Book Title: Vitrag Vigyana Pathmala 1
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates पाठ ३ सात तत्त्व आचार्य गृद्धपिच्छ उमास्वामी (व्यक्तित्व और कर्तृत्व) तत्त्वार्थसूत्रकर्तारं, गृद्धपिच्छोपलक्षितम्। वन्दे गणीन्द्रसंजातमुमास्वामीमुनीश्वरम्।। कम से कम लिखकर अधिक से अधिक प्रसिद्धि पाने वाले प्राचार्य गृद्धपिच्छ उमास्वामी के तत्त्वार्थ सूत्र से जैन समाज जितना अधिक परिचित है, उनके जीवन परिचय के संबंध में उतना ही अपरिचित है। ये कुन्दकुन्दाचार्य के पट्ट शिष्य थे तथा विक्रम की प्रथम शताब्दी के अन्तिम काल में तथा द्वितीय शताब्दी के पूर्वार्ध में भारत-भूमि को पवित्र कर रहे थे। आचार्य गृद्धपिच्छ उमास्वामी उन गौरवशाली प्राचार्यों में हैं, जिन्हें समग्र प्राचार्य परम्परा में पूर्ण प्रामाणिकता और सन्मान प्राप्त है। जो महत्त्व वैदिकों में गीता का, ईसाइयों में बाइबिल का और मुसलमानों में कुरान का माना जाता है, वही महत्व जैन परम्परा में गृद्धपिच्छ उमास्वामी के तत्त्वार्थ सूत्र को प्राप्त है। इसका दूसरा नाम मोक्षशास्त्र भी है। यह संस्कृत भाषा का सर्वप्रथम जैन ग्रन्थ है। यह ग्रन्थराज जैन समाज द्वारा संचालित सभी परीक्षा बोर्डों के पाठ्यक्रमों में निर्धारित है और सारे भारतवर्ष के जैन विद्यालयों में पढ़ाया जाता है। प्रस्तुत अंश तत्त्वार्थ सूत्र के आधार पर लिखा गया है। १२ Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35