Book Title: Virchand Raghavji Gandhi Ka Jivan Charitra
Author(s): Shyamlal Vaishya Murar
Publisher: Jainilal Press

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कर्तव्य कर्म के भक्त महात्मा श्रीयुत वीरचन्द राघव जी गांधी का अल्प किन्तु महत्वपूर्ण चरित्र रूपी श्रादर्श निवेदन किया जाता है। ॥जन्म ॥ जैन धर्मीय श्वेताम्बर सम्प्रदाय में काठियावाड़ प्रदेश के भावनगर शहर के निकट बर्ती ग्राम महुवा में आपका जन्म हुआ था । तारीख २५ अगस्त सन् १८६४ को वीरचन्द गांधी ने गरीब पर उत्तम कुल में जन्म लिया । आप के पिता का नाम राघव जी भाई था । राघव नी भाई जवाहरात का काम करते थे। इस व्यवसाय में बड़े ही प्रवीण थे। साथही धर्म में भी आप की बड़ी रुचि थी । धर्मानुरक्त और धर्म कथा में आप एक दक्षपुरुष थे । जिसे आज कल शिक्षा कहते हैं उस प्रकार की उन्हों ने शिक्षा न पाई थी। पर वे अपने समय के अच्छे सुधारक थे। उस समय की निरुपयोगी, अप्रस्तुत और अज्ञान युक्त प्रचलित रिवाजों के सुधार में उन्हों ने समाज के लिये बड़ा परिश्रम किया था । मृत्यु के पीछे माथा कूटने का बुरा रिवाज गुजरात और काठियावाड़ में बाहुल्यता से और बड़े जोश से प्रचलित था । चरित नायक के पिता ने इसे बुरा समझ कर अपने ही घर से इस रिवाज को हटाकर अपूर्व धैर्य प्रदर्शित किया था । और समाज के सामने आदर्श स्थापन कर दिया था। सुधारक पिता के वीरचन्द जैसा सुधारक बेटा होना स्वभाविक ही है। शिक्षा बचपन में वीरचन्द गुजराती शाला में पढ़ने के लिये भेजे For Private and Personal Use Only

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