Book Title: Varruchi Prakrit Prakash Part 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 34
________________ 35. 37. शौरसेनी सूत्र 36. क्त्व इअ: 12/9 38. क्त्व ऊण: 4/23 क्त्व ऊणः { (क्त्वः) + (ऊणः) } क्त्वः (deal) 6/1 क्त्वा के स्थान पर 'ऊण' (होता है ) । क्त्वा (संबंधक कृदन्त के प्रत्यय) के स्थान पर 'ऊण' होता है। हसिऊण / हसेऊण (संबंधक कृदन्त ) (सूत्र 7/33 से अकारान्त क्रिया के अन्त्य अ का इ और ए हुआ है) वररुचि-1 क्त्व इअः { ( क्त्वः) + (इअ ) } क्व: ( क्त्वा ) 6/1 इअः (इअ) 1/1 क्त्वा के स्थान पर 'इअ' (होता है ) । क्त्वा (संबंधक कृदन्त के प्रत्यय) के स्थान पर 'इअ' होता है। हंसिअ (संबंधक कृदन्त ) तिपात्थि 12/20 तिपा (तिप्) 3/1 त्थि (त्थि) 1/1 तिप् सहित 'त्थि' (होता है ) । अस धातु को तिप् (अन्य पुरुष एकवचन का प्रत्यय) सहित 'त्थि' आदेश होता है। (अस + तिप्) ऊणः (ऊण) 1/1 = शेषं महाराष्ट्रीवत् 12 / 32 शेषं महाराष्ट्रीवत् { (शेषम् ) + (महाराष्ट्रीवत् ) } = महाराष्ट्री की तरह शेषम् (शेष) 2 / 1 महाराष्ट्रीवत् शेष रूपों को महाराष्ट्री की तरह ( समझना चाहिए ) । शेष रूपों को महाराष्ट्री की तरह समझना चाहिए। - प्राकृतप्रकाश (भाग Jain Education International अत्थि (वर्तमानकाल, अन्यपुरुष, एकवचन) - 2) For Personal & Private Use Only 25 www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62