Book Title: Virchand Raghavji Gandhi Ka Jivan Charitra
Author(s): Shyamlal Vaishya Murar
Publisher: Jainilal Press

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Page 23
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२२) Philosophy and Bycbology of.the Jains जौनयों का स्वार्थ त्यांगका गढ़, धर्म ( The Occult law of sacrifice ) जीवन के सत्य सिद्धांत ( The true laws of life ) और जैनियों का विश्वसे सम्बन्ध ( Jains Relation to the Univrse ) थे इनके सिवाय और भी अनेक भाषण अमेरिका में दिये थे। इस के पश्चात अमेरिकन लोगों को जैन तत्व ज्ञान का परिचय होता रहे. इस उद्देश्य से आपने वहां “गांधी फिलासफिकल सोसायटी नामक संस्था भी स्थापित करदी। इस प्रकार उद्दिष्ट कार्य में यश प्राप्त करके मि० गांधी ने इंगलैंड में प्रवेश किया इंगलेंड के कार्य लन्दन आदि प्रसिद्ध प्रसिद्ध नगरों के विद्वानों की मंडलियों में जैन धर्म के मूलभूत तत्वोंपर मि० गांधीने कितने ही भाषण दिये । इस समय बम्बई के भूत पूर्व गवर्नर लाई रे भी इङ्गलेंड में ही थे। मि. गांधी का पहिले से ही उनसे परिचय था। अतएव इन्हें अपने कार्यों में उक्त लार्ड साहब से भी बड़ी सहायता मिली । इङ्गलेण्ड में गांधी के कार्यों का यह परिणाम हुआ कि बहुत से जिज्ञासुओं ने जैन धर्म. सीखने की प्रबल नोट-इनके अंगरेजी व्याख्यानों की पुस्तकें मेघ जी हीर नी बुकसेलर पायधुनी, बम्बई; शेठ देवचन्द लाल भाई पुस्तकोद्धार फंड झवेरी बाजार, बम्बई अथवा जैन ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय, हीराबाग बम्बई से मिल सकती हैं। उन्हें पढ़कर लाभ उठाना चाहिये । पुस्तकों के माम और कीमत इस प्रकार है : Jain Philosophy Rs. 1/8/-, Yog Philosophy dg five te Kayma Philosophy -15/ For Private and Personal Use Only

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