Book Title: Yogakshema Sutra Author(s): Niranjana Jain Publisher: Jain Vishva BharatiPage 12
________________ मित एवं सुनियोजित जीवन शैली हमारे लिये प्रकाश स्तम्भ है । आपके जीवन से उकताहट, नीरसता एवं अतृप्ति कोसो दूर है । आप सदैव अपने में सन्तुष्ट, एकान्तप्रिय एवं मनोरंजन की दृष्टि से कलात्मक कार्य में व्यस्त रहती हैं । आप धर्म, धर्मसंघ एवं संघपति के प्रति परम समर्पित हैं, श्रद्धेय आचार्य प्रवर, युवाचार्य श्री एवं महाश्रमणीजी की अनन्य कृपा दृष्टि आप पर है । यथासमय गुरु सन्निधि आप प्राप्त करती रहती है तथा साधनामय जीवन को दृढ़ आधार प्रदान करती रहती है । "योगक्षेम वर्ष में '७५' प्रकार के संकल्प करना हमारे लिये आश्चर्यकारी है । तथा इस वर्ष दीर्घ प्रयोग कर हमारे गौरव को दिगुणित किया है । वाणी पर संयम अधिक कठिन है लेकिन आपने यह प्रयोग कर मन, तन एवं भावों को प्रशिक्षित किया है । आप संकोची स्वभाव की हैं, अपने को अधिक प्रकट करना नहीं चाहती फिर भी हमने आपके बाहरी व्यक्तित्व का एक चित्र खींचा है । साधक का अन्तर्जगत सामान्य व्यक्ति से अलग होता है, उनके हृदय का स्पर्श हमारे लिये बहुत कठित है फिर भी उनका आचरण, व्यववहार व बातें एक मिशाल है । - चोरड़िया परिवार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 214