Book Title: Vihar Varnan
Author(s): Jayantvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 120
________________ ( १०२ ) थएला छे, तथा भरतचक्रवर्ती, सगरचक्रवर्ती रामचंद्रजी, लक्ष्मणजी विगेरे घणा पुरुषरत्नो अहिं थइ गएला छे, तेथी आ भुमी खरेखर तीर्थरूप छे. अहिं एक देरासर छे, तेनी बहार एक चौमुखजीनुं समवसरण छे, पासेज धर्मशाला छे, यात्रालुओने सर्व प्रकारनी सगवड छे. जैन देरासरनो वहीवट कलकत्तावाला बाबु माधवलालजी दुगडना हाथमां छे. अयोध्याजीमां हिंदुओनां मोटा मोटां मंदिरोमां १ कनकभवन २ भिख्खुसाव विगेरे केटलांक मोटां मंदिरो जोवालायक छे. श्रीमान् महंत भगवानदासाचार्य विगेरे अहिं निवास करता घणा महतो तथा पं, दुर्गादत्तजी, बाबु नानकशरणनी, बाबु सुखराज बहादुर विगेरे सद्गृहस्थो घणा सज्जन अने लायक छे. २९४ फैजाबाद, जील्लो छे. मोटुं शहेर छे. स्टेशन अने बजार छे, अहिं जैन श्वे. मंदिर १ छे, ते कलकत्तावाळा बाबु मोतीचंदनी झवेरीना पिताजीए बंधाव्युं छे. धर्मशाला के उपाश्रय नथी परंतु देरासरनी पासेज पांच-दस माणसो उतरी शके तेटली जग्या छे. जैन श्वे० श्रावकनुं एक घर छे. देरासरनो वहीवट कलकत्तावाळा बाबु लाभचंदनी मोतीचंदनी करे छे. लाला रामरघुवीर बहु सजन माणस छे तेना मकानमां मोटा कमरामा उतारो कर्यो. वकील महेन्द्रलाल वर्मा पण सज्जन माणस छे. . २९५ नौरांइ ( रत्नपुरी ), जैन तीर्थ छे. श्रीधर्मनाथ भगवान्नां ४ कल्याणक अहिं थएलां छे. मंदिर रमणीय छे. मूर्तिओ भव्य अने प्राचीन छे. संप्रतिराजाना वखतनी छे तेम कहेवाय छे. देरासरनी पासे एक धर्मशाला छे यात्रालुओने सगवड छे. अयोध्यानी यात्रा करनारे अहिंनी यात्रा जरूर करवी जोइए. देरासरथी लगभग एक माइल दूर स्टेशन पण छे. रदोलीमा बाबु पुरुषोत्तमदासना मकानमा उता. बाबु पुरुषोत्तमदास तथा प्रल्हाददास मारवाडी बहु लायक अने सज्जन छे. २९७ बदोलीमां जमीनदार शिवनंदनीना मकानमा उतर्या. तेओ अहिंना सारा रहीश अने धर्मिष्ट तथा सज्जन छे. २९८ बाराबंकीमां वकील शंमुनाथनीना मकानमां उता. अहिं दिगंबरनां ३०-४० घर छे. . २९९ लखनौ; बादशाही वखतनुं प्राचीन, प्रसिद्ध, यु. पी. मां एक मोटुं अने सुंदर शहेर छे. अहिं ओसवाल अने श्रीमालनां थइने श्रावकोनां ५५

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