________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir CREKAKKENERGREEKEX KKKRAMPREMEME नोयसेत्पूर्वमक्षरम् // स्वरंदीर्घप्रयुंजीतपश्चान्नासिक्यमाचरेत् // यथासौराष्ट्रिकानारीअरॉइत्यभिभाषते // एवंरंगःप्रवक्तव्योङका रः परिवर्जितः॥ द्विमात्रिकोमात्रिकोवानासामूलंसमाश्रितः // अंतेप्रयुंजतेरंगः पंचमैः सानुनासिकः // यथासौराष्ट्रिकानारी / अराँइत्यभिभाषते॥ एवरंगविजानीयात्कारपरिवर्जितम् // नंतरंमकारस्ययोरंगस्तत्ररंज्यते // सर्वानुनासिकंविद्यादेषामध्यो 23 पधानिका // यरलवशषसहरज्यंतेचोपधानिका // गतिरंग। KRONICICICIREMOICICIRIGIGRICKERMERMENDEMOIGMERIE* For Private and Personal Use Only