Book Title: Vihar Varnan
Author(s): Jayantvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 100
________________ पं० फुदीलालजी जैन सराफ, २ ताराचंदजी जैन. दरवाजा बहार सडक ऊपर हिंदु धर्मशालामां रात रह्या. त्यांथी २॥ फर्लोग चाली आगरारोड ऊपर चड्या, मा० नं० १५८. बीजीवार मा० नं० १५८-२ थी २ फर्लोग दूर तहेसील, होस्पी टाल अने डाकबंगला पासे फारेस्ट ओफीसना मकानमां उतर्या. १४८ सेसइ पासे सडक ऊपर ग्वालियर सरकारनो खास बंगलो छे तेनी पासेवी एक पाकी सडक छोटा कोटा अने बारा थईने कोटा गई, ( आशरे मा० १२० ). कोटाथी १ झालरापाटण थइने उज्जैननी, अने २ बुंदी थइने देवलीनी पाकी सडको छे. देवलीथी ? अजमेरनी अने २ जयपुरनी पाकी सडको छे. १४९ शिवपुरी (सीपरीनी छावणी), ए ग्वालियर स्टेटनो जील्लो छे. स्टेशन अने बजार छे. दर वरसे सीजनमां आठ महीना ग्वालियर सरकार अहिं रहेता होवाथी शहेरने घणुं रमणीय बनाव्युं छे. बाग-बगीचा, धर्मशालाओ, सदाव्रत, तलावो, मोटा मोटा बंगलाओ, तार-टेलिफोन, विजली, पाणीना नल अने सुंदर सडको विगेरेथी शहेर सुशोभित छे. संभव छे के थोडा वर्षोमां ग्वालियर स्टेटनी मुख्य राज्यधानी शिवपुरी बनी जाय. मा० नं० १४३-६ थी आगरारोड छोडी २ फलोग चाली उपाश्रये आव्या. पूज्यपाद गुरुवर्य जगत्पूज्य श्रीविजयधर्मसूरीश्वरजी महाराजनो अहिंज स्वर्गवास थएलो होवाथी तेओश्रीना अग्निसंस्कारना स्थाने, श्रीमान् महाराजा ग्वालीयर सरकारे भेट करेली जमीन ऊपर घणुंन भव्य अने दर्शनीय धर्मसमाधिमंदिर बन्युं छे. ज्यां धर्मशाला विगेरे बनेल होवाथी यात्रालुओने उतरवानी सगवड छे. पूज्यपाद गुरुवर्ये विलेपारले ( मुंबइ ) मां स्थापन करावेल श्रीवीरतत्त्वप्रकाशकमंडलने पण हवे शिवपुरी-श्रीविजयधर्मसूरि गुरुभक्तिभवनमा कायम करवामां आव्युं छे. ते मंडलना पाठ्य क्रम अने नियमो विगेरेमां घणो सुधारो वधारो करवाथी हाल ते घणुं प्रगति ऊपर आव्युं छे. आ० गृ० १ शेठ पीरचंदनी फुलचंदनी ह. शेठ टोडरमलजी तथा शेठ कानमलजी सांकला छे. स्था०वा० नां १५ घर छे. सौभाग्य सरस्वती मुवन जैन पुस्तकालय छे. पण ते हवे बंध छे. दिगं० नां ५-७ घर तथा १ चैत्यालय छे, अने सीपरी गाममा दिगं० नां १०-१५ घर अने एकः देरासर छे. शिवपुरीमां जोवालायक स्थानो-१ जीना मह राणीनी छत्री, २ चांदपाठा तलाव, ३ भदैयाकुंड, ४ बाणगंगा विगेरे. सीपरीनुं माम श्रीमान् ग्वालियर सरकारे शिवपुरी

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