Book Title: Virchand Raghavji Gandhi Ka Jivan Charitra Author(s): Shyamlal Vaishya Murar Publisher: Jainilal Press View full book textPage 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ख ) भर भी वे सेवा से विरत नहीं हुये । वास्तव में ऐसे मनुष्यों का जन्म संसार में स्वर्ग बनाने के लिये हुआ था। इन्हीं के परिश्रम का फल है कि उन के यत्न से आज संसार की मनुष्य जाति अनेकों प्रकार के सुख भोग रही है । ऐसे महापुरुषों की गुणगरिमा संसार में उस समय तक बनी रहेगी जिस समय तक मनुष्य जाति का नाम रहेगा। - ऐसेही महापुरुषों में मिस्टर गांधी का जन्म हुआ था। जैन जाति को इस पर अभिमान है कि वर्तमान काल में उस जाति में ऐसे कर्मवीर ने जन्म लिया। मिस्टर गांधी ने अपना. सारा जीवन लोकोपकार में बिता दिया । वे मस्ते समय तक मनुष्य समाज की सेवा के लिये कटिवद्ध रहे। जैन धर्म और जैन जाति का तो उन्हों ने बड़ा उपकार कियाही है पर उन्हों ने साब जनिक कामों में भी खूब योग दिया है। वे पक्क देश भक्त थे। केवल जैनियों के उत्थान के लिये उन्होंने परिश्रम नहीं किया बल्कि अपने देश और देश भ्राताओं के लिये कुछ उठा नहीं रखा। काल में मरिका से अन्न का भरा हुआ जहाज भिजवाना शिक्षा के प्रचार के लिये मिशन स्थापित करना, उनकी देश भक्ति को उत्कट प्रमाण हैं। अमेरिका में भारत वासियों की ति रीति के विषय में किम्बदन्तियां फैल रही थीं। उनको ५. सरोका श्रेय मिस्टर गांधी कोही है। हम स्वयं कुछ माह का प्रातः स्मरणीय महात्मा महादेव गोविन्द रानाडे दी हुई स्पीच को पढ़ने की प्रार्थना करते हैं। उसका सारांश जीवन चरित के अंत में दियागया है। - जैन समाज के नवयुवको, उठो, अपने इस बंधु का अनु. करण करो । देश और समाज सेवा में अपने जीवन को अर्पण For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42