Book Title: Vihar Varnan
Author(s): Jayantvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 117
________________ ( ९९ ) २९९ महुवामां गाम बहार जयपुरना रस्ते ठाकुरमंदिर अने धर्मशाला छे. अहिंथी जयपुरनुं राज्य शरु थयु. २६० दौसा, मोटुं गाम छे. रेल्वे स्टेशन छे. सडकथी बे फर्लोग डाबी बाजु छे. लक्ष्मी नारायण तथा रूपनारायण विगेरे जैनोनां घर छे. २६१ मोहनपुर, गाम सार्क छे. उतरवा स्थान मळे छे. दिगंबर तथा पल्लीवालोनी वस्ती छे. २६२ घाट, आ जयपुर राज्यनी बहु रमणीय अने विशाल जग्या छे. घणा लोकोनी हवेलीओ छे. कोइ कारणसर लोको तेमां निवास करे छे. जैन श्वे० देरासर १ छे. उतरवाना स्थाननो पार नथी. २६३ जयपुर, मोटुं शहेर छे. श्रावकोनां घर ल० १०० तथा देरासरो ११ छे. अहिंन चित्र काम दुनियामा एक नमूनेदार थाय छे. आ शहेरनी बांधणी जुदीज रीतनी होवाथी बहु रमणीय लागे छे. रामनिवास बगीचो तथा संग्रहस्थान खास जोवा लायक छे. अहिंथी ४ कोस सांगानेर तथा त्रण कोस आमेरनी यात्रा करी पाछा अहिं आव. २६४ जयपरस्टेशनपर एक जैनधर्मशाला छे. तेमां श्रीकेशरीयानाथजीनुं देरासर छे. २६५ भाखरोटा वावडी, सडकथी नजीक छे. अहिं दिगंबरीनी वस्ती छे. उतरवा स्थान भळे छे. २६६ ठीकरी, सडकथी जमणी बाजु थोडे छेटे छे. दिगंबरीनुं घर १ भक्तिवालुं छे. २६७ दांत्री, सड़कथी जमणी बाजु अरधो फर्लाग दूर छे. जैन श्वे. नां ५-७ घर घणां भक्तिवालां छे तथा एक देरासर छे. २६८ किसनगढ, मोटुं शहेर छे. श्रावकोनां घर २०-२५ छे. देरासर ४ छे, तेमां चिंतामणि पार्श्वनाथनुं देरासर मोटुं छे. सुगुणचंदनी तथा धनरूपमलजी लोढा विगेरे श्रावको भक्तिवाला छे. २६९ नाजरवावडी नामनी मोटी वाव सडकथी जमणी बाजु छे. उतरवानी जग्या सारी छे. झाडीवाळी जग्या होवाथी आराम छे. २७० अजमेर, मोटुं शहेर छे. अहिं आवतां रस्तामा गगवाणुं तथा घुघरा ए बे गाम आवे छे, अजमेरमां जैन श्वे. मंदिर २ छे. उपाश्रय छे. अहिं दौलतत्राग, खाजा

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