Book Title: Varruchi Prakrit Prakash Part 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 31
________________ 29. नैदावे 7/29 30. 31. प्रेरणार्थक कर्मवाच्य (कर + आवि + इज्ज / ईअ) = कराविज्ज/करावीअ ( सूत्र 7 / 8 से इज्ज / ईअ) प्रेरणार्थक भाववाच्य (हस + आवि + इज्ज / ईअ) = हसाविज्ज / हसावीअ (सूत्र 7 / 8 से इज्ज / ईअ) 22 नैदावे { (न) + (एत्) + (आवे ) } न = नहीं एत् (एत्) 1 / 1 एत्→ए, आवे नहीं (होते.) । क्त (भूतकालिक कृदन्त का प्रत्यय), कर्मवाच्य और भाववाच्य के प्रत्यय परे होने पर प्रेरणार्थक प्रत्यय के स्थान पर एत् ए, आवे नहीं होते । आवे (आवे ) 1/1 अत आ मिपि वा 7/30 अत आ मिपि वा { (अतः) + (आ) } मिपि वा अतः (अत्) 5/1 आ (आ) 1 / 1 मिपि (मिप्) 7/1 वा = विकल्प से अकारान्त धातुओं से परे मिप् होने पर विकल्प से 'आ' (होता है)। वर्तमानकाल में अकारान्त धातुओं से परे मिप् ( उत्तमपुरुष एकवचन का प्रत्यय) होने पर विकल्प से अन्त्य अ का 'आ' होता है। ( हस + मि) = हसमि, हसामि ( उत्तमपुरुष एकवचन ) इच्च बहुषु 7/31 इच्च बहुषु { (इत्) + (च) } बहुषु इत् (इत्) 1 / 1 च = और बहुषु (बहु) 7/3 बहुवचन में इत् → 'ई' और (आ होते हैं)। Jain Education International वररुचि - प्राकृतप्रकाश (भाग - 2) For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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