Book Title: Vihar Varnan
Author(s): Jayantvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 82
________________ ५४ मांगरोल (जी. सूरत ) मां श्रावकना घरमां उतर्या, घर देरासरमां धातुनी पंचतीर्थी छे. देरासर तथा उपाश्रय बन्ने नवां थाय छे. ५५ सूरत मोटुं शहेर छे. श्रावकोनां घर आ० ८०० थी १०००, मोटां देरासरो आ० ५०, घरदेरासरो आ० ७५, नाना मोटा उपाश्रयो तथा धर्मशालाओ घणी छे, तेमां नेमुमाइनी वाडी, वडा चौदानो उपाश्रय, गोपीपुरा जैनधर्मशाला अने देवचंद लालभाइ जैनधर्मशाला विगेरे मुख्य छे. शेठ दे० ला. जैनपुस्तकोद्धारखातुं, आगमोदय समितिनी ओफीस, मोहनलालजी जैनपुस्तकभंडार, जैनआनंदमंदिर, विगेरे पुस्तकोद्धारनां खातांभो, भंडारो अने पुस्तकालयो छे. वडाचौटा जैनबोर्डीग, रतनसागरजी जैनपाठशाला अने बोर्डीग अने जैनवनिताविश्राम विगेरे संस्थाओ छे. अहिं संघ तरफथी १ भोजनशाला मोटा पाया ऊपर चाले छे तेमां खर्च घणो थाय छे पणं व्यवस्था बराबर नथी. ५६ वांझमा उपाश्रय निरुपयोगी होवाथी भाडे आपेल छे, पटेलना मकानमा उता. ५७ डाभेलमां श्रावकोना घरमां उतर्या. वांझथी डाभेल आवतां रस्तामा एक नानी, पण ऊंडी नदी आवे छे. नावमा बेसीने उतरवू पडे छे. कीचड खुंदवो पडे छे. माटे सचीन थइने रेल्वेनी सडके नवसारी नवं सारुं छे. परंतु वांझ अने डाभेलना श्रावकोने पण लाभ आपवो जरुरी छे. ५८ नवसारी गाम मोटुं छे. देगसर, बन्ने उपाश्रयो, धर्मशाला अने पुस्तकालय विगेरे एक विशाल कंपाउंडनी अंदरज छे. ५९ वलसाड, सूरत जील्लानो तालुको छे, गाम सारुं छे. वलसाड जैनहितवर्धकमंडल, जैनलाइब्रेरी अने जैनपाठशाला विगेरे छे. १० दमणमां फिरंगीनु राज्य छे. जुनुं दमण अने नवं दमण एम बे विभागथी वहचायेलं छे. बन्नेनी वच्चे समुद्रनी नानी खाडी आवेली छे, नावथी उतरीने जवाय छे. नवा दमणमां सरकारी महेलो, कोर्ट-कचेरी विगेरे छे. श्रावकोनां घर, देरासर, उपाश्रय, जैनधर्मशाला अने जैनलाइब्रेरी विगेरे जुना दमणमां छे. गामंना झापामांज मोटो समुद्र होवाथी गाम रमणीय लागे छे. ११ संजाणमां मोढ वाणीयानी धर्मशालामां उता. अहिंथी सोळसंभा, बोरडीने रस्तेथी गोलवड जवाय छे, ते रस्ते श्रावकोनां घर आवे छे पण खाडीओ उतरवी पडे छे, माटे रेलनी सडके थइने जवू सारुं छे.

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