनादिषु // 1 // ईषेत्वैकावसो पवित्रंतिम्रो / मेवतपतेसप्तपवित्रस्थोदेशर्मासितिस्रोधृष्टिरसिशर्मासिद्धिकौ देव / स्यत्वातिस्रोदेवस्यत्वापंचप्रत्युष्ट रक्षस्तिस्रोदशैकत्रि शत् // // १०॥३१॥२॥रुष्पोसिषडग्नेवाजजित्तिस्रोमयीदमनीषो / मयोः पंचकावग्नेदब्धायोचतस्रः संवर्चसापंचामयेकव्यवाहना **kkkkkkkkkkk**KORA* For Private and Personal Use Only Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir EKKKNOREICKKEREkkKEKICKANGREMIKROkkkk यषट्सप्तचतुखिठ शत् ॥७॥३४॥२॥समिधानिंभूर्भुवः स्वश्च सू-अ तुष्कावग्निज्योतिउपप्रयंतः षटिठ शतिर्भूर्भुवः स्वश्चतस्रोगृहा / मातिस्रःप्रघासिनःपंच पूर्णादविद्वेऽअक्षन्नमीमदंतषडेषतेसप्तदश / विषष्टिः // 10 // 63 // 3 // एवंद्वेमहीनांपयश्चतस्राकृत्याक क्सामयोदिकौवतंकृणुतषडेखातेचतस्रोवख्यसितिस्रएषतेद्वेशुक्र वाचतस्रोदित्यास्त्वगष्टौदशसप्तलिठ शत् // 10 // 37 // 4 // 28 अग्नेस्तनूरापतयेचतुष्कोतप्तायनीदेइन्द्रघोषस्तिस्नोयुंजतेष्टौदेवस्य For Private and Personal Use Only Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir MEMORRIORKKKROIN*****HEREMEMERIKARAN त्वाचतस्रोदेवस्यत्वापंचविभूरसिचतस्रोज्योतिरसिषडुरुविष्णोति खोदशत्रिचत्वारिठ-शत् // 10 // 43 // 5 // देवस्यत्वाषडुपा वीरसिपंचमाहिःषट्सते (तिसंते ) तिस्रःसमुद्रंगच्छहविष्मतीदि / कौहृदेत्वापंचदेवस्यत्वाष्टावष्टौसप्तविठ शत् // 8 // 37 // ॥६॥वाचस्पतयऽउपयामगृहीतोसित्रिकावावायोयंवाद्विकीयावा मेकातंपत्नथाचतस्रायवेनोदेवासस्त्रिकाविन्दायमूर्धानंद्विकौयस्त / एकाप्राणायतिस्रोमघवइन्द्रामीआगतमाघौमासश्चर्षणीधृतोवि KKKKKKKKKARWKKKKAKKKKKKKI For Private and Personal Use Only Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir : prer with ** AMMOMSANEMONOMEN KENAX*******AMMA XNXX श्वेदेवासऽआगतेंद्रमरुत्वोमरुत्वंतंवृषभंमरुतां त्वौजसेसजोषाई मू.अ. दमरुत्वाइ // इन्द्रमहा // इन्द्रोमहा॥ इंद्रएकैकोदुत्यमष्टौपंचवि ठशतिरष्टाचत्वारिठशत् // 25 // 48 // 7 // उपयामगृ / हीतोसि // आदित्येभ्यः पंचवाममद्यद्वेसुशर्मास्येकाबृहस्पतिसु / तस्यवेहरिरसिचतस्रः समिन्द्रणोष्टौमाहिरेजतुदशमास्यः पंचका / वातियुक्ष्वाहींद्रमिदेकैकायस्मानद्वेऽनेपवस्त्रोत्तिष्ठन्नदृश्रमुदुत्यमेकै || 29 काजिघदेविनइन्द्रवाचस्पतिविश्वकर्मन्नेकै कामयेत्वाचतस्रइहर ******* **** K For Private and Personal Use Only Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तिस्तिस्रःपरमेष्ठीदशत्रयोविठ शतिस्विषष्टिः // 23 // 63 // // 8 // देवसवितश्चतस्रइंद्रस्यवजः पंचदेवस्याहंदशापयेतिस्रोवा / जस्येममष्टावग्निरेकाक्षरेणैषतेचतुष्कौसविताद्वेअष्टौचत्वारिंशत् / F // 8 // 40 // 9 // अपोदेवाश्चतस्रः सोमस्यत्विषिःपंचावे टाः सप्तसोमस्यत्वाचतस्त्रइन्द्रवजःपंचस्योनासिचतस्रः सवित्रे / काविष्यांचतस्रोष्टौचतुखिठशत्॥८॥३४॥ १०॥जानए / कादशप्रतूर्तठ षोडशदेवस्यत्वादशापोदेवीदशापोटेकादशादि| For Private and Personal Use Only Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobarth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir MORKICMREKKNEERICORNOKREKHONORMEREMONS तिष्ट्वापंचाकूतिमष्टादशसप्तअशीतिः // 7 // 83 // 11 // दृशानः सू.अ. सप्तदशदिवस्परिद्वादशसमिधानिपंचदशापेतसप्तदशाऽसुन्वन्तंत्र | योदशयाओषधीःसप्तविठ शतिर्मामाषोडशसप्तसप्तदशठ शतं // ॥७॥११७॥१२॥मयिगृह्णामिपंचदशध्रुवासिमधुवाताएकादश कौ सम्यक्स्रवंतिनवेमंमाषडपांत्वैकाऽयंपुरःपंचसप्ताष्टापंचाशत् / // 7 // 58 // 13 ॥ध्रुवक्षितिः षट्सजूक्रतुभिर्मूवियोद्धिका विन्द्रामीआयुर्मेषट्कावाशुखिवृदेकाऽग्नेर्भागोस्येकयाचतुष्काव For Private and Personal Use Only Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir MEIGNENEMEMOICEREMOICICICEkk* टावेकविठ शत् // 8 // 31 // 14 ॥अमेजातानपंचरश्मिनास त्यायचतस्रोराज्यस्ययंपुरःपंचकावनिर्मू.कोनविठशत् येनऋष योष्टौतपश्चनवसप्तपंचषष्टिः // 7 // 65 // 15 // नमस्तेषोडशहि रण्यवाहवऽउष्पीषिणेतक्षायोज्येष्ठायपंचकाः सुत्यायचतस्रः शंभवायैकापार्यायपंचद्रापेअंधसोविशतिर्नवषट्षष्टिः // 9 // // 66 // 16 // अश्मन्नूर्जदशनमस्तेपंचामिस्तिग्मेननवचक्षुषः / पिताष्टावाशुःशिशानः सप्तदशोदेनंक्रमध्वमग्निनापंचदशकौशुक्र XMKCMONOKROKKAXOCKEKEEKKEEKKKKKKR ***EECHEMEREKK For Private and Personal Use Only Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्योतिःसप्तेमठस्तनंत्योदशनवैकोनशतम् // 9 // 99 // 17 // मु.अ. 33 वाजः सप्तमूळचतुष्काअश्माग्निस्त्रिका शुः पंचैकाचतस्रोवा जायवेवाजस्यत्वष्टावृतापाट्त्रयोदशानिंयुनज्मीसप्तयदाकूताद्वा हत्यायदशकौत्रयोदशसप्तसप्ततिः // 13 // 77 // 18 // स्वा / द्वीत्वैकादशदेवायज्ञविठशतिःसुरावंतठसप्तदशोदीरतांत्रयोदशा च्याजानुर्दशसोमोराजाष्टौसीसेनतंत्र षोडशसप्तपंचनवतिः // // 7 // 95 // १९॥क्षत्रस्ययोनिस्त्रयोदशयदेवादशा यादधाम्य KEKKKKKKICKKHONGKKKKNEKK* For Private and Personal Use Only Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir MEIGMEMOREACHEKHEE****EKEKOKHEEREKKK) टोयोभूतानांचतस्रः समिद्धइंद्रएकादशायात्वष्टौसमिद्धोअग्निा दशाश्विनाहविस्त्रयोदशाश्विनातेजसैकादशनवनवतिः॥९॥९०॥ // 20 // इमम्मेसमिद्धोअग्निरेकादशकौवसन्तेनऋतुनाषढ़होता / पक्षत्समिधानिद्वादशाऽश्विनौछागस्यसप्त देवंबहिश्चतुर्दश षडेकष ष्टिः॥६॥६१॥२१॥ तेजोसिपंचाग्नयएकाहिंकारायद्वेतत्सवि| तुर्दश विभूर्माकाकायद्वेआब्रह्मस्त्रयोदश शेषादेकैकोनविठशति / चतुखिशत् // 19 // 34 // 22 // हिरण्यगर्भोयःप्रणतोद्विको For Private and Personal Use Only Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobarth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्यष्टौवायुष्ठापंचप्राणायतित्र उत्सक्थाद्वादशगायत्रीकस्त्वाष ट्रौकःस्विदष्टौकास्विद्दशसुभूःस्वयम्भूस्तित्र एकादशपंचषष्टिः॥ NEL 11 // 65 // 23 ॥अश्वस्तूपरोधूम्रान्वसंतायसमुद्रायशिशु मारान्मयुःप्राजापत्योदशकाश्चत्वारश्चत्वारिंशत् // 4 // 40 // // 24 // शादंदद्भिर्नवैकैकाहिरण्यगर्भश्चतस्रआनोदशमानोमित्रो / यदश्वस्याष्टकौयत्तेषडिमानुकंद्वपंचदशसप्तचत्वारिठ-शत् // 15 // 32 // 47 // 25 // अनिश्चपंचदशोच्चातएकादशद्वौषठिशतिः॥२॥ **EMORKKANERMEMEIGMEMEMOKMEREK For Private and Personal Use Only Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobarth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir MGNCHEMENEMONKEHIKEKORKKKKREMEMEMOIRMEMONEY | // 26 // 26 // समास्त्वादशोअिस्यपीवोअन्नाद्वादशकावभि त्वैकादशचत्वारःपंचचत्वारि शत्॥४॥४५॥ 27 // होतायक्ष देकादशदेवंबहिदशपुनरप्येवंचत्वारःषट्चत्वारिंशत् // 4 // // 46 // 28 // समिद्धोअंजनेकादशयदकंदस्त्रयोदशसमिद्धोअ / घद्वादशकेतुंकृण्वंश्चतुर्विशतिश्चत्वारःषष्टिः॥४॥६०॥२९॥ / देवसवितःषट्तपसेकौलालठषोडशद्वौदाविठशतिः॥२॥२२॥ // ३०॥सहस्रशीर्षाषोडशायःसंभृतःषबौदाविशतिः // 2 // MHEMANMOICKNOKRAMICROMOREWARENENERWINEKK For Private and Personal Use Only Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobairthorg Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥३१॥तदेवसप्तवेनस्तन्नवद्वौषोडश॥२॥१६॥३२॥ अस्याजरासःसप्तदशापश्चित्द्वादश विश्वाट्चतुर्दश प्रवावृजएका दशप्रवायुप्रवीरयापंचदशकावानस्त्रयोदशसप्तसप्तनवतिः // 7 // // 97 // 33 // यज्जायतःपंचनद्यःसोमोधेनुमाकृष्णेनपूर्फतवद / शकानतदष्टौषडष्टापंचाशत् // 6 // 58 // 34 // अपेतोदशायं / द्वादशद्वौद्वाविशतिः॥२॥२२॥३४॥ ऋचंवाचठन्षोडशद्यौः / 33 शांतिरष्टौद्वौचतुर्विठशतिः॥२॥२४॥३६॥ देवस्यत्वादशय / KMEIGENCIOMORRHOKKkKKICKNOKARMEHEKRAKHERI For Private and Personal Use Only Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kebatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir मायत्वैकादशद्वावेकविठशतिः॥२॥२१॥३७॥ देवस्यत्वाष्टौ / यमायत्वाक्षत्रस्यत्वादशकौत्रयोष्टाविठशतिः॥३॥२८॥३०॥ स्वाहापाणेभ्यःषडुयश्चसप्तद्वौत्रयोदश // 2 // 13 // 39 // ईशा। वास्यमष्टावंधतमोनवद्वौसप्तदश॥२॥१७॥४०॥ ॥दशा ध्यायेसमाख्याताअनुवाकास्तुसंख्यया // शतंदशानुवाकश्चनवा / न्येचमनीषिभिः॥ 1 ॥सप्तषष्टिरनौज्ञेयासौक्तेविंशतिस्तथा // अश्वएकोनपंचाशत्पंचविंशखिलेस्मृताः॥२॥ शुक्रियेषुतुवि CAMEREKKEEKKEEKKENREMEMOMENTERNME%E09 For Private and Personal Use Only Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्ञेयाएकादशमनीषिभिः // एकीकृत्यसमाख्यातंत्रिशतंअधिकंम। 34 तम्॥३॥ इत्यनुवाकसूत्राध्यायः॥ // समाप्तः // ExeKEEKRKE********KASMEMORSMOKEKRAM **MDMEMORRHOIDCOMMENDMEIGNORK For Private and Personal Use Only Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir MEMORYMEANIXICKNOMOMICROMOMONOMOMEMONOMKRICKEX श्रीशायनमः॥ मंडलंदक्षिणमक्षिहृदयंचाधिष्ठितंयेनशुक्लानियजू षिभगवान्याज्ञवल्क्योयतःप्रापतविवस्वंतंत्रयीमयमर्चिष्मंतम भिध्यायमाध्यंदिनीयेवाजसनेयकेयजुर्वेदाम्नायेसर्वेसखिलेसशु | क्रियऋषिदेवतछंदास्यनुक्रमिष्यामोयजुषामनियताक्षरत्वादेके / षांछंदोनविद्यतेष्टारऋषयःस्मर्तारःपरमेष्ठयादयोदेवतामंत्रांतर्भूता / श्यादिकाहविर्भाजस्तुतिक्षाजोवानः शाखोखाशम्योपवेषकपाले / ध्मोलूखलादयश्वप्रतिमाभूताछंदासिगायत्र्यादीन्येतान्यविदि For Private and Personal Use Only Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir EMEMOREKASIKKIMEREKKENOMEMOREIGNOMEMONOK त्वायोधीतेनुब्रूतेजपतिजुहोतियजतेयाजयतेतस्यब्रह्मनिर्वीर्ययात स. यामंभवत्यथांतराश्वगत्तैवापद्यतेस्थाणुंवर्छतिप्रमीयतेवापापीया भवत्यथविज्ञायैतानियोधीतेतस्यवीर्यवदथयोर्थवित्तस्यवीर्यवत्त / रंभवतिजपित्वाहुत्वेष्ट्वातत्फलेनयुज्यते॥१॥इषेत्वादिखंबह्मांतंवि। वस्वानपश्यत्ततः प्रतिकर्मविभागेनबाह्मणानुसारेणऋषयोवेदित व्याःपरमेष्ठीप्राजापत्योदर्शपूर्णमासमंत्राणामृषिर्देवावाप्राजापत्या / इषेत्वाशारखानुष्टुबिनियोगःकल्पकारोक्तएवमूर्जत्वावायवोवाय For Private and Personal Use Only Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir BIGIGINGREENOkkkkkk व्यंदेवोवरेंद्रंयजमानस्यशाषावसोर्वायव्यंद्यौर्मातरिश्वनउखाव सोर्वायव्यंदेवस्त्वापयःकामधुनःप्रश्नःसाविश्वायुस्त्रीणिगव्यानींद्र स्यद्रविष्णोपयः॥२॥योअग्नइदमाग्नेये। कस्त्वाप्राजापत्यकर्मणे / क्शूर्पप्रत्युष्टंदेराक्षसेउरुब्रह्मरक्षोनठसर्वत्रधूरसिधूर्दैवानांविष्णु स्त्वान उरुहविष्याऽअपहतठरक्षोयछंताम्हविष्यादेवस्यत्वासा वित्रठ-सर्वत्राग्नयेलिंगोक्तेभूतायत्वाहविःस्वःसूर्योदृठन्हंतांगृहाःपृ थिव्यास्त्वाहव्यंपवित्रेलिंगोक्तठन्सवितुर्दैवीः // प्रोक्षिताआपान्यग्न kkkkGEMEMORE* For Private and Personal Use Only Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir AO येलिंगोक्तेदैव्यायपात्राणि॥३॥ शर्मास्यदित्याःकृष्णाजिनमवधू 36 तठ राक्षसमद्रिावोलूखलेअग्नर्ह विव॒हत्सइमम्मौसलेहविष्कद | घिदेवतंवागधियज्ञंपत्नीकुंक्वटोवाग्वर्षवृद्धर्छन्शर्पप्रतित्वाहविःपरापू तमपहतठ-राक्षसेवायुर्वोदेवोवस्तंडुलाधृष्टिरूपवेषोपानआदेवजय / माग्नेयेध्रुवमसिषण्णांकपालान्यग्नेब्रह्माग्नेयंधिषणासिदार्षदंदिवःश / म्याधिषणोपलंधान्यमसिषंणाहविर्महीनामाज्यम् // 4 // सं| 36 बपामिहविः समाप आपंजनयत्त्यैत्वेदठन्हबिरिषेत्वाज्यंघर्मोसिषं / ***NEW KRKHEKAM*******MORMERI For Private and Personal Use Only Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir HOMORROMBIRMEREKHEKKREKKKHOYEACHEHEREMEMEXNG णांपुरोडाशस्वितायत्रयाणांत्रितोद्वितएकतःक्रमेणाददइंद्रस्यस्फ्यः पृथिविवेदिजंपुरीषवर्षतुवेदिर्बधानसावित्रमपाररुमररोप्रासुरेद्र / / प्सस्तेवेदिर्गायत्रेणत्रीणिवैष्णवानिसुक्ष्मात्रयाणांवेदिः पुरावशर्छ सोपश्यच्चांदमसीत्रिष्टुभंप्रोक्षणी:प्रैषोद्विषतःआभिचारिकमनिशि तःस्नुवोनिशितायुगदित्यैविष्णोर्योकमर्जेत्रयाणामाज्यठ सवितु / रापंतेजोसिधामाज्यं // 5 // कृष्णोसीध्मोवेदिबहिलिगोक्ते॥ दित्याआपविष्णोःपास्तरमूर्णंम्रदसंवेदिर्भुवपतयेत्रीण्याग्नेयानिगं Exck******CKHEKOR***EMEkkkkkkkkore For Private and Personal Use Only Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सू.अ धर्वस्त्रयाणांपरिषयोवीतिहोत्रंविश्वावसुराग्नेयींगायत्री ठसमिदा मेय ठ सूर्यस्त्वालिंगोक्त ठ सवितुर्विधृतीऊम्रदसमात्वापास्तरे घृताच्यसिबयाणांजुहपभृद्भुवाःक्रमेणाप्रियेणहविर्भुवा असदन्पाहि मविष्णवेअग्नेवाजजिदाग्नेयंनमोदैवस्वधापित्र्य सुयमेखुचावं | घिणावैष्णवंवसुमतीमाग्नेयमितऐंद्रश्संज्योतिषाज्यमयीदमाशीप तिग्रहणमुपहूताद्यावापृथिव्यम्॥ब्रह्मत्वंप्रतिष्ठांताबृहस्पतिरांगि रसोपश्यदग्नेष्ट्राप्राशिवमेततेवैवदेवमेषातेनुष्टुवाग्नेव्यग्नेवाजजिदा For Private and Personal Use Only Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नेयमग्नीषोमयोश्चत्वारिलिंगोक्तानिवसुभ्यस्खयाणांपरिधयःसंजा। नाथाव्यंतुप्रास्तरेमरुतांकपिर्बहतींपास्तरीमत्यः पाद आग्नेयोयंप / रिधिदेवल आग्नेयींत्रिष्टुभंविराडूपांयजुरंतामग्नेः प्रियंयजुःसठसव भागाःसोमसुक्ष्मोवैश्वदेवाविष्टुभंयजुरंता,स्वाहावाड्यजुर्घताची चौयज्ञनमः शृपयवमान्कृपिरुद्वालवांधानांतर्वानितिपंचायोय ज्ञोदेवतामेदब्धायोगार्हपत्योग्नयेदक्षिणाग्निः सरस्वत्यैलिङ्गोक्तंवेदो / सिवेदोदेवामनसस्पतिर्वातदेवत्यांविराजः संबहिलिगोक्तात्रिष्टुब्धि KKARXXXKKXXXNXXCOOK***KKKAkkk For Private and Personal Use Only Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir EMEENERNMEXXEMEXXXXXXEMEMOMCAERONACHAR राडूपाकस्त्वाप्राजापत्यठरक्षसाठराक्षसम्॥७॥अथयाजमानठसं / सू.अ वर्चसात्वाष्ट्रीत्रिष्टुब्दिविविष्णुस्त्रीणिवैष्णवान्यस्माद्भागोस्यैभूमिर / गन्मदैवठ-संज्योतिषाहवनीयःस्वयंभूःसूर्यस्यसौरेअग्नेगृहपतेमाह पत्यः सूर्य्यस्यसौरममइदमाग्नये // 8 // पितृयज्ञःप्रजापतेरार्षमग्न / येसोमायद्वेदेवेस्वाहाकारश्रुतेरपहता असुरंयेरूपाणिकव्यवाहनोनि ख्रिष्टुबत्रामीमदंतपित्र्यैनमोवः षड्लिंगोक्तानिपरेपिन्येआधत्तपि / न्यागायन्यूर्जमापिविराट् ॥९॥अग्न्याधेयंप्रजापतेराएं ॥देवाना / For Private and Personal Use Only Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मग्नेगंधर्वाणांवासमिधामेव्यश्चतस्रोगायच्यः समिधाविरूपआंगि रसः सुसमिद्धायवसुश्रुतस्तत्वाभरद्वाजोभूर्भुवः स्वस्तिस्रोमहाव्या हृतयोग्निवायुसूर्यदेवत्याःक्रमेणद्यौरिवयजमानाशालिगोक्तदेवता यंगौःसार्पराज्यस्तृचोगायच्योग्निःपरावररूपेणदेवता // 10 // अ ग्निहोत्रप्रजापतेराएं // मग्निोतिः सप्तलिंगोक्तदेवतागायच्या, द्याः पंचैकपदाअमिर्वर्णोद्वेतक्षापश्यत्परांजीवलश्चैलकिः // 11 // यजमानाग्न्युपस्थानबृहद्देवानामा // उपप्रयंतइत्यनुवाकआद्यद्वे **WERKHEREKKERFEREIORRHOMEREKK For Private and Personal Use Only Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सू.अ आग्नेय्योगायन्यावुपवत्यागोतमोराहूगणोमूर्द्धन्वत्याविरूपउभा 39 वांभरद्वाजऐंद्रामांत्रिष्टुभमयंतेदेवश्रवादेववातश्चभारतावाग्नेयीमनु / टुभमयमिहवामदेवोजगतीमस्यप्रत्नामवत्सारोगव्यांवाग्नेयीवाप | योदेवत्यांवागायत्रींतनूपाआग्नेयानींधानाआग्नेयींमहापंक्तिस्यव / साना॥ 12 ॥चित्रावसोरात्रिदेवत्यमृषयोपश्यन्त्सत्वमाग्नेयमंध स्थरेवतीःसठहितेतित्रीणिगव्यांन्युपत्वाग्नेयंतृचंगायत्रंमधुछंदावै | श्वामित्रोग्नेत्वंचतस्रोद्विपदा आग्नेयीबंधुः सुबंधुःश्रुतबंधुर्विप्रबंधुरे For Private and Personal Use Only Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaithong www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir EMOREKKEMONOMEWHEK**KOKNEE*****EKEXY कैकशइडेकाम्यागव्येसोमानबह्मणस्पत्यंतचंगायत्रबह्मणस्पतिम धातिथिर्वामहिवीणाठसत्यधृतिर्वारुणिरादित्यदैवतंतचंगायत्रंप थिस्वस्त्ययनंकदाचनेंद्रीपथ्याबृहतीमधुछंदास्तत्सवितुर्विश्वामि सावित्रींगायत्रीपरितेवामदेवआग्नेयीमनिरुक्तांगायत्रीं // 13 // क्षुल्लकोपस्थानमासुरेराएं।भूर्भुवः स्वःप्रवत्स्यदुपस्थानमागतोप स्थानंचादित्यस्यार्षनर्यगार्हपत्यःशठन्स्याहवनीयोथर्वदक्षिणाग्नि / रागन्माहवनीयोनुष्टुबयमाग्निन्यकुसारिणीबृहतीगार्हपत्योयमग्निर EMAIN**KKAKKKK*************** For Private and Personal Use Only Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org स. KKKREKKICKXEKAKKARNEKNOKMKARAMA न्वाहार्यपचनानुष्टुब्गृहामाविष्टुब्विराडूपायग्मषानुष्टुबुपहूतामहापं क्तिस्यवसनास्तिस्रोपिवास्तवीःशंयुर्हिस्पत्यः / 14 // चातुर्मा / स्यानिप्रजापतेराएं // प्रघासिनोमारुतीगायत्रीयद्गाममारुत्यनुष्टु बनिरुक्तामोषुणोगस्त्यऐंद्रामारुतीविराजमकंननिरक्ताग्नेय्यनुष्टुब वभृथयज्ञदैवतंपूर्णादविवे और्णवाऐंद्रयावनुष्टुभावक्षेद्वेगोतम / न्यौपंक्तीमनोनुमानसंतृचंबंधुर्गायत्रंवयठ-सौमींगायत्रींवंधुरेषतेढे 40 रौदेअवरुदर्छन्रौढ्यावेकापंक्तिरपराककुत्र्यंबकंडेअनुष्टुभौपूर्वस्यां | MEXRMEREMEMORRHOICEKKIMEMOMEMOKOMMA For Private and Personal Use Only Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobairth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वसिष्ठएतदास्तारपंक्तिस्यायुषनारायणउष्णियजमानाशीर्षठशि वोनामक्षौरंनिवर्तयामिलिंगोक्तदैवतमाशीःप्रायम् // 15 // अग्नि टोमःप्रजापतेराएं // एवंद्वे अत्यष्टीत्यवसाने आद्यावर्द्धचौंदेवयज नदेवत्याविमाआपओषधेकुशतरुपास्वधितेक्षौरमापोऽअस्माना पंदीक्षातपसोर्वासोमहीनांनवनीतंवृत्रस्यांजनंचित्पतिर्दृप्राजापत्ये देवोमासावित्रमावोदैव्यनुष्टुबासीस्वाहायज्ञंचतुर्णायज्ञआकृत्यैच / तुर्णामौद्गृष्णानामग्निरापोदेवीलिंगोक्तदेवताविराट् // 16 // विश्वो / KHEEREMOREXMARRIORGICK*KKKIEWEREKAMMONENOMICS For Private and Personal Use Only Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir म ***********ROOMK AHA देवस्यस्वस्त्यात्रेयः // सावित्रीमनुष्टुभमृक्सामयोःकृष्णाजिनेश मासिकृष्णाजिनमूर्गस्यांगिरोभिदृष्टंमैखलठ-सोमस्यनीविर्विष्णो सिइंद्रस्यसुसस्याःकृष्णविषाणोच्छ्रयस्वदंडोवतंयज्ञोदेवीधीर्ये | देवावाक्प्राणोदानौचक्षुःश्रोत्रमध्यात्ममनिर्मित्रावरुणावादित्योवि / श्वेदेवाधिदैवत ठश्वात्राआपोजगतीयंतेलोष्टमपोमूत्रंपृथिव्या लोष्टमनेत्वमाग्नेय्यनुष्टुप्पुनर्मनआग्नेयंत्वमग्नेवत्सआग्नेयींगायत्री रास्वेयत्सौम्यमेषातहिरण्याज्यदैवतंजूरसिवाग्दैवत ठशुक्रमसि / CORREKKICICICIRMCIEKCIEKHEROEMEROICICIA* ***** For Private and Personal Use Only Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir *AMERKIN**ikkkkkGREEKkKR** हिरण्यंचिदसिगौःसोमक्रयणीवापाध्यारोपकल्पनया १७।वस्थ्य स्यनुष्टुप्वृहतीवासोमकयण्यास्तुतिरदित्याआज्यमस्मेषण्णांलिं गोक्तादेवताःसमख्येपन्याशीरास्तारपंक्तिरेषतलिंगोक्तदेवतमा स्माकोसिसौम्यमभित्य ठसावित्र्यष्टिःप्रजाम्यस्त्वापजास्त्वा शुक्रत्वासौम्यानिसग्मेस्मेलिंगोक्ततपसोर्बुजा.सोमोमित्रोनइंद्र स्यसौम्येस्वानादीनिधिष्ण्यानामानिपरिमाग्नेयीपुरस्तादृहतीप्रति / पंथामनुष्टुप्पथिदेवत्यादित्याःकृष्णाजिनमदित्यैसौम्यमस्तनात्रि For Private and Personal Use Only Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir EXICICIONCICICIRMANEEEKK*** ष्टुभौवारुण्यौसूर्यस्यानुष्टुपकृष्णाजिनमुखावूख़बृहत्यानडुहीम दोमेसौम्यंनमोमित्रस्याभितपनःसूर्यःसौरीजगतींवरुणस्यपंचवा रुणानियातेसौमींत्रिष्टुभंगौतमः१८अग्नेस्तनूरसिपंचवैष्णवान्य। मेः शकलंवृषणादर्भतरुणैकेउर्वश्यसित्रयाणांलिंगोक्तादेवतागाय | णत्रीण्याग्नेयानिभवतंनःपंक्तीरग्नावनिर्विराडेतयोनिर्मथ्याहवनी / यावग्नीदेवतेआपतयेवायव्यमनाधृष्टमाज्यमग्नेत्रतपाआग्नेयमठशार ठशुःप्रकृतिश्चतुरवसानासौम्यंत्योर्द्ध!लिंगोक्तदैवतोयातेत्रीण्या For Private and Personal Use Only Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir KARkRNMENKAKNOK************* मेयानितप्तायनीचत्वारिपार्थिवानिविदेदाग्नेयमनेअंगिरोयोस्यामनु / त्वालिंगोक्तानिसिध्यसित्रयाणांवेदिरिंद्रघोषश्चतुर्णामुत्तरवेदिरि / दमहमापर्छ सिधंद्यसिपंचानांवाग्भूतेभ्यःस्रुग्ध्रुवोसिपरिधयखया / णामग्नेःसंभारागुल्गुल्बादयः॥१९॥धुंजतेश्यावाश्वः // सावित्रींज गतीमिदंविष्णुर्मेधातिथिर्वैष्णवींगायत्रीमिरावतीवसिष्ठस्त्रिष्टुशंदे वश्रुतावक्षधुरौपाचीस्वंगोष्ठमत्रहवि नेविष्णोर्नुतिस्रोवैष्णव्य / ख्रिष्टुभआद्यद्वेयजुरंतेविष्णोर्नु प्रतदीर्घतमाओतथ्यो विष्णोरराटं For Private and Personal Use Only Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स.नु. पंचवैष्णवान्याददेनिरिदमहर्छ रक्षोभंबृहन्नौपर्वाणीदमहपंचलिं 43 गोक्तानिस्वराडस्यौपर्वाणिचत्वारिरक्षोहणोवःसप्तवैष्णवानियवो || सियवोदिवेत्वौदुंबरीशुधंतापित्र्येउदिवपंचानामौदुंबरिघृतेनद्यावा | पृथिव्यमिंद्रस्यद्रंपरित्वामधुच्छंदाअनिरुक्तामैंद्रीमनुष्टुमिंद्रस्य | दाणित्रीणिचतुर्थवैश्वदेवम् // 20 // विभूरस्यष्टानांधिष्ण्याअग्न यः // संम्राडाहवनीयः परिषद्योबहिष्पवमानदेशोनोसिचात्वा लोमृष्टोसिशामित्रतधामौदुंबरीसमुद्रोसिब्रह्मासनमजोसिशा K****************** For Private and Personal Use Only Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ******** ** ** लाद्वार्थोहिरसिमाजहितोवागसिसदऋतस्यद्वार्थेअध्वनाथसूर्योमि वस्यविजोग्नयोधिष्ण्याः॥२१॥ज्योतिरसिवैश्वदेवं // त्वठसो मक्रतुर्भार्गवःसौमींगायत्रीमनवसानांजुषाणो अप्तुदेवत्यैकपदावि राड्यजुरंताग्नेनयागस्त्य आग्नेयींत्रिष्टुभमयन्नस्त्रिष्टुब्यजुरंताग्नेय्युरु / विष्णोवैष्णव्यनुष्टुव्यजुरंतादेवसवितः सावित्रमेतत्त्व ठ सौम्य स्वाहानिलिगोक्तदेवतामनेत्रतपाआग्नेयमत्यन्यान्वनस्पतिरोषधे / कुशतरुणस्वधितेपरशु_मातस्त्वंवनस्पतिः // 22 // अग्रे / * KKAKKK**** For Private and Personal Use Only Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir म kkXXIMEA** णीःशकलं // देवस्त्वायूपःसुपिप्पलास्यश्चबालंखामग्रेणयूषोया दीर्घतमायूपदेवत्यांत्रिष्टुअंबह्मवनिब्रह्मठ हयूपदेवत्येविष्णोः क जाणिवेमेधातिथिर्वैष्णव्योगायत्र्यौपरिवीयूंपोदिवस्वरुरेषनेयपउ पावीस्तृणमुपदेवांलिंगोक्तमृतस्यत्वापशुरग्नीषोमाश्यांलिंगोक्तम | योपांपशुरापोदेवीरापर्छसंतपशुपतेनस्वरुशासौरेवतीवाग्वतृण स्वाहादैवे ॥२३॥माहि रज्जुनमस्तेयज्ञोदेवीरापोर्द्धमापमई माशीचिंतेमनस्तेपशुः शंलिंगोक्तमोषधेतृणध्वधितेसीरक्षसां REAK*******ORNOKMARKE **** ** *** 1 * *** * For Private and Personal Use Only Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir EXEKK************************** लिंगोक्तंनिरस्तमिदमहठरक्षोहणीघृतेनद्यावापृथिव्यवायोवाय व्यमनिराज्यस्याग्नेयर्थस्वाहारुतेवपाश्रपण्याविदमापापीमहा पंक्तिस्यवसानापावमानश्चात्यःपादःसंतेहृदयठरेडसिवसाप्रयुतं लिंगोक्तंघृतंवैश्वदेवंदिशःपंचदिश्यान्द्रःप्राणः पश्वंगः प्राणदानं लिंगोक्तंदेवत्वाष्ट्रीविष्टुप् ॥२४॥समुद्भलिंगोक्तानिद्वादश // दिवंते / / स्वरुर्मापोहद्वयशूलंधानोधानोवारुणंयदाहुवर्वारुणीगायन्यनवसा / नासुमित्रियानआपर्छ हविष्मतिलिगोक्तदेवतानुष्टुबग्नेर्वश्चत्वार्यापा ***********OOKkKMEHOMEWAMICR**** For Private and Personal Use Only Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org www.kobalth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir y - न्यमूरापोंगायत्री मेधातिथिहृदेत्वासौम्यनुष्टुप्सोमराजन्त्सौम्ये शृणोतुलिंगोक्तदेवतात्रिष्टुम्देवीरापऽआपीपंक्तिःकार्षिराज्यमनुष्टु / प्समुद्रस्यसमापापेथ्यमग्नेमधुच्छंदाआग्नेयींगायत्रीमाददेग्रावा निग्राभ्याआपमिंद्रायत्वापंचसौम्यानियत्तेसौमीविपरीताबृहती वाचाःपथ्याबृहतीमाः सौम्यमद्धंद्यावापृथिव्यमर्द्धप्रागपाक्सौ म्युष्णिकत्वमंगगोतमरेंद्रीपथ्याबृहतीम् ॥२५॥वाचस्पतयेप्राणदे 45 वत्याविराट् // मधुमतीलिगोक्तंयत्तेसौम्यर्थस्वाहोरुयजुषीलिंगो KHECKMERCEMEMOK**KOM/*SCIEMEMOREMOKA For Private and Personal Use Only Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobarth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir XEMOREKKRWEEKKEKK**KKKNORKEREMONMMOMEN क्तेस्वांरुतोस्युपाशुदेवेश्यस्त्वादेवंदेवाशोलिंगोंक्तमाभिचारि कंप्राणायाग्रहोव्यानायउपाशुसवननउपयामगृहीतोस्यंतरेंद्रमंत | स्तेमघवदेवत्यात्रिष्टुबुदानायग्रहआवायोवसिष्ठोवायव्यांत्रिष्टुभमि वायूमधुछंदाऐंद्रवायवींगायत्रीमयंवांगृत्समदोमैत्रावारुणीठरा | यावयंत्रसदस्युत्रिष्टुभयावांमेधातिथिराश्विनींगायत्रींतपत्नथाव | सारःकाश्यपोवैश्वदेवीजगतीमच्छिन्नस्यसौम्यठ-साप्रथमैंद्रीत्रिष्टु / प्तृपंत्वयाडनालिंगोक्ते // 26 // अयंवेनोवेनस्यत्रिष्टुप्सोमस्तुति *KEKKXEk********EMOCRICKERMERO For Private and Personal Use Only Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org www.kobaith.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ******* सनु रविदैवतमधियज्ञंचमनोनत्रिष्टुप्सोमस्तुतिरधियज्ञानुवादिन्यपम् / सू.अ ४६ष्टःशंडोपमृष्टोमर्कआभिचारिकेदेवास्त्वाशुकामंथिनावनाधृष्टासि दक्षिणोत्तरवेदिश्रोण्यौसुवीरःसुप्रजाःशुक्रामंथिनौनिरस्तोद्वेआभि चारिकेशुक्रस्यमंथिनःशकलंयदेवासःपरुच्छेपोवैश्वदेवींत्रिष्टुनमा || ग्रयगोसिलिंगोक्तदैवतम्२७सोमःपवतेवैश्वदेवमिंद्रायत्वापंचलिं गोक्तानिमूर्धानंभरद्वाजोवैश्वानरीविष्टुभंध्रुवोसिध्रुवोधुवंध्रुवेणबृह तीपूर्वार्द्धर्बोधौवउत्तरऐंद्रीयस्तेदेवश्रवाःसोमांत्रिष्टुभंयजुरंतांदेवानां ***** ****** ******* **** ****** For Private and Personal Use Only Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir *********kokkkkkkkkkkkkim चात्वालदैवतं प्राणायमेलिंगोक्तदेवतान्येकादशकोसिप्राजापत्यो ष्णिग्वर्द्धमानामधवेत्वालिंगोक्तदेवतानित्रयोदश // 28 // इंद्रामी विश्वामित्रऐंद्रानीगायत्रीमाद्यत्रिशोकआदीमोमासोमधुच्छंदा वैश्वदेवींविश्वेदेवासोगृत्समदइंद्रमरुत्वश्चतस्रोविश्वामित्रऐन्द्रामा | रुतीखिष्टुभोमरुतांत्वायजुर्मरुत्वतीयंमहाम् // इंद्रोभरद्वाजोमाहें दीविष्टुभयओजसावत्सोगायत्रीमुदुत्यंप्रकण्वः सौरींगायत्रींचित्रं कुत्सांगिरसस्त्रिष्टुमठ रूपेशवोदक्षिणाश्चतुर्णा ब्राह्मणमद्यलिंगो ***KARKKRAK*****KICKAKKAKKKK* For Private and Personal Use Only Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirtm.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir *#*** स.नु. क्तदेवतान्यष्टौ // 29 // विष्णोवैष्णवंकदाचनादित्यदेवत्येव / 47 हत्यौयज्ञोदेवानांकुत्सस्त्रिष्टुभविवस्वन्यजुःश्रदस्मैजगत्याशीर्वाम | मद्यभरद्वाजोबार्हस्पत्यःसावित्रींत्रिष्टुभ ठसावित्रोसिसावित्रठ सु। शर्मासिवैश्वदेवंबृहस्पतिसुतस्य लिंगोक्तमहंप्रजापतिरूपेणाऽs | त्मादेवताविष्टुषग्ना३ इपत्नीवन्नाग्नेयंप्रजापतिः॥प्राजापत्य ठह रिरस्पृक्सामेहोर्यस्तलिंगोक्तेदेवकृतस्याऽऽमेयानिषट् ॥३०॥स मिन्द्रात्रिर्वैश्वदेवीं त्रिष्टुभंधातालिंगोक्तबहुदेवत्यासुगावोदेवी EMEMOICROMEMORCMOMEMORCMOMCKMEMORMACISMENOMOMM** * * ** For Private and Personal Use Only Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir CMOMEKICROMANOKNENEWSMOKEKOKEME*EXMOREkMONMENT या|आवहोवयमाग्नेय्यौयज्ञयज्ञमेषतलिंगोक्तेयजुषीउरु ठहिशु नःशेपोवारुणींत्रिष्टुनमोवारुणममेरनीकमाग्नेयीविष्टपुसमुद्रेते सौमीविरादेवीरापःपंक्तिबृहतीवापूर्वोऽर्द्धर्चापउत्तरः सौम्योदेवा नामाग्नेयमेजतुव्यवसानामहापंक्तिर्यस्यैतेवशापुरुदस्मोग मरु तोयस्यगोतमोमारुतीगायत्रीं महीद्यौर्मेधातिथिर्यावापृथिव्यामि / त्यग्निष्टोमः॥३१॥अथषोडश्यातिष्ठगोतम ऐन्द्रीमनुष्टुभयुक्ष्वाहि / मधुछंदाइंद्रमिदोतमोयस्मान्द्रीविष्टुप्परब्रह्मरूपेणषोडशिनस्तति *OKMEE***XMOMGIOMANCIEWOMEKKMEMEMEICK NOKAR For Private and Personal Use Only Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * सू.अ AMERIKEKOREKK************** रिंद्रश्चैद्रावारुणीपोडशिदेवत्यावायजुरंतामेपवस्ववैखानसआग्ने यींगायत्रीमुत्तिष्ठन्कुरुस्तुतिरेन्द्रीमधेप्रस्कण्वःसौरीतिस्रोपियजु | रन्ताउदुत्यंदेवानामार्षमाजिघेडेकौसुरूबिदुर्गव्येमहापंक्तिप्रस्तारपं | तीविनःशासोभारद्वाजऐन्द्रीमनुष्टुभवाचस्पतिवैश्वकर्मणीविष्टुभं / विश्वकर्मन्दीवैश्वकर्मण्यग्नयेत्वादेवार्षण्यदाभ्यदेवत्यानिधेशीनां त्वासौम्यानि ॥३२॥सत्रोत्थानं देवानामार्षमिहरतिःपशुदैवतम् / पसृजन्नुष्णिगामेयीसत्रस्यबृहतीयजमानानामात्मस्तुतिर्युवंतंपरु (****EKKKKKK************* For Private and Personal Use Only Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir kikik REMEMEkkkkkkk***ECENE**** छेपऐंद्रीमत्यष्टिव्यवसानामाधोईर्चरेंद्रापार्वतः परमेष्ठीनैमित्तिका न्याध्यायाइसिष्ठस्यालिंगोक्तदेवतानिचतुखिठशधयोर्वैष्णववा रुणी त्रिष्टुब्देवांदिवमाशीलिगोक्तदेवताश्चतुसिठशदर्मदेवत्यापं | तित्रिष्टुब्बायज्ञस्ययज्ञदेवत्यात्रिष्टुवापवस्वसौमींगायत्रीं नैध्रुविः कश्यपः॥३३ ॥अथवाजपेयोबृहस्पतेरार्ष // इंद्रस्यचदेवसवितः सावित्रीत्रिष्टुप्ध्रुवसदमैंदाणित्रीण्यपाठरसदेवत्यानुष्टुब्याहालिंगो / क्तदेवतानुष्टुप्संपृचौयजुषीन्द्रस्यरथोवाजस्यपार्थिव्यतिजगत्यंत्यः ************************** For Private and Personal Use Only Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ** स.न. पादःसावित्रोऽप्स्वन्तरवदेवत्यानवसानापुरउष्णिग्वातोवातिस्रो मू.अ. वस्तुतयउष्णित्रिष्टुजगत्योवाजिनोश्वादेवस्याहंलिंगोक्तानिवा / जिनोश्वाएषस्यद्वेदधिकावावामदेव्योश्वदेवत्येजगत्यौशन्नोवसि ठोविराजतेनोनाभानेदिष्ठोजगतींवाजेवाजेवसिष्ठत्रिष्टुनमामाषा जापत्यांवाजिनोश्वाः ॥३४॥आपयआयुर्यज्ञेनप्राजापत्यानिप्रजा / पतेःस्वरमृतायजमानोस्मेदिशोनमः पृथिवीयमासंदीयंतासुन्वन्वा 49 जस्यप्राजापत्यंतृचत्रैष्टुभठ-सोमंतृचंतापसऽआद्यावैश्वदेव्यनिरुक्ता / KKHEKKEECHEME*************** KKAKKKKKKKX**KKKERFORMIKMEMONEY For Private and Personal Use Only Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मनुष्टुद्धितीयालिंगोक्तदेवतातृतीयाऽऽमेयीपनोलिंगोक्तागायत्रीसर स्वत्यैसुन्वन्नग्निःसप्तदशलिंगोक्तदेवतानि॥३५॥अथराजसूयोवरु णस्याएं // एषतेपार्थिवमग्निनेवेश्योदेवार्षाण्याध्यायादशाद्यानिदै। वान्यग्नेसहस्वदेवश्रवादेववातश्वभारतावाग्नेयीमनुष्टुभमुपाठ शो स्त्रीणिरक्षोमानिसविताद्वेषजमानः॥३६॥आपोदेवाआपीत्रिष्टुप्॥ ष्णम्मिालगोक्तानिमधुमतीरनाधृष्टाापसोमस्यचर्मानयेलिंगो तान्यनिअष्टमापठन्सधमाधोवारुणीत्रिष्टुपक्षत्रस्यचतुर्णातार्पयां KARKNEHCHECENEKKKKAKKMEHEMEKKKEEEKK KEKARMEREKKKHERIERREKKEkkkkkkkkk For Private and Personal Use Only Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir डाधीवासोष्णीषाणींद्रस्यधनुम्मित्रस्यवाहूत्वयायधनुर्हबाषणामि * मू.अ. 50 षवआविःप्राजापत्यपराणिलिंगोक्तानि॥ ३७॥अवेष्टामृत्युनाश नं // प्राचीपंचानायजमानःप्रत्यस्तमासुरंमृत्योरोजोसिरुक्मोहिर ण्यरूपौमैत्रावरुणीविष्टुब्यजुरन्तासोमस्यसुन्वन्प्रपर्वतस्यापीविष्टु | विष्णोस्त्रीणिलिंगोक्तानिसुन्वन्प्रजापतेनप्राजापत्याविष्टुब्यर्जुम | ध्योयममुष्यजूरुद्रयद्रौद्रं // 38 // इंद्रस्यलिंगोक्तानि // मातेसं / वरणः प्राजापत्यऐंद्रींत्रिष्टुभमनयेलिंगोक्तानिपृथिविमातर्भूमिर्ह ठ BIGINEEMEMEREKKKRIEWEREMOMEKIMEHEMEMOIRI For Private and Personal Use Only Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir **** **** ** ************** www.kobatirth.org सोवामदेवः सौरीठसप्रपंचपरब्रह्माभिधायिनीमतिजगतीमियच्छ तमानावूर्गसिशाखेन्द्रस्यवाहस्योनास्यासंदीक्षत्रस्याधीवासठ | स्योनार्डन्सुन्वन्निषसादशुनःशेपोवारुणींगायत्रीमभिभरस्यक्षायज / मानोवाब्रह्मस्त्वमामंत्रणानिपंचलिंगोक्तानींद्रस्यस्फ्योग्निःपृथुरा / नेयठन्स्वाहाकृताअक्षाःसविवालिंगोक्तदैवतम्३९॥अथचरकसौ / बामण्यश्विनोराएं // अश्विायांत्रीणिलिंगोक्तानिवायुःसौमीगाय वीकुवितृच सुकीर्तिःकाक्षीवतश्राद्यासौम्यनिरुक्तात्रिष्टुब्युवमनुष्टु For Private and Personal Use Only kkk**** ************** **** Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मू.अ प्पुत्रमिवत्रिष्टुवश्विसरस्वतींद्रदेवत्येअश्विसरस्वतींद्रदेवत्ये॥४०॥ 51 इतिसर्वानुक्रमणिकायांप्रथमोऽध्यायः॥१॥ अथाग्निंप्रजापतिरप / श्यत्॥साध्यावापश्यन्सोनिःपंचचितिकःप्रथमाचितिःप्रजापतोईि / तीयादेवानांतृतीयेंद्राग्योर्विश्वकर्मणश्चतुर्वृर्षीणां पंचमीपरमेष्ठि नोऽथ प्रतिकर्मशिनो युजानोष्टौसावित्रा णिसवितापश्यदाद्यातृती याचानुष्टुपचतुर्थीषष्ठयोजगत्यौ द्वितीयागायत्रीपंचमीत्रिष्टुबिमं / 51 नोयजुरंतागायत्र्यनवसानाददेनिहस्तेनुष्टुव्यजुरंता॥१॥तूतनाभा / 长条类来表米类米类來婆裝茶表表亲表亲表亲表亲密来港谋杀案事 For Private and Personal Use Only Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir MEMORCHER****************kok***WXX नेदिष्ठः ॥आश्वीमास्तारपंक्तियुजाथांकुश्रिार्दभींगायत्रीयोगेयो गेशुनःशेपआजींप्रतूर्वत्रिष्टुबूविराडूपायजुर्ग रुयजुःपृथिव्यास्त्री / ण्याग्नेयान्यन्वग्निराग्नेयींविष्टुभंपुरोधसआगत्यमयोभुवआश्वीमनु / टुभमानम्याऽनुष्टुप्द्यौस्तेबृहत्युत्क्रामविराडुदक्रमीत्रिष्टुवात्वा / समदआग्नेय्यौपरिसोमकोगायत्रीपरित्वापायुरनुष्टुभत्वमग्नेगृत्सम / दोजगती॥२॥पृथिव्याआमेय।।अपांपुष्करपर्णठवराटेक्तिःशर्मद्वे अनुष्टुभौऋष्णाजिनपुष्करपणेपुरीष्योमिस्त्वामनेतृचंभारद्वाज MAMKAKKKHE*********NEK***** For Private and Personal Use Only Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सनु / आमेयंगायत्रन्सीदहोतर्देवश्रवादेववातश्चत्रिष्टुभंनिहोतागृत्समदः / सू.अ. सठन्सीदस्वमस्कण्वोबृहतीम् ॥३॥अपोदेवीः / सिंधुद्वीपआपीन्यं / कुसारिणी ठ-संतेत्रिष्टुप्पार्थिवोझैवायव्योर्द्ध:सुजातोनुष्टुवाग्मेव्यु दुतिष्ठविश्वमनाःपथ्याबृहतीमूर्द्धःकण्वउपरिष्टाहतीठ-सजातस्त्रि / तस्विष्टुभर्छस्थिरोरासभेव्यनुष्टुवुष्णिग्वा शिवोभवाजीपथ्याबृह तीप्रैतुलिंगोक्तमहापंक्तिस्यवसानाग्नेगायन्येकपदाग्नेय्यतमग्निमा / मेये ओषधयस्त्रिष्टुबनुष्टुभावोषधिदेवत्ये व्यस्यन्नानेयोर्द्ध!विपा *HEKKECEK****kkkkkORGREERIEkkimel ******** For Private and Personal Use Only Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www birth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit RKKHEMOVEMEMEMEMONOKARIOCKOREKHAKHEMEMENON जसोत्कीलः कात्यआग्नेयींत्रिष्टुअं४ आपोह्यापर्छसिंधुद्विपस्तृचंगा यमित्रउपरिष्टाहतीमैत्रीरुद्रा अनुष्टुब्रौद्रीसठ-सृष्टां देसिनीवा लीदेवत्येउखामादित्यामखस्यमृत्पिडोवसवस्त्वालिंगोक्तानिसर्व वादित्यैरास्नादितिरौपंकत्वायादित्योष्णिगदितिरावटंदेवानांपंचौ | खानिमित्रस्यविश्वामित्रोमैत्रींगायत्रीदेवस्त्वासावित्रीबृहत्युत्था | यपूर्वार्द्धर्चऔषउत्तरोमैत्रः // 5 // आपूर्तिलिंगोक्तान्यौद्भणानि / मास्वौख्यौगायत्रीत्रिष्टुभावग्निश्चपादाअाग्योदूनः सोमाहुति For Private and Personal Use Only Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स.नु Wikkkk***************INIKETAKAR राग्नेयींगायत्री परस्याविरूपऽआंगिरसःपरमस्याऽआरुणिरनुष्टुभं यदग्नेद्वेजमदग्निरहरहर्नाभानेदिष्ठस्त्रिष्टुभौयाःसेनाअनुष्टुभःसर्वाआ मेव्योंत्योपरिष्टाहती // 6 // दृशानोवत्सपी // त्रिष्टुभठरौक्मी / नक्तोषासाकुत्सऽआग्नेयींविश्वाश्यावाश्वःसावित्रीजगतीठ-सुपर्णः कृतिश्चतुरवसानागारुत्मी विषनी विष्णोलिगोक्तान्यक्रदद्वत्सप्री। रामेयींत्रिष्टुभमग्नऊर्ध्वबृहत्यग्नेमहावृहतीपुनर्गायत्र्यावात्वाध्रुवोनु / टुसमुदुत्तमठशुनःशेपोवारुणींत्रिष्टुभमत्रितत्राग्नेयी ठहर्छन्सउ ********************** E*** For Private and Personal Use Only Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir EMACHINGlkkk***************** ताजगतीहयजुरन्तांतेबृहयजुः सीदत्वमाग्नेयीत्रिष्टुअंतरग्रेनुष्टुभौ // 7 ॥दिवस्पर्याग्नेयंत्रैष्टुभं // द्वादशचैवत्सप्रीलिंदनः समिधा निंविरूपाक्षआंगिरसप्राग्नेयंगायत्रमुदुत्वातापसोनुष्टुझं प्रेइनुष्टुप्प्र / प्रायमाग्नेयींवसिष्ठस्यचिटुममापोदेवीराप्यप्स्वग्नेविरूपऽआग्नेयीं। गायत्रीग असितिखोनुष्टुभोबोधामेदीर्घतमास्त्रिष्टुम सबोधिसो माहुतिराग्नेयी यजुरंतांगायत्रीयजुर्वैश्वकर्मणपुनस्त्वात्रिष्टुबाग्ने यी॥८॥ अपेतलिंगोत्तबहुदेवत्या // संज्ञानमूषदेवत्यमग्नेः सिक Homema For Private and Personal Use Only Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सू.अ. ताश्चितः परिश्रितोयसः पंचर्चमाग्नेयंत्रैष्टुभंविश्वामित्रश्चतुर्थ्यनु / टुबयंतेनुष्टुत्त्विदेष्टकेलोकंलिंगोक्तानुष्टुप्ताअस्यापींद्रियमेधऐंद्रइंदं / जेतामाधुछंदसऐंद्री समितच्चतस्रोद्यग्निदेवत्याउष्णिगुपरिष्टाह / त्युष्णिपंक्तयोमातेवोखास्तुतित्रिष्टुप् // 9 // असुन्वंतंनैर्ऋतंतृचं त्रैष्टुभं // यंतेयजमानदेवत्यानमोविरातिदेवत्येकपदानिवेशन आमेयींत्रिष्टुभंविश्वावसुदेवगंधर्वः सौरादेसीरदेवत्येबुधः सौम्यो / गायत्रीत्रिष्टुनौशुनंचतस्रःसीतादेवत्याः कुमारहरितोद्वेत्रिष्टुनौतृती! E**KKEEKEEK*********KKKK**** For Private and Personal Use Only Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir KR***** यापंक्तिश्चतुर्थ्यनुष्टुचिमुच्यध्वमानडुहीगायत्रीसजूलिगोक्तदेवतं // १०॥याऽओषधीःसप्तविठशतिरनुष्टुभऽश्रोषधिस्तुतिमाथर्वगो भिषमुचंतुबंधुादशानारायाधीतामामाहिरण्यगर्भःकायांत्रिष्टुभ मायावतस्वोष्णिगामेव्यग्नेयद्वायत्रीयं त्रिष्टुबग्नेतवपावकोग्निराग्ने यठषडचंप्रथमेविष्टारपंक्तीतिस्रःसतोबृहत्यउपरिष्टाज्योतिःषष्ठया / प्यायस्वगोतमः सौम्योगायत्रीविष्टुबुष्णिह आतेवत्सारस्तुष्यंता देविरूपस्तिस्रोगायन्यआमेय्यय्यो॥११॥ मयिककुबाग्नेयी॥ब HENXNX*********** For Private and Personal Use Only Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सनु ह्मादित्यदेवत्यात्रिष्टुभिरण्यगर्भोहिरण्यगर्भः कायींत्रिष्टुभंद्रप्सोदेव मू.अ. श्रवाआदित्योनमोस्तुसाप्यंतृचमानुष्टुभंकृणुष्वपंचप्रतिसराराक्षो| मादेवानामार्षर्छन्सर्वाखिष्टुभआग्नेयीर्वामदेवश्चापश्यदनेष्ट्वायजुरामे यमिंदस्यदभुवत्रिशिराआमेयींत्रिष्टुभं॥१२॥ध्रुवास्यूबृहती // जापतिरनुष्टुप्रसिप्रस्तारपंक्तिरसाठस्वयमातुपादेवताविश्वस्मा / इत्येतस्यचयजुषःकांडाकांडादानुष्टुभयचमशिनादृष्टंदूइँष्टकादेव तंयास्तआग्नेयंढ्यचमानुष्टुभमिंदाग्निभ्याटपिराडयंलोकःस्वरा ICKMAKHEEMEICICICK***MEE*******Kk RKKXKXKkkkkkkkKKKKKKAKEREKA For Private and Personal Use Only Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaithong www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir KOKAXX********************* डसौलोकःप्रजापतिष्ट्वाविश्वज्योतिषमधुश्चतुदैवतमषाढासिसवि तापश्यदेवावापश्यनिष्टकादैवतं॥१३॥मधुबातावैश्वदेवंतृचंगायत्रं / गोतमोपांगंभन्पंक्तिस्त्रीन्समुद्रांखिष्टुप्कौऱ्याद्व्यूचंध्रुवासित्रिष्टुविषे बृहत्यौरवंचमग्नेयुक्ष्वाग्नेयंयचंगायत्रमाद्यायांभरद्वाजोद्वितीय | स्यांविरूपःसम्यत्रिष्टुग्लिगोक्तदेवतर्चेत्वाबृहत्यग्निोतिषोष्णि गादित्यंगर्भपंचर्चमाग्नेयं त्रैष्टुभमिमंमापंचर्चमाग्नेयंवैष्टुभमेवद्वेवेचां तेयजुषीत्वंयविष्ठोशनाःकाव्यआग्नेयीमनिरुक्तांगायत्रीमपांत्वावि MKAMGAMMINEKEKKINEKHEENEMEMOCRACKEKKKNEK! For Private and Personal Use Only Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सु.अ. सद्ध ENOMIRMIRGAONOMEHEKHAMOKACKWIKENCONGREMCHEMEEMARK ठशतिरैष्टकान्ययंपुरः पंचाशत्प्राणभृदेवत्यानिलोकताइंद्रतिस्रःप्र तीकोक्ताएवठ-सर्वत्र॥१४॥अथद्वितीयाचितिः॥ध्रुवक्षितिःपंचा। श्विन्यस्तासांप्रथमाविराट्तस्रष्टुिभोयजुरंताःशुकश्चर्तव्य ठस / जूःपंचविश्वेषांदेवानामार्ष ताएवदेवताःप्राणमेपंचवायव्यान्यपः / पंचापानिमूवियएकोनविठशतिलिगोक्तदेवतानि // 15 // अथतृतीयेंदानीअनुष्टुप्॥ ॥पूर्वार्द्ध-ऐंद्रामउत्तरः स्वयमातृणादे वतोविश्वकर्मावायव्यठरायसिपंचदिग्देवत्यानि विश्वकर्मावा XNKEMOMENEMIKK**EREKKRKEEKHOMEHEKHEMEHEK: For Private and Personal Use Only Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir MOMOMEMOMOREMEMEMORERNEKHOMEMCKNEKHEKK KONE यव्यंनमश्चेषश्चर्तव्ये आयुर्मेदशलिंगोक्तदेवतानिमाछंदश्चषदिठश न्मानुष्टुव्यंत्रीपरोष्णिक्चतुर्दशयजूठषिप्राणदेवत्यानि // 16 // अथचतुर्थ्याशुरष्टादशाग्नेर्दशैकयासप्तदशसर्वाणि लिंगोक्तदेवतानि / सहश्चर्तव्यं // 17 // अथपंचम्यनेजातानाग्नेय्यौत्रिष्टुऔषोडशीच / तुश्चत्वारि ठ शोलिंगोक्तेअग्नेत्रिष्टुवेवश्चत्वारिठशदश्मिनैकान्नति / ठशदाइयसिपंचायंपुरःपंचैतानिसर्वाणिलिंगोक्तदेवतानि॥१८॥ अनिर्मू‘ग्नेयोनुवाकः // प्रथमस्यूचोगायत्रोद्वितीयस्खैष्टुभौभुवस्तृ #*NMEMOMOKESMOKERNMEX***OMERMEKKNOM For Private and Personal Use Only Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सू.अ. स.नु. तीयोजागतोऽयमिहचतुर्थआनुष्टुभःसखायःसंपंचमःप्रगाथएना वस्तवपूर्वाबृहतीसतोबृहत्युत्तराताभ्यांतिस्रोबृहत्यः संपादिताः षष्ठ औष्णिहोनेवाजस्यगोतमःसप्तमःपुनःककुभः प्रगाथोभद्रोनस्तत्रपू किकुप्सतोबृहत्युत्तराताभ्यांतिस्रः ककुभः संपादिताअष्टमःपांक्तो नितंपदपांक्तोनवमोग्नेतमग्नि होतारमतिछंदास्यवसानाग्नेस्वंद्वैपद / स्तृचः॥१९॥अयमग्निर्विरूपोबोधिबुधगविष्ठिरोजनस्यसुतंभरः / सखायइषः स समित्संवननस्त्वांप्रस्कण्वएनावोवसिष्ठोग्नेवाज / K**************************OMEN For Private and Personal Use Only Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir RAMMERX*MEREMA**********GMCKEKA स्यगोतमोभद्रोनः सौभरिरग्निंतंकुमारवृषौयेनाष्टावाग्नेय्यः षदिष्टु भोटेअनुष्टुभौतपश्चर्तव्यं परमेष्ठीसौरंपोथदश्वोवसिष्ठस्त्रिष्टुभमाग्ने | यीमायोद्वैस्वयमातृणदेवत्येसहस्रस्यपंचाग्नेयानि // 20 // रौद्रो / ध्यायः परमेष्ठिनार्षदेवानांवाप्रजापतेर्वाद्योनुवाकः षोडशचं एक रुद्रदेवत्यःप्रथमागायत्री तिखोनुष्टुभस्तिस्रःपंक्तयः सप्तानुष्टुभोद्वेज। गत्यौमानोद्वेकुत्सः // 21 // अंत्यानुवाकेसप्तकरुद्रस्तुतिः // आ. द्योपरिष्टाहतीद्वितीयाजगतीकुत्सस्य तृतीयानुष्टुब्वेविष्टुभौ वे अ OKRAMEKAKKKAKKKKK*****REMEMORE For Private and Personal Use Only Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir KENGKONOMORRHWOMEMOMEN** स.नु / नुष्टुभावसंख्याता बहुरुद्रदेवत्यादशानुष्टुभोमंत्राअवतानसंज्ञकास्त / सू.अ. तोत्यानित्रीणियजू 6 षिबहुरुद्रदेवत्यानिप्रत्यवरोहसंज्ञकामंत्राः॥ // 22 // मध्येसर्वाणियजूषि // हिरण्यवाहवइतितिस्त्रोशीतयो| रुद्राणां तेषामुभयतो नमस्काराअन्येन्यतरतोनमस्काराअपरेजा। तानामरुद्राः सभा यइत्यादयोनमोवःकिरिकेन्यइत्यग्निवायुसूर्य / हृदयभूताः पंचव्यातयोबहुरुद्रदेवत्याः // 23 // अश्मन्मारुत। 58 ममस्तेश्मामय्याशीय॑द्विष्मआभिचारिकमिमामाग्नेयमृतवो / *MKWHENOMMONGKOOK For Private and Personal Use Only Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www kobirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie CREKKICHEMA*IOKARMA बृहतीपंक्तिर्वा समुद्रस्य द्वेगायच्यावुपज्मंजगतीत्रिष्टुब्वाऽपामिदं बृहत्यग्नेपावकवसूयवःसनोमेधातिथिरेतेआग्नेय्योगायन्यौपावक || याजगतींभरद्वाजोनमस्तेबृहतीमाग्नेयीमृषिसुतालोपामुद्रा॥२४॥ नृषदेपंचाग्नेयानियेदेवाजगत्यौपाणदेवत्येप्राणदाबृहतीपंक्तिर्वाऽऽ गेय्यग्निस्तिग्मेनाग्नेयींगायत्रींभरद्वाजोयइमावैश्वकर्मणीत्रिष्टुमो विश्वकर्मा भौवनः // 25 // आशुद्रीादश // त्रिष्टुभोप तिरथोवसृष्टानुष्टुबिषुदेवत्याप्रतयोद्धृन्त्स्तोत्यनुष्टुबसौयामारुती ENOKKRRIMEk*KOKKKRKERENEREKAKREKKREKHO For Private and Personal Use Only Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobalth.org सू.अ. त्रिष्टव्यवलिंगोक्तदेवता पंक्तिर्माणिलिंगोक्तैवत्रिष्टुबुदेनंतिस्रो 59 नुष्टुभआद्याग्नेयीद्वितीयेंद्रीतृतीयालिंगोक्तदेवता पंचदिशःपंच / / यज्ञाग्निसाधनवादिन्यऽआऽद्वेत्रिष्टुभौतृतीयापंक्तिव॒हतीवाचतुर्थी / बृहत्येवांत्यात्रिष्टुब्बिमानोद्वे आदित्यदेवत्ये आद्याविश्वावसोदिती। याप्रतिरथस्य देवहूर्विधृतिरनुष्टुव्यज्ञदेवत्यावाजस्यव्यनुष्टुबुग्राम। मैंद्राग्न्यनुष्टुबेव ॥२६॥क्रमध्वंपंचामेय्यः॥ आद्यानुष्टुप्ततस्त्रिष्टुप्त तोबृहतीपिपीलिकमध्याततोनुष्टुपत्रिष्टुबत्याग्नेसहस्राक्षविराडामे | For Private and Personal Use Only Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobarth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यीसुपर्णेद्विपंक्तित्रिष्टुनौताठसवितुःसावित्रींत्रिष्टुरं पुरस्ताज्ज्योति पं कण्वोददर्शविधेमाग्नेयींगृत्समदत्रिष्टुसमस्यास्त्रिस्थानोग्निर्देवता प्रेद्धोविराडाग्नेयीवसिष्ठस्यचित्तिवैश्वकर्मण्यतिजगतीसप्ततआग्ने यात्रिष्टुप्सप्तऽऋषीणाम् // 27 // शुकज्योतिःषण्मारुत्यः ॥आ| वाचतुर्थीचोष्णिग्द्वितीयातृतीयाचगायत्री पंचमीजगती षष्ठीगा। यत्र्युष्णिग्वेंददैवीर्मारुतमिमंत्रयोदशगेआमेयत्रैष्टुञोऽनुवाको य / ज्ञस्तुतिघृतस्तुतिर्वावसोर्धाराभिवादिनीवाघृतंमिमिक्षेगृत्समदः For Private and Personal Use Only Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समुद्राद्वामदेवश्चत्वारिशृङ्गायज्ञपुरुषदेवत्यऋषभोमंत्रः॥२८॥ वाज श्चमेदेवानामा // एतैर्यजुभिर्यजमानोमेकामान्याचतेवाजप्रस | वीयर्छन्सप्तविश्ववैष्टुभवैश्वदेवं लुशोधानाकोवाजोनस्तिस्रोन्नदे | वत्याआधानुष्टब्वेत्रिष्टुभोसमाविराजावाग्नेय्योसरस्वत्यैलिंगोक्तदे / वतं 29 // ऋताषाइंधर्वाप्सरसः // सनःप्राजापत्याप्रस्तारपंक्तिः / समुद्रोसिवायव्यानित्रीणिरुचमाग्नेय्यनुष्टुप्तत्वावारुणींत्रिष्टुभर्छशु / नःशेपःस्वर्णाग्नेयानिपंचाग्निंयुनज्म्यानेय्यस्तिस्त्रआयेद्वे त्रिष्टुभौ / For Private and Personal Use Only Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पंक्तिस्तृतीयादिवोद्वेआग्नेय्यौ परोष्णिमहापदपंक्ती इष्टोयज्ञोग्य चंयजमानाग्निदेवत्यंगालवआद्योष्णिग्द्वितीयागायत्री॥३०॥यदा कूतादष्टर्चमाग्नेयम् // विश्वकर्मणस्तृतीयादेवीवाद्याजगीतिस्त्र खिष्टुभश्चतस्रोनुष्टुभोग्निरस्म्यम्यद्वैतवादिनींत्रिष्टुभंदेवश्रवादेववात श्वभारतावृचोयजुर्येअग्नेयोनुष्टुवाग्नेयी // 31 // वाहत्यायसप्त चमिन्द्रोपश्यत् // आद्यदेवा योगायत्रीत्रिष्टुनौविश्वामित्रस्यच | विनोनुष्टुम्मृगोनत्रिष्टुप्पथमाठेशासो भारद्वाजोद्वितीयांजयऐंद्रोदे For Private and Personal Use Only Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साना EMEMEMORIASIKHOMEMOREICHKH** KOREAKICKEKRI वैश्वानय्यौंगायत्रीविष्टुभौ पृष्टोदिविकुत्सस्यचाऽश्यामदेविष्टुभावा मेथ्यौ कामवत्यावश्यामभरद्वाजस्यच वयंतेकात्यस्योकीलस्य / चधामछदनुष्टुब्वैश्वदेवी // 32 // अथसौवामणीप्रजापतेरार्ष | म् // अश्विनोःसरस्वत्याश्चस्वादीत्वानुष्टुप्सुरासोमदेवत्या सोमो / सिचत्वारिसौराणि परितोभारद्वाजःसौमींवृहतींऽवायोस्तृचोगाय त्रः सौम्याभूतेब्रह्मक्षत्रिष्टुप्सुरासोमदेवत्यानानाहिजगतीसुरा | सोमदेवत्यातेजोसिपयोदेवत्यान्योजोसिसुरादेवत्यानियाव्याघठ KKEKKKEEKKEKOKAKKKREEKKKKKI For Private and Personal Use Only Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirtm.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हैमवर्चेरनुष्टुविषूचिकास्तुतिर्यदापिपेषाग्नयोबृहतीसम्पृचस्थप योग्रहाविप्रचस्थसुराग्रहादेवायज्ञबाह्मणानुवाकोविठशतिरनुष्टु / भःसोमसंपत् // 33 // सुरावंतंचतुर्कचं त्रैष्टुरं // अश्विसरस्वती द्रदेवत्यंपितृभ्यःसप्तपित्र्याणिपुनन्तुमानवच पावमानमायेद्वे पित्र्ये / अनुष्टुभौ प्रजापतिस्तृतीयांवैखानसभाग्नेयींगायत्रींचतुर्थीलिंगो क्तदेवतानुष्टुप्पंचम्याग्नेयीगायत्रीषष्ठयाग्नेयीबाह्मीचगायत्रीवा हगस्तृतीयःपादसौमीसप्तमीसावित्र्यष्टमीनवमीत्रिष्टुब्वैश्वदेवीये KHEKKINKNOMENEROINEKHNEEMEHEKMEHEKMEHEKEN For Private and Personal Use Only Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir RXMMONOKHEKOKHEKHEK#***ENDINKARKKHOMCKN सगासनाअनुष्टुभौपित्र्याधाद्वितीयायजमानाशीसृतीविष्टुब्देव पानपितृपाणीपंथानौबवीतीदठन्हविस्यवसानाष्टिर्यजमानाशीः॥ in 34 // उदीरतांत्रयोदशचपैन्यं त्रैष्टुभठशंखएकादशीतुजगत्या च्याजानुदश!नुवाकोनवपिन्यादशम्येंद्रीगायत्रीतृतीयाचतुर्थी नवम्योनुष्टुभस्त्रिष्टुभइतराःसोमोराजाष्टर्चमश्विसरस्वतीन्दाऽअप श्यन्नाचास्तिस्रोमहाबृहत्यउपांत्याचचतुर्थ्यन्तेअतिजगत्यौशेषे अतिशक्कोव्यवसानेसीसेनतंत्रमश्विसरस्वतींद्रदेवत्याः षोडश KAKKK****KKKAkkkkkkkkkkkkkkkk For Private and Personal Use Only Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir HEMEREKKX जगत्यः३५क्षत्रस्ययोनिविपदागायत्री॥आसन्दीदेवताकामात्वास ष्णाजिनंमृत्योरुक्मावश्विनोभैषज्येन लिंगोक्तदेवतानित्रीणि को सिप्राजापत्यागायत्री शिरोमेपंचर्चमिन्द्रशरीरावयवदेवताकं तृती यागायन्यंत्यामहापंक्तिस्यवसानानुष्टुभोंत्या प्रतिक्षत्रेवैश्वदेवंत्रया / देवादेवीपंक्तिस्यवसाना प्रथमाद्वितीयैर्वैश्वदेवमाशीलिंगं लोमा न्यनुष्टुब्लिंगोक्तदेवता॥३६॥ यद्देवास्तिस्रोग्निवायुसूर्यदेवत्याअनुष्टु भः॥ कुष्माण्डीयद्वामेलिंगोक्तदेवतठसमुद्रेतेद्विपदाविराडापी ****KOK ********** For Private and Personal Use Only Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स.नु. KANCHEMEEKKKRKARKAKKKKKKARXONCHEMONOKI दिवानुष्टुवाप्युद्वयर्छसौर्यनुष्टुप्पस्कण्वस्यापोऽआद्याग्नेयीपंक्तिरेधो सिसमिद्देवत्येयजुषी समाववर्त्यनिरुक्तागायत्री वैश्वानरज्योतिर्य जुरम्यादधाम्याग्नेयं तृचमानुष्टुभमाखतराश्विरठशुनासौर्य्यनुष्टु प्सिचंतिपरिसौर्येन्द्रीचानुष्टुब्धानावंतमैंदीगायत्रीविश्वामित्रस्य चबृहदिंद्रायबृहतीनृमेधपुरुषमेधयोरध्वर्योगायत्री // 37 // घोभू तानामात्मप्रवादापंक्तिः // नारायणीयाकौडिन्यस्यप्राणपामेद्वेअनु / 63 टुबुपरिष्टागृहत्यौलिंगोक्तदेवतेसमिद्धइंद्रएकादशाप्रीख्रिष्टुभ आंगिर | EKXXMOREKKHOMEMENICKNORKEREMEMENEMATHEMOHI For Private and Personal Use Only Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www birth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir CMOMOK***OMMEN**MKOMMORRORMERMERENOMXE सइध्मस्तनूनपानराशठ सइडोबर्हिारउषासानक्तादैव्याहोताराति स्रोदेवीस्त्वष्टावनस्पतिःस्वाहाकृतयइत्येताआप्रीदेवता आयातुसप्त। त्रिष्टुभऐंधआमन्दैर्वृहत्यायातुवामदेवस्त्रातारंगर्गअामन्द्रविश्वा मित्रएवेद्वसिष्ठः॥ ३८॥अथहोत्रंत्रिपशोः ॥समिद्धोअग्निरापीा दशविदर्भिरश्विसरस्वतीन्द्रदेवत्याअनुष्टुभोश्विनाहविस्तिस्रोनुष्टु भएकैकाश्विसरस्वतींद्रदेवत्यायइंद्रसवितृवरुणदेवत्यास्तिस्रोऽनुष्टु | भोश्विनागोभिस्तिस्रोनुष्टुभो युवंपुत्रमिवानुष्टुत्रिष्टुभौ यस्मिन्न For Private and Personal Use Only Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मू.अ. MOR****************RAKokkkkk श्वासआग्नेय्यौजगतीत्रिष्टुभावश्विनातेजसैकादशचठशस्त्रंगोमद / समान त्समदस्तृचमाश्विनंगायत्रं पावकानोमधुछंदाःसारस्वतमिंद्रायायै मधुछंदाएवानुक्तमानुष्टुभमश्विसरस्वतींद्रदेवत्यं // 39 // इसमे गायत्रीत्रिष्टुभोवारुण्यौशुनःशेपः // त्वन्नस्त्रिष्टुभावाग्निवारुण्यौवाम। देवोमहीमूषुत्रिष्टुबादित्या सुत्रामाणंगयःप्लातःसुनावबौस्वागाय / न्यानोमैत्रावरुणींगायत्रीविश्वामित्रःप्रवाहवावसिष्ठखिष्टुभर्छ स मिद्धोअग्निरेकादशाप्रमानुष्टुभर्छन्स्वस्त्यात्रेयस्याएं वयोधाइंद्रोदेव E**KAKK*******KAKKERENEKKRAMMARKK For Private and Personal Use Only Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तावसंतेनऋतुनाषडचामानुष्टुभंलिंगोक्तदेवतहोतायक्षद्वादशा प्री:प्रैषाअश्विसरस्वतींद्रदेवत्याअश्विनौछागस्यसप्तलिंगोक्तदेव ताःप्रैषावनस्पतिमभियूपोग्निठस्विष्टकृतठस्विष्टकदग्निवंबहिरे | कादशानुयाजप्रैषाअश्विसरस्वतीन्द्रदेवत्याऽअग्निमद्यसूक्तवाकप्रै | पोलिंगोक्तदेवतोलिंगोक्तदेवतः॥४०॥इतिसर्वानुक्रमणिकायांवि तीयोऽध्यायः // 2 // ॥ॐ अथाश्वमेधश्चतुरोध्यायान्प्रजापति / रपश्यत् ॥तेजोसिसौवर्ण निष्कमिमामगृष्णन्संवत्सरो यज्ञपुरुषस्त्रि *CKEHEKHAKREAKXEX**MEMEHEKHARMEENERY For Private and Personal Use Only Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org www.kobaith.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir *KER** सः / ष्टुभमभिधालिंगोक्तानियोअर्वन्तंगायत्र्यर्द्धनाश्वस्तुतिःपरोड्रलिं 65 तोग्नयेलिंगोक्तान्येव हिंकारायेत्यश्वस्यैकानपंचाशच्चेष्टितानि / हिरण्यपाणिपंचर्च ठ सावित्रंगायत्रमाद्यांमेधातिधिरग्नि स्तो। मेनाग्नेयंतृचंगायत्र ठसुतंभरोविश्वामित्रोविरूपोयथासंख्यमजी / जनोहिपावमानींकृति पिपीलिकमध्यामनुष्टुभव्यरुणत्रसदस्यूवि भूरश्वदैवतंदेवादेवमिहरंतिराग्नयानि चत्वारिकायोभणानिलिंग गोक्तान्यावह्मलिंगोक्तान्येवाध्यायात् // 1 // प्रजापतयेप्रा / / ** ** *** ** For Private and Personal Use Only Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalith.org www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जापत्यम् // घस्तेदेवंयःप्राणतस्विष्टुप्कायी हिरण्यगर्भस्य युं जन्तिमधुच्छन्दाआदित्यदेवत्यांगायत्रीं युंजत्यस्याश्वस्तुतिर्यद्वा तोबृहतीमौवसवस्त्वालिंगोक्तानिलाजी 2 नश्वदेवत्यं कःस्विच्चत सोऽनुष्टुभःप्रश्नप्रतिप्रश्नभूताब्रह्मोघेहोतुर्बह्मणश्चवायुवा लिंगोक्ता निसठ शितस्तिस्रोवदेवत्याअनुष्टुब्बिराजिष्टुभोग्निःपशुराश्वानि / वीण्यंबे नुष्टुबश्वस्तुतिर्गणानांत्वाचत्वारिलिंगोक्तानि // 3 // उत्स क्थ्यागायच्याश्वी // एकादशर्चमानुष्टुभंद्वितीयातूपरिष्टाहत्य For Private and Personal Use Only Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobakit.org www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स.नु. वर्बादीनांकुमार्यादिभिरश्लीलभाषणं ताएवदेवता दधिक्राव्णो सू.अ दधिक्रावावामदेव्यःसुरभिमतीमनुष्टुममारवींगायत्रीठ षड़चमाश्व मुष्णिगाद्याश्चतस्रोनुष्टुभोत्यात्रिष्टुप् कस्त्वाषचमाश्वमाद्यागाय वीपंचानुष्टुभः कः स्विदष्टादशर्चबमोबठन्होबादीनांप्रश्नप्रतिप्रश्न तमाद्याश्चतस्त्रोनुष्टुभःकास्त्रिदाद्याश्चतस्त्रश्चात्यादशत्रिष्टुनःसुभूर नुष्टुलिगोक्तदेवताहोतायक्षत्प्राजापत्यःप्रैषःप्रजापतेहिरण्यगर्भः प्राजापत्यवैिष्टुभं // 4 // अश्वस्तूपरइत्यादयः // पशवोध्याये / For Private and Personal Use Only Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaithong www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ***RMEREMEMEREKARKKK**MEAkkkkkka नोक्तादेवतावापर्यंग्यास्तथारोहितादयोगुणयुक्ताऽ आरण्याश्चक पिंजलादयआध्यायाछादंदद्भिरित्यादित्वगित्येतदंतं द्रव्यदैवतमु तम् ॥४॥अश्वस्तूपरोब्राह्मणोध्यायः॥शादंदद्भिस्त्वचांतश्च® बकायवारुणींद्विपदांमुंडिओदन्य एषा चायनाशन्यंतर्जलेयस्य / मेकाय्यौत्रिष्टुभौहिरण्यगर्भः प्राजापत्यानोदशजागतंवैश्वदेवं गोतमः स्वस्तिनोविराट्रस्थानाभदंकर्णेभिस्तृचं वैष्टुभंमानोश्वस्तो / मीयंदीर्घतमात्रैष्टुभंद्वाविठ शत्यूचमश्वस्तुतिस्तृतीयाषष्ठ्यौ जग। For Private and Personal Use Only Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्याविमानुद्वैपदं वैश्वदेवं तृचं भौवनआप्त्योवासाधनौवनोवा सू.अ. 67 ॥५॥अग्निश्चसप्तलिंगोक्तानि // प्रियोदेवानांलौगाक्षिरनुष्टुसमन / वसानांबृहस्पतेगृत्समदोब्राह्मी त्रिष्टुभमिंदगोमन्नैयौगायन्यौर | म्याक्षितावानंप्रादुराक्षिर्वैश्वानरीयां वैश्वानरस्य त्रिष्टुभंकुत्सोग्नि / क्रषिराग्नेयीं गायत्रीं वसिष्ठारद्वाजीमहाँ 2 ऽइंद्रोमाहेंद्रीवसिष्ठस्तं / वरेंद्रीपथ्याबृहतीनोधागोतमोयद्वाहिष्टवसुयवआग्नेयीमनुष्टुभमे ||67 हिभरद्वाजोगायत्रीमृतवस्तेबृहतीत्युपह्वरेवत्सो गायत्रीं // ६॥उ / *************OKINDNCit***** For Private and Personal Use Only Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir MEMOIR*************KKKEXXX चातेगायत्रंतृचठ सौम्यमामहीयवोनुवीरेर्मुगलोयज्ञपुरुषत्रिष्टुभम मेपनीर्मेधातिथिरानेयीं गायत्रीमभियज्ञंब्यचमृतुदैवतं मेधाति थिस्तवायमैंद्रीविष्टुभं विश्वामित्रोमेवनोजगतीं गृत्समदःस्वादिष्ठ यामधुछंदाः सौम्यावनुक्तानांगायत्रर्छ // 7 // समास्त्वाग्नेकोध्या यः॥ प्रजापतेरार्षठ-सामिधेन्योनवाग्नेय्यखिष्टुभोमिनादृष्टाअग्नि क्रषिः कर्मागभूतमग्नि स्तोत्याद्वादशर्चमाप्रियमौष्णिहंविषम पदंप्राजापत्यमाग्नेयमनिरपश्यदग्निहिप्रजापतित्वेनसंस्तूयतेतेनपा For Private and Personal Use Only Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir *******CRIME *** KOKAX************KEkkkkkkk जापत्यं // 8 // पीवोअनादेवायव्य त्रिष्टुभौवसिष्ठः // आपोहद्वे / मू.अ. पाजायत्येहिरण्यगर्भःप्राजापत्यः प्रयाभिवायव्येवसिष्ठोनियु त्वान्वायव्याःषड्डायोशुक्रोनुष्टुवेकयाचत्रिष्टुवंत्यागायच्योनियुत्वा / चायोपेगृत्समदोवायोशुक्रः पुरुमीढाजमीढौतववायोव्यश्व आङ्गि रसोभित्वावसिष्ठ,प्रगाथंप्रथमावृहतीद्वितीयासतोबृहतीत्वामिदे / वठशंयुर्हिस्पत्यः कयानऐंदैतृचं गायत्रं वामदेवोऽत्यातु पादनि / 68 चूद्यज्ञायज्ञावऊर्जानपातर्छन्शुंयुःपाहिनीगर्भःप्रागाथएतंतृचंप्रागा For Private and Personal Use Only Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ********** थमाग्नेयंवेबृहत्यौतृतीयासतोबृहतीसंवत्सरोस्याग्नेयम् // 9 // इंद्रमिडःसौत्रामणिकोध्यायः // एकादशप्रयाजप्रैषाऐंद्राप्राप्रीदे / वत्याआधेनुवाके देवंबर्हिरनुयाजप्रैषाऐंद्राएकादशैवाग्निमयेन्द्रःसू क्तवाकप्रैषस्त्वामद्यप्रतीकउभयत्रापिसमिधानंमहद्वायोधसआपि। यएकादशप्रयाजप्रैवास्तथैव देवबर्हिरनुयाजप्रैरवाअग्निमद्यवायो घसःसूक्तवाकप्रैषः // 10 // समिद्धोअंजनाश्वमेधिकोध्यायः॥ आधाआप्रीत्रिष्टुभएकादशावस्तुतिहदुक्थोवामदेव्योददर्शास्त्रो ***** *EK******* For Private and Personal Use Only Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Jw4 वासामुदिर्य्यदकंदत्रयोदशाश्वस्तुतित्रिष्टुभोभार्गवोजमदग्निर्ददर्श दीर्घतमाश्च समिद्धोऽअद्यद्वादशाप्रीत्रिष्टुभोजमदग्निः // ११॥के / तुंकृण्वन्नाग्नेयीमनिरुक्तांगायत्रींमधुछन्दाः। जीमूतस्येवपायुर्भार / द्वाजः संग्रामांगान्युक्षौस्तौषीत्सन्नाहंकार्मुकंगुणमानीतूणंजगत्यः / नसारथिमर्द्धन श्मीनहरीन् रथर्छरथगोपायितन्जगत्यालिंगोक्तदेव / ताद्वाभ्यांत्रिष्टुबनुष्टुभ्यामिषुमनुष्टुभाकशांततोहस्तनंततस्तृचौरथदं / दुभिदेवत्यावेंदोर्द्धयॊत्यःसर्वात्रिष्टुभोनुक्ताआग्नेय्यःकृष्णग्रीवइत्या / / For Private and Personal Use Only Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir MEMORE***MEMORAKEKXKKREK***KEKARNO द्याएकादशिन्योर्द्वयोःपशुदेवताअग्नयेगायत्रायेतिदशहविषोवेष्टेः / वता॥ 12 // देवसवितुविध्यायौ // पुरुषमेधोनारायणः पुरुषो ददर्शविश्वानिदेवगायत्रीठ सावित्रीठ श्यावाश्वोविभक्तारंमेधाति / थिर्बह्मणेब्राह्मणमितिद्वेकंडिकेतपसेनुवाकश्चबाह्मणम्॥ 13 // स हस्रशीर्षाषोडशर्चमानुष्टुभं // विष्टुबत्यंपुरुषोजगबीजमन्त्रदेवता यःषडचउत्तरनारायणोमंत्र आद्यास्तिस्रस्त्रिष्टुमो द्वेअनुष्टुभावत्या , त्रिष्टुप् // 14 // तदेवसर्वमेधोध्यायः॥ आत्मदैवतः सप्तमेहनिस' Kkkkkkkk***KKkkkk** For Private and Personal Use Only Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra wwwcbth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie होमेविनियुक्तः सर्वमेधंब्रह्मस्वयंविक्षततदीयंमंत्रगणंपवायुमच्छ त्येतस्मादायेद्वे अनुष्टुनौनतस्य द्विपदागायत्रीहिरण्यगर्भश्चतस्रोमा माहिठ-सीधस्मानद्वे एताः प्रतीकचोदिता ब्रह्मयज्ञेध्येया:सर्वत्रैवमे पोहचतस्रस्त्रिष्टुअआपोहयश्चित्प्रतीकचोदिते॥१५॥वनस्तत्पंचत्रि टुभः॥ सदसस्पतिंतृचेनमेधाकामोमेधांयाचतेप्रथमागायत्रीलिंगो क्तदेवताद्वितीयानेय्यनुष्ट तृतीयालिंगोक्तदेवतानुष्टुबिदंमेमांववर्णि क्यनुष्टुबेतयादेवेश्यः श्रीकामोयाचतेश्रिय।१६।अस्याजरासः॥ For Private and Personal Use Only Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobathong www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir *************************** सप्तदशा निष्टुत्यामिष्टोमिकेप्रथमेहनिपुरोरुचाग्नेय्यप्रायेद्वेऐंवा यवस्यास्याजरासोवत्सप्रीहरयोधूमकेतवोविरूपोयजमानोवेमैत्रा वरुणस्ययजमानोगोतमोद्वेविरूयेशुक्रस्यकुत्सोयमिहमंथिनोवैश्व / देवग्रहग्रहणेचीणिशताविश्वामित्रऐंद्राग्नस्याग्निर्वृवाणिभरद्वाजो वै / श्वदेवस्य विश्वेभिःसोम्यंमेधातिथिरायन्मरुत्वतीययोर्दै आयत्परा शरःशात्योऽग्नेश त्रिदुहिताविश्ववारात्वाठहिअरद्वाजस्त्वे अग्ने / / बृहत्यावादित्यस्यत्वेअग्नेवसिष्ठःश्रुधिप्रस्कण्वआदित्यग्रहग्रहणे KOREAKHAMREKACHEMERGICICKXMORRHOICKNOME* For Private and Personal Use Only Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सनु विश्वेषामदितिर्वामदेवोगोतमोमहोअग्नेः सावित्रस्यलुशोधानाको अनुक्तगायत्रत्रैष्टुभम् ॥१७॥इन्द्रस्तुत्युक्थ्योद्वितीयहनि॥ऍन्यःपुरो / रुचोद्वादशप्रतीकचोदितेचद्देतिस्रश्चापश्चिद्वसिष्ठोगावउपपुरुमीढा / जमीढीयदद्यवसिष्ठआसुतेसुनीतिरातिष्ठतं विश्वामित्रःप्रवः सुची कोवृहन्नित्रिशोकईदेहिमधुछंदाइंद्रोवृत्रविश्वामित्रःकुतस्त्वमगस्त्य / आतद्वौरीवितिशात्यइमान्तकुत्सोजगतीमनुक्तंगायत्रत्रैष्टुभं॥१८॥७१ सूर्यस्तुत्युक्थ्येतृतीयेहनि // सौर्यश्चतुर्दशपुरोरुचस्तिस्रश्चप्रतीको KKKIME***********OMEREMOIRIKNOWN For Private and Personal Use Only Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir *CKEEXXN********************EN ताविनाबृहजगतीं विश्वाट्रसौर्य उदुत्यं तिस्रः प्रस्कण्व आनो गस्त्योयदद्यश्रुतकक्षःसुतंकलौतरणिःप्रस्कण्वस्तत्सूर्यस्यद्वेकुत्सो / बण्महाँ 2 // द्वेजमदग्निर्बहती सतोबृहत्यौश्रायंतइवनृमेधोबृहती। मत्यद्यादेवाः कुत्सआरूप्रोनहिरण्यस्तूपआङ्गिरसोनाख्यातठसौ मंगायचंवैष्टुरं // 19 ॥वैश्वदेवस्तुतिचतुर्थेहनि // वैश्वदेव्यःपु, रोरुचएकादशषट्चप्रतीकोक्ताःप्रवावृजेवसिष्ठखिष्टुभइंद्रवायूबृह स्पतिवमेधातिथिरधिनःकुसीदीकाण्वोमइन्द्रप्रतिक्षत्रइन्द्राग्नीमि For Private and Personal Use Only Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaithong www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * **** ****** त्रावरुणाजगतीं काश्यपो वत्सारोऽस्मेरुदाः प्रगाथोचिोऽअद्यक म्भॊगार्समदोविश्वेअद्यलुशाधानाकोविश्वेदेवाःसुहोत्रोदेवेश्योहि वामदेवोजगतीमनुक्तंगायत्रत्रैष्टुभं // 20 // अथाऽनारम्याधीतं मंत्रगणं // प्राविपतृमेधादादित्ययाज्ञवल्क्यौदहशतुःपवायुपंच दशर्चः पुरोरुग्गणोद्वेचप्रतीकोक्ते प्रवायुमृजिश्वोमिबठन्हुवेद्वेमधुछ दामित्रं लिंगोक्तादत्रायुवाकवाश्विनीविदद्ययेन्द्रीकुशिकोनहि / 72 स्पशं विश्वामित्रोवैश्वानरीमुनाविघनिन्द्रामीभरद्वाजउपास्मै ************ For Private and Personal Use Only Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaithong www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मीदेवलोसितोवा येत्वाविश्वामित्रोजनिष्ठाउयोगौरीवितिरातुवा मदेवस्तृचमैन्दंत्वमिदैयौनमेधःपथ्याबृहतीसतोबृहत्यौयज्ञोदेवा तांकुत्सोदब्धेभिःसावित्रींजगीभरद्वाजः२१॥प्रवीरयापंचदशः पुरोरुग्गणाः // द्वेचप्रतीकोक्तेप्रवीरयावसिष्ठोवायव्यां काव्ययोरा, जानेषुदक्षस्तिरश्चीनःपरमेष्ठी प्रजापतिर्भाववृत्तंतृचमारोदसीजग ती विश्वामित्रउक्थेभिर्ववहतमावसिष्ठउपनःसुहोवोवैवदेवीं ब्रह्मा णमेगस्त्योद्देइंद्रमरुत्संवादेतदिदाथर्वणोबृहदिवइमाउत्वावहत्यौ For Private and Personal Use Only Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स.नु. KEEKX**EREMEMENEMIEKRMEREHEHEREKKHERA मेधातिथिरयर्छन्सहस्रमेधातिथिःसतोबृहतीं ॥२२॥आनत्रयोदशी र्चःपुरोरुग्गणः // चतुर्कचंप्रतीकचोदितंचानोवायव्यांजमदग्निरि / दवायूसुसन्दृ वायव्यांतापसऋधगित्थामैत्रावरुणींजमदमिरा | यातमाश्विनीवसिष्ठःप्रैतुवैश्वदेवींकण्वश्चन्द्रमाअप्स्वैन्द्रीमाहुती | परिणामवादिनीवितआस्योदेवंदेवंवोमनुवैवस्वतोवैश्वदेवीं दिवि पृष्ठोमृधऐन्द्रइन्द्राग्रीअपात्सुहोत्रोदेवासोहिमनुरपान्धमद्वेनमेधो स्येन्मेधातिथिदशम्येकादश्यंत्याचसतोबृहत्यः शेषाबृहत्यःशेषा / *KKKNOKKERNMMEKkKKREKKKKKK For Private and Personal Use Only Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www kobirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie MOKOMMEKKREEKXXXX***KAKKAKKARA बृहत्यः // 23 // इति सर्वानुक्रमणीयेतृतीयोऽध्यायः // 3 // यज्जाग्रतःषडचंमानसंत्रैष्टुभर्छशिवसंकल्पः // पितुन्नष्णिहमग स्त्योन्नस्तुतिमन्विच्चतुर्कचमानुष्टुभं द्वयोरनुमितियोः सिनीवा लीसरस्वत्यौ सिनीवालीपृथुष्टुकेद्वेगृत्समदस्त्वममेद्वेआग्नेय्योजग त्यौहिरण्यस्तूपआंगिरसउत्तानायांवदेवश्रवादेववातश्चभारतावा द्यात्रिष्टुद्धितीयानुष्टुप्प्रमन्महेनोधाचमैन्द्रत्रैष्टुभमिच्छन्तित्वा | घृचमैन्द्रत्रैष्टुभमेवदेवश्रवादेववातश्वभारती // 1 // अषाढ्युत्सु For Private and Personal Use Only Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra wwwcbth.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandie kkkkkkkkkkkkkkkkk** गोतमः // चतुर्कचत्रैष्टुभर्छन्सौम्यमष्टोव्यख्यच्चतुर्ऋचंवैष्टुभन्सा वित्रमांगिरसोहिरण्यस्तूपो द्वितीयाजगत्युभापिबतुमाश्विनंतृचमु भापिबतं प्रस्कण्वोगायत्रीमनस्वतीमश्विनात्रिष्टुभौ कुत्सआरात्रि पथ्याबृहतीठ रात्रिदेवत्यांकशिपाभरद्वाजदुहितो पस्तदुषस्यांपरो / ष्णिहंगोतमः प्रातरनिंवसिष्ठःसप्तर्चमाद्याजगतीबहुदेवत्यापंचभग | देवत्याविष्टोत्योपस्याःरपूषन्तवसुहोवः।पथस्पथःपरिपतिमृजि / श्वतेपौष्ठ्यौगायत्रीविष्ट भौत्रीणिपदावैष्णव्योगायथ्यौ मेधातिथि For Private and Personal Use Only Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailasagarsuri Gyanmandir www.kcbatirth.org Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra घृतवती भुवनानां भरद्वाजोद्यावापृथिव्यां जगतीयेनोलिंगोक्तदेव तांत्रिष्टुभ विहव्यआनासत्याहिरण्यस्तूपआश्विनीमेषवोमारुतींत्रि टुभमगस्त्यः सहस्तोमाऋषिसृष्टिप्रतिपादिकांत्रिष्टुभं यज्ञःप्राजाप। त्य आयुष्यंवर्चस्यंतृचंदक्षउष्णिक्शकरीविष्टुभोहिरण्यस्तुतिरुतन ऋत्विजो बहुदेवत्याविष्टुअमिमांगिरःकूर्मोगामिदआदित्यदेवत्यां विष्टुभठ-सप्तऋषयोध्यात्मवादिनीजगत्युत्तिष्ठतृचोबाह्मणस्पत्या बृहत्यौ कण्वोघोरोंत्यांत्रिष्टुभंगृत्समदोघइमाचतुर्कचंप्रतीकोक्तं॥ KKKK *REAKKK********KOMKAMROHRA For Private and Personal Use Only Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SHR Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Si Kailassagarsuri Gyanmandir F // 3 // अपेतोध्यायः // पित्र्यआदित्यस्यदेवानांवाद्यागायत्रीप यजुःसवितातेगायत्रीवायुःपुनातुचत्वारिलिंगोक्तानि॥ सविताते गायत्रीपरंमृत्योसंकसुकस्विष्टुभमृत्युदेवत्याशंवातोऽनुष्टुप्बृहत्यौ वैश्वदेव्यावश्मन्वतीसुचीकत्रिष्टुभवैश्वदेवी मपापंलिंगोक्तदेवताम नुष्टुभशुनःशेपोदुःस्वप्ननाशनीमनडाहमानडुह्यनुष्टुबिमंजीवेश्यः संकसुकोमृत्युदेवत्यां त्रिष्टुभमायुष्मानमआग्नेयींत्रिष्टुभंवैखानसःप / रीमेनुष्टुभमैंद्रीभारद्वाजः शिरिंबिठः कन्यादमिंत्रिष्टुभमानेयींदम / PROMOMENOMORPIXCOMDIEMORMER**KADKMEK EMEREMEMCKNOMOKMER For Private and Personal Use Only Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailasagarsuri Gyanmandir HOMMONOMOMDMOMEN**MORMONOMX**MEMMMEMORRHOMMONOMOREMOK नोवहवपांजातवेदसीत्रिष्टुपस्योतापृथिवीमेधातिथिः पार्थिवींगाय बीमस्मात्त्वमानेयोगायन्यनिरुक्ता // 4 // ऋचंवाचंपंचाध्यायीं। // दध्याथर्वणोददर्शाग्निकाश्वमेधिकवर्जमाद्योध्यायः // शांत्य र्थोवैश्वदेवश्राद्यानियजूठेषियन्मेबार्हस्पत्यापंक्तिःकयात्वमैंद्रयनि / रुक्तागायत्रींदोविश्वस्यविराद्विपदाशन्नोद्वे अनुष्टुभावहानिद्विपदा / गायत्रीशन्नइन्द्राग्नीत्रिष्टुब्गायत्र्यावंत्याशी?ः शांतिर्यजूठषिनम / स्तेअस्त्वनुष्टुभौतच्चक्षुःपुरउष्णिक्सौरी॥५॥ आददेनारिरस्यन्निदै / भावहानिद्विपदा स्लअस्त्वनुष्टुभौतापायच्यावत्याशी For Private and Personal Use Only Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वतम् // देवीद्यावापृथिव्यंदेव्योवम्योवल्मीकवपेयत्यग्नेवराहविहत मू.अ. मिंदस्यौजआदाराःतुमखस्याश्वस्यर्जवेयमायदेवस्त्वाचिरसिघ / / मदेवत्यानियोधर्मसआदित्योयएषतपत्यनाधृष्टापुरस्तात्सप्तपार्थि वानियजमानाशीमधुप्राणदेवत्यानि गोंदेवानामवकाशामामाहि ठसीरित्येतदंताधर्मदेवत्याधर्तादिवऊर्बबृहत्यपश्यंगोपांत्रिष्टुअंदी र्घतमाहृदेत्यापरोष्णिक्त्वष्टेमन्तःपल्याशीरहःकेतुनायजुषीधर्मदेव / 7. त्ये॥६॥आददेदित्यैरज्जः॥इडएहिगौर्यस्तेत्रिष्टुअंदीर्घतमाइन्द्राश्वि / For Private and Personal Use Only Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir TEEKE* नावैश्वदेवानिसमुदायत्वावातनामानिस्वाहाधर्मायधर्मदत्येविश्वा / आशााविन्यनुष्टुब्दिविधाधर्मदेवत्यमश्विनाधर्ममुष्णिगपातां ककुवमेन्यस्मेखरःस्वाहापूष्णेसप्तलिंगोक्तदेवतानिस्वाहासंपयोदे वयंमधुहुतंघर्मोभीमं गायत्री वृहत्यावनवसानेअतिशक्करी वाग्ने यी समस्ताव्यवसानायातेधर्मक्षत्रस्यबृहतीचतुःस्रक्तिर्महावृहती मैतदनुष्टुबचिक्रदत्परोष्णिग्यावतीद्यावापृथिवीदधिधर्मोमयित्य पंक्तिर्यजमानाशीःपयसोरेतोगायन्यनवासानात्विषः संवृग्दधिध MERKARMEREKHENWARRKHEMENKHEMENOKHEKANOMMENOMOWEHEK For Private and Personal Use Only Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir EKNOICEMEREKABIBEKKARKICKEKKMOMENOMONOMONOMOME र्मोनुक्तंघर्मदैवतं // 7 // स्वाहाप्राणेश्योमांववणिक्योदेवता // मनसःकाममनुष्टुव्यजमानाशीः श्रीदेवताप्रजापतिःसंनियमाणो यथाकालं प्रायश्चित्तदेवताःसविताप्रथमेहन्प्रत्यहंक्रमेणोयश्चमारु| तीगायत्रीविमुखाख्योमंत्रोग्नौविनियुक्तस्तस्मादाग्निक एवास्य ऋषिःपरमेष्ठीपाजापत्योवाग्निठहृदयेनाश्मेधिकानित्रीणितंत्रोक्तए वऋषिर्लोमभ्यःस्वाहेतिप्रायश्चित्ताहुतयोद्विचत्वारिठशत् // 8 // 77 ईशावास्यमात्मदेवत्यानुष्टुभोध्यायः // अनेजदेकंत्रिष्टुप् / CMOMORRHOICICMONOMOMORROMORRNIRGREEMEMONOMMMMOMENSION For Private and Personal Use Only Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir MORRIGNEDEX**GIRICIENCIEKXIECEMEMOICEKK सपरिजगतीवायुरनिलंयजुर्षा 3 मितिपरमाक्षरस्य योगिना मालम्बभूतस्यपरस्य ब्रह्मणः प्रणवारख्यस्यास्थूलादिगुणयुक्तस्य ब्रह्मऋषिछंदोगायत्रपरमात्मादेवताबह्मारंभेविरामेचयागहोमादिषु / शांतिपुष्टिकर्मसुचान्येष्वपिकाम्यनैमित्तिकादिषुसर्वेषु विनियोगो / स्यक्रतोषिभिर्यजुभिरते यज्ञान्योगी स्मारयत्यनेनयान्तनम स्कारोक्तिहिरण्मयेनादित्योपासनमो 3 मितिनामनिर्देशोब्रह्मणः खंब्रह्मेत्याकाशरूपमन्तेब्रह्मध्यायेत् // 9 // अथातश्छन्दोदेवता॥ For Private and Personal Use Only Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir गायन्याअग्निरुष्णिहःसवितानुष्टुभःसोमोबृहत्यावृहस्पतिः पंक्तेर्वस / सू. 78 णस्त्रिष्टुभइन्द्रोजगत्याविश्वेदेवा विराजोमित्रःस्वराजोरुणोतिछन्द : सः प्रजापतिविछन्दसोवायुर्द्विपदायाःपुरुषएकपदायाब्रह्मासर्वात चआग्नेय्यः सर्वाणियज/षिवायव्यानिसर्वाणिसामानिसौराणे : सर्वाणि बाह्मणानिच स्वाहाकारस्याग्निर्वषटारस्यविश्वेदेवाःकर्मा / रंभेमंत्राणांदेवतावेदितव्याः संन्यस्यमनसिदेवतांततोहविहृयतेदे / वतामविज्ञाययोजुहोतिदेवास्तस्यहविर्नजुषन्तेस्वाध्यायमपियो For Private and Personal Use Only Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir HKNOKKMENHASKKEREKKERREKKRICKGREKKKKCKENENEMEHERE धीतेमंत्रदेवतज्ञःसोमुष्मिँल्लोकेदेवैरपीड्यतेतस्माच्चदेवतावेद्यामंत्रमं विषयत्नतोमंत्राणांदेवताज्ञानान्मंत्रार्थमधिगच्छतिमंत्रार्थज्ञानात्तु विधूतपाप्मानाकमायेतिनहिकश्चिदविज्ञाययाथातथ्येनदेवताः / श्रोतानां कर्मणां विप्रःस्मार्तानांचाश्नुतेफलम् // 10 // अनादि ष्टमध्वरादौ // सर्वांतकर्मणिपरिभाषितंमंत्रगणंवक्ष्यामःसर्वमाने / यंगायत्रंगौतमीयर्छ सर्वठसावित्रमौषियहंभारद्वाजीयर्छन्सर्वठ-सौ / म्यमानुष्टुभमाथर्वणिकठसर्वबार्हस्पत्यंबार्हतमाङ्गिरस ठ सर्ववारु / / % 3 For Private and Personal Use Only Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shia La www.kobatirth.org Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सनु *KNEHEK KKKKKAKKKKKk * * * पांक्तमालंबायनीय ठसर्वमैंदत्रैष्टुयाज्ञवल्कीय ठसर्वमादित्य दैवतंजागतंकौत्सम् // 11 // ज्योतिष्टोमेदीक्षाप्रभृति ॥वक्ष्यामो दीक्षायांभृगुरग्नाविष्णुगायत्रीप्रायणीयआंगिरसोदितिरुष्णिक्त्रये विश्वामित्रःसोमोनुष्टुवातिथ्येवसिष्ठोविष्णुवृहतीप्रवर्ये कश्यप आदित्यपङ्किरुपसत्स्वायउपसदेवताविष्टुबग्नीषोमीयेगस्त्योनी षोमौजगतीप्रायणीयेतिरावआग्निवेश्योहोरात्रेअतिजगतीचतुर्वि ॐ शत्यहेसौकरायणः संवत्सरःशक्कर्यभिप्लवेषडहेसौपर्णोद्धमासामा ** ** ** * **kkkkkkk. For Private and Personal Use Only Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobarth.org OMEMORKHECKOKKAKEkkkkkkkkkkkkkKKKREKAR साश्चातिशक्करीपृष्ठयेषडहेसायकायनऋतवोष्टिरभिजितिप्रियघृतो ग्निरत्यष्टिः स्वरसामसुसरस्वत्यापोधृतिविषुवतिरौहिणायनआ दित्योतिधृतिविश्वजितिसौभरइंद्राकृतिर्गोआयुषोबाष्कलिमित्रा वरुणोप्रशतिर्दशरात्रआचार्यो विश्वेदेवाआरुतिदशरात्रिकेप ष्ठ्ये षडहेक्षाल्लवेयोदिशोविरुतिश्च्छन्दोमेषुशौल्वायनइमेलोकाः संकृतिर्दशमेहनिपराशरसंवत्सरोभिरुतिर्महावतेशैलिनःप्रजापति रुकृतिरुदयनीयेतिरात्रभौवायनोवायुश्छन्दाठसिसर्वाणि॥१२॥ For Private and Personal Use Only Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir *MEMORRENER***KKEKX******KEK*KKEKREMOICEKHO ऋषिभिरुपलक्षितंवाक्यं // ऋषयश्छंदोभिरुपलक्षितादेवतामंत्रवर दृग्यजुषयोविनियोगतश्चविज्ञेयाः सर्वमेतच्छन्दोदैवतमाएंच - विज्ञाययत्किंचिज्जपहोमादिकरोतितस्यफलमभुते ब्रह्मयज्ञारंभेय थाविधिस्नात्वाछन्दःपुरुषमेनोनिर्णोदन ठ शरीरंन्यसेत्तिर्यग्बिल / / श्चमसऊर्द्धबुधस्तस्याक्षिणीगोतमभरद्वाजौ श्रोत्रविश्वामित्रजमद / मी नासिकेवसिष्ठकश्यपो वागविर्गायत्रींछंदोग्निदेवताठशिरसि / विन्यसेदेवमेवोष्णिहरी सवितारं ग्रीवास्वनूकेबृहतीं बृहस्पति For Private and Personal Use Only Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir KARNEKHECK ***KKEEKKEkkkkk***HOMEMORN बाह्वोवृहद्रथन्तरेद्यावापृथिवीमध्येत्रिष्टुभमिन्दर्छ श्रोण्योग तीमादित्यं में ट्रेतिछंदसंप्रजापतिपायौयज्ञायज्ञियंवैश्वानरमूर्वोरनु / टुभंविश्वान्देवानष्टीवतोः पंक्तिमरुतःपादयोपिदांविष्णुं प्राणे / पुविछंदसंवायुन्यूनातिरिक्तेष्वङ्गेषुन्यूनाक्षरं छंदापोदेवतेत्येव छ / सर्वांगेषुयोजयित्वावेदमयः संपद्यतेशापानुग्रहसमर्थोभवति बाह्म / तेजश्चवर्द्धतेनकुतश्चिद्भयविन्दतऋङ्मयोयजुर्मयःसाममयस्तेजोम योबह्ममयोमृतमयःसंभूयब्रह्मैवाश्येतितस्मादेतनाब्रह्मचारिणेनात LOKKHREE***XXXMOMEKKIMAXONRHKXEKXEMEHME For Private and Personal Use Only Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kende Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir www.kobaith.org पस्विनेनासंवत्सरोषितायनाप्रवकेनुब्रूयादनेनाधीतेनचांद्रायणा ब्दफलमवाप्नोत्यनेनचसम्यग्ज्ञानेनब्रह्मणःसायुज्यठ-सलोकतामा मोत्यामोति // 13 // इतिसर्वानुक्रमणीयेचतुर्थोऽध्यायः // 4 // अथछंदाठसिगायन्युष्णिक् ॥अनुष्टुब्बृहतीपंक्तित्रिष्टुजगत्यतिज गती शकय॑तिशवर्यष्टयत्यष्टिधृत्यतिधृतयः कृतिप्रकृत्यारूतिविक तिसंकृत्यनिरुत्युत्कृतयश्चतुर्छिशत्यक्षरादीनिचतुरुत्तराण्यूना | धिकेनैकेननिवृद्भुरिजौ द्वाश्यांविराट्स्वराचौ पादपूरणार्थतु क्षेत्र / For Private and Personal Use Only Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir HOMEMOICICICKMAICICKKKAKKHEKANKIMEREMOICKKNO संयोगैकाक्षरीभावान्व्यूहेदाद्येतुसप्तवर्गपादविशेषात्संज्ञाविशेषा स्ताननुकामंत एवोदाहरिष्यामो विरापाविराट्रस्थानाश्चबहूना मपित्रिष्टुभ एवेत्युद्देशस्तबदशैकादशद्वादशाक्षराणविराजत्रैष्टुभजा गताइतिसंज्ञाअनादेशेष्टाक्षराः पादाश्चतुष्पदाश्चर्चः॥ 1 // प्रथम छन्दस्त्रिपदागायत्री॥पंचकाश्चत्वारःषटश्चैकश्चतुर्थश्चतुष्कोवापद पंक्तिःषट्सप्तैकादशाउष्णिग्गर्भा स्वयः सप्तकाःपादनिचून्मध्यमःष दश्चेदतिनिचूद्दशकश्चेद्यवमध्या यस्यास्तुषट्सप्तकाष्टकाःसावर्द्धमा KKKHEMEREKKEKKKK*****KKREENSIONERIMERI For Private and Personal Use Only Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ना विपरीताप्रतिष्ठा द्वौषटौसप्तकश्चेतिन्हसीयसी॥२॥ द्वितीयमु ष्णिक्विपदांत्योद्वादशकायश्चेत्पुरउष्णिमध्यमश्चेत्ककुप्वैष्टुभ | जागतचतुष्काःककुम्न्यंकुशिरैकादशिनोःपरःषस्तनुशिरामध्येचे / त्पिपीलिकमध्याद्यःपंचकस्खयोष्टकाअनुष्टुब्गर्भाचतुःसप्तकोष्णिगे व // 3 // तृतीयमनुष्टुप्चतुष्पदाथपंचपंचकाःषटुश्चैकोमहापदपं क्तिर्जागतावष्टकश्चकृतिमध्येचेदष्टकः पिपीलिकमध्यानवकयोर्म / ध्येजागतःकाविराणनववैराजत्रयोदशैनष्टरूपादेकास्त्रयोविराडेका MORXOMMMEREMONOKARMINORIGIORN For Private and Personal Use Only Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir CHOKRODCOMDMOM ***KHEROIREMENDMERCISMEIGAME दशकावा ॥४॥चतुर्यवृहतीतृतीयोद्वादशकआद्यश्चेत्पुरस्ताद्वृहती द्वितीय श्चेन्न्यंकुसारिण्युरोबृहतीस्कंधोपीवीवांत्यश्चेदुपरिष्टादृहत्य ष्टिनोर्मध्येदशकौविष्टारबृहती विजागतोबृहती त्रयोदशिनोर्मध्ये / टकःपिपीलिकमध्यानवकाष्टकैकादशाष्टिनोविषमपदाचतुर्नवका बृहत्येव 5 // पंचमपंक्तिःपंचपदाऽथचतुष्पदाविराट्दशकाअयु जौजागतौसतोबृहतीयुजौचेद्विपरीताद्योचत्यस्तारपंक्तिरंत्यौचेदा / स्तारपंक्तिराद्यांत्यौचेत्संस्तारपङ्क्तिमध्यमौचेद्विष्टारपंक्तिः।ाषष्ठं / AMERIKXKAMODIKHEKAMONGKMSROKNEKHENGERMER For Private and Personal Use Only Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra EKHORMOMEMA***KKRMIREMERCICICICIEN / त्रिष्टुपुत्रैष्टुभपदाद्वौतुजागतौयस्याः साजागतेजगतीवैष्टुभत्रिष्टुब्वैर राजौजागतौचाऽभिसारिणी नवकौवैराजस्त्रिष्टुभश्चद्वौवावैराजौनव / कढेष्टुभश्चविराट्रस्थानैकादशिनस्त्रयोष्टकश्च विरापाद्वादशिनस्त्र / योष्टकश्चज्योतिष्मतीयतोष्टकस्ततोज्योतिश्चत्वारोष्टकाजागतश्च | महाबृहतीमध्येजागतश्चेद्यवमध्याद्यौदशकावष्टकास्त्रयःपत्त्युत्तरा / विराट्रपूर्वावा // 7 // सप्तमंजगतीजागतपदाष्टिनस्त्रयःस्वौचद्वौमा / हासतोबृहत्यष्टकौसप्तकःषट्रोदशकोनवकश्चषडष्टकावामहापंक्तिर्मा For Private and Personal Use Only Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only