Book Title: Varruchi Prakrit Prakash Part 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 30
________________ णिचः (णिच्) 6/1 एत् (एत्) 1/1 आदेः (आदि) 6/1 अतः (अत्) 6/1 आत् (आत्) 1/1 णिच् के स्थान पर एत्→ 'ए' (होता है) (और) (धातु के) आदि 'अ' के स्थान पर आत्→ ‘आ' (होता है।) णिच् (प्रेरणार्थक प्रत्यय) के स्थान पर 'ए' आदेश होता है और साथ ही धातु के आदि (अथवा पूर्व) 'अ' के स्थान पर 'आ' होता है। (हस + ए) = हासे (प्रेरणार्थक रूप) इसमें कालबोधक, पुरुषबोधक व वचनबोधक प्रत्यय लग जाएँगे। जैसे - वर्तमानकाल में हासेइ, हासेहि, हासेमि आदि रूप बनेंगे। 27. आवे च 7/27 आवे (आवे) 1/1 च = और और ‘आवे' (भी होता है)। . और णिच् (प्रेरणार्थक प्रत्यय) के स्थान पर ‘आवे' (भी होता है)। (हस + आवे) = हसावे (प्रेरणार्थक रूप) इसमें कालबोधक, पुरुषबोधक व वचनबोधक प्रत्यय लग जाएँगे। जैसे :- वर्तमानकाल में हसावेइ, हसावेहि, हसावेमि आदि रूप . बनेंगे। 28. आविः क्तकर्मभावेषु वा 7/28 आविः (आवि) 1/1 {(क्त) - (कर्म) - (भाव) 7/3} वा = विकल्प से क्त, कर्म, भाव (के प्रत्यय) परे होने पर विकल्प से 'आवि' (होता है)। धातु के पश्चात् क्त:त→अ (भूतकालिक कृदन्त का प्रत्यय), कर्मवाच्य और भाववाच्य के प्रत्यय परे होने पर प्रेरणार्थक प्रत्यय के स्थान पर . विकल्प से 'आवि' होता है। प्रेरणार्थक भूतकालिक कृदन्त (हस + आवि + अ) = हसाविअ वररुचि-प्राकृतप्रकाश (भाग - 2) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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