Book Title: Vihar Varnan
Author(s): Jayantvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 119
________________ २८५ बावदपुरमा गामनी नजीकमां कूवा पासे तबुगा उतो. अहिं एक नानी स्कूल छे. २८६ पिंडरा, बनारसथी १४ माइल थाय छे. आ गाम प्राचीन छे, तेनी निशानी तरीके एक फुट्यो तुटयो किल्लो मौजूद छे. सन १७४९ मां न्यारे सुजाउद्दौलाए बलवंतसिंह ऊपर हुमलो कर्यो, त्यारे गुलाबकुंवरी नामनी राणीए घणी शूरवीरताथी तेनी साथे लडाइ करी हती. मोगल बादशाह शाहजहांना वखतमां पण आ एक मशहूर जग्या हती. शाहजहांनी तरफथी पहेलां एक नायब रहेतो हतो. आ जगा ऊपर पहेलां पिंडारा चोरो रहेता हता तेथी आ गामनुं नाम पिंडरा पडयुं छे. अहिं स्कूल, पोस्ट ओफीस अने तहसील छे. सरदार प्रेमसिंघजी मोटा रहीश, साधुभक्त अने सज्जन छे. अहिंथी खालीसपुर स्टेशन बे माइल थाय छे. २८७ जलालपुर, गाम तद्दन नानुं छे. अहिंथी थोडे दूर एक स्टेशन छे. एक कुवा ऊपर तंबुमां पडाव कर्यो. थाणुं छे. २८८ जौनपुर, बादशाही समयनुं प्राचीन नगर छे. शहेर मोटुं अने सारुं छे. परंतु धर्मशाला हिंदुओने उतरवा लायक एक पण नथी. गुलरघाट ऊपर एक बावाजीनुं धाम छे त्यां मुकाम कर्यो. अहिं एक पशुशाला छे, तेना सेक्रेटरी श्रीमान् कृष्णसेवकदास तथा श्रीमान् राधाकृष्णजी घणा उत्साही तथा सज्जन छे. अहिं ३-४ मस्जीदो जोवालायक छे. तेमां एक मोटी मस्जीद छे ते पहेलाना जमानामां जैन अथवा हिंदुनु मंदिर होय तेवी दंतकथा चाले छे. २८९ सरायखेता, आ कस्बाने नवाब वजीर सुजाउद्दौलाए वसाव्यो कहेवाय छे. २९० शाहगंजमा प्रसिद्ध रहीश भगवानदासजी रामदासजीना मकानमा उता. अहिं एक धर्मशाला छे, पण अमोने जैन होवाथी त्यां रहेता रामानुज साधुए उतरवा दीधा नहीं. २९१ बरमडपुरमा ठाकुर पांडेने त्यां मुकाम-कर्यो. आ ब्राह्मणोनुं नानु गाम छे. २९२ अकबरपुरमां बनारसवाला राजा मोतीचंदजी साहेबनी कोठीमा उता. २९३ अयोध्याजी, जैनो अने हिंदुओनुं प्राचीन तीर्थ छे. मोटुं शहेर छे. स्टेशन अने बजार छे. अहिं प्रथम तीर्थकर श्रीऋषभदेवजी विगेरेनां थईने १९ कल्याणको

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