Book Title: Virchand Raghavji Gandhi Ka Jivan Charitra
Author(s): Shyamlal Vaishya Murar
Publisher: Jainilal Press

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Page 38
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३७ ) नं०३ स्वामी विवेकानन्द और वीरचन्दकी तुलना ..महात्मा विवेकानन्द प्रार्य तत्व ज्ञान की वेदान्त फिलास्फी समझाने के लिये चिकागो की धर्म परिषद में गये वे ४० वर्ष की अवस्था मेंही सन १६०२ में मृत्यु को प्राप्त हुये उस समय अमेरिका के प्रसिद्ध पत्र "बैनर श्राफ लाइट" ने तुलना करते हुये लिखा था। जैन तत्व ज्ञानी बीरचन्द की लेखन शक्ति एवम् वक्तत्व शक्ति में जो विचारों की नूतनता थी वह विवेकानन्द में न थी स्वामी विवेकानन्द मांसाहारी थे पर वीरचन्द धार्मिक जैन की भांति जीवन व्यतीत करनेवाले निर्दोष वनस्पत्याहारीथे भारत के दोनो उत्तम रत्नों के लिये नीचे लिखी बातें कही जासकती हैं। ... (१) विविध धर्मों की चरचा करने के लिये सन १८६३. में भरने वाली चिकागो की धर्म परिषद में गये और प्रशंसा पाप्त की। (२) दोनों लोक प्रिय व्याख्यान कार थे । अमेरिका के श्रोताओं की ओर से उनके सम्बन्ध में स्तुति वचन सुनाई पड़ते हैं। (३) जिन लोगों ने इनके भाषणों को सुना उन उन ने उनके सिद्धांतों की प्रीति पूर्वक स्वीकार किया और जिन्होंने उनके सिद्धांतों का यथार्थ निर्णय करने के लिये विचार किया उनके मन के ऊपर इनके विचारों की छाप अद्यापि पर्यन्तरहीहै ... (४) दोनों ने थोड़ी उम्र पाई विवेकानन्द ४० वर्ष की भायु में और दीरचन्द ३७ वर्ष की आयु में स्वर्गस्थ हुये। For Private and Personal Use Only

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