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fart की धर्म परिषद में जैन प्रतिनिधि की भांतिही नहीं, परन्तु भारतीय अध्यात्म विद्या के पक्के पोषक की भांति आपने कार्य किया, हमें यह कहते हुये संतोष तथा अभिमान होता हैं। हिन्दु धर्म की रीति रिवाजों के अनुसार समुद्र यात्रा का निषेध है। उसपर भी कठिनाइयों की परवा न करके आपने अमेरिका की यात्रा की। वहां जाकर अमेरिका के भिन्न २ भागों में प्रवास किया और अमेरिकन लोगों को आर्य धर्म तथा तत्वज्ञान के बहुमूल्य उपदेशों का बोध कराया। अमेरिकन लोगों ने आपके मत का अनुमोदन किया यह जानकर हम बड़ आनन्दित हैं । अमेरिकन लोगों का हिंदू धर्म तथा तस्व 1 ज्ञान के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न करने में आपने अच्छी सफलता प्राप्त की है ।
उसके पश्चात् भारतवर्ष की स्त्रियों की अज्ञानावस्था की और अमेरिकन बहनों का ध्यान आकर्षित किया और भारतीय स्त्रियों की विद्या बृद्धि के लिये आपने अमेरिकन स्त्रियों की एक मंडली स्थापित की। उस मंडली की ओर से तीन भारतीय विदुषियों को वहां रहने और शिक्षा लाभ करने के लिये आमंत्रण मिला | तीन साल तक उस मंडल के व्यय संही वे विदुषियें वहां रहीं और शिक्षा प्राप्त की । उस दयालु श्रमंत्रण के लिये भारतीय स्त्रिये अमेरिकन बहनों का बड़ा आभार मानती हैं, यह आप उन्हें सूचित करदें ।
आपके काम यहांही समाप्त नहीं होते । इसके पश्चात् जब भारत में दुष्काल पड़ा तब आप ने इस ओर भी अमेरिकन लोगों का ध्यान आकर्षित किया और अन्न का एक स्टीमर भिजवाया। आप की यह सेवायें और यह देश प्रेम प्रशंसनीय
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