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10.
'इज्ज' होते हैं। ये प्रत्यय क्रिया व कालबोधक प्रत्यय के बीच में लगाये
जाते हैं।
(हस + इज्ज,
9. नान्त्यद्वित्वे 7/9
11.
ईअ)
(कर + इज्ज, ईअ)
-
नान्त्यद्वित्वे { (न) + (अन्त्य) - (द्वित्वे ) }
न = नहीं { (अन्त्य)
(द्वित्व) 7/1 }
अन्त्य द्वित्व होने पर (ईअ, इज्ज) नहीं होते ।
धातु का अन्तिम वर्ण द्वित्व हो तो यक् (भाववाच्य और कर्मवाच्य के
प्रत्यय) के स्थान पर ईअ, इज्ज नहीं होते ।
यदि गम्म धातु हो तो इज्ज, ईअ प्रत्यय नहीं लगेंगे।
( हस + न्त) = हसन्त
( हस + माण ) = हसमाण
वररुचि-प्राकृतप्रकाश (भाग
हसिज्जइ / हसीअइ (वर्तमानकाल का भाववाच्य )
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=
न्तमाणौ शतृशानचो: 7 / 10
शतृ
{ (न्त ) - ( माण ) 1/2} { ( शतृ) - (शानच् ) 6 / 2 } और शानच् के स्थान पर 'न्त' और 'माण' (होते हैं) । और शानच् (वर्तमान 'माण' होते हैं।
शतृ
करिज्जइ / करीअइ (वर्तमानकाल का कर्मवाच्य )
2)
=
ई च स्त्रियाम् 7 / 11
ई (ई) 1/1 च = और स्त्रियाम् (स्त्री) 7/1
स्त्रीलिंग में 'ई' और (न्त, माण होते हैं) ।
शतृ और शानच् (वर्तमान कृदन्त के प्रत्यय) के स्थान पर स्त्रीलिंग में 'ई' और 'न्त' और 'माण' होते हैं।
कृदन्त के प्रत्यय) के स्थान पर 'न्त' और
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