Book Title: Varruchi Prakrit Prakash Part 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Seema Dhingara
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 23
________________ 17. काहं (का) 1 / 1 दाहं (दाहं) 1 / 1 सोच्छं ( सोच्छं) 1 / 1 वोच्छं (वोच्छं) 1/1 गच्छं (गच्छं ) 1/1 रोच्छं (रोच्छं) 1/1 दच्छं (दच्छं) 1/1 वेच्छं (वेच्छं ) 1/1 14 कृ, दा. श्रु, वचि वच्, गमि गम्, रुदि रुद् दृशिदृश, विदि विद् के रूपों के स्थान पर काहं, दाहं, सोच्छं, वोच्छं, गच्छं, दच्छं, वेच्छं ( आदेश होते हैं) । कृ, दा, श्रु, वचि वच्, गमि गम्, रुदि रुद् दृशि दृश्, विदि विद् के ( उत्तमपुरुष एकवचन के) रूपों के स्थान पर ( क्रमशः) 'काह', 'दाहं', 'सोच्छं', 'वोच्छं', 'रोच्छं', 'दच्छं', 'वेच्छं ' आदेश होते हैं। कृ काहं, दादाहं, श्रु सोच्छं, वच् वोच्छं, गम् गच्छं, रुद्रोच्छं, दृशदच्छं, विद्वेच्छं (भविष्यत्काल, उत्तमपुरुष, एकवचन ) श्रवादीनां त्रिष्वनुस्वारवर्जं हिलोपश्च वा 7/17 { (श्रु) + (आदीनाम्) + (त्रिषु) + (अनुस्वार) + (वर्जं) }. { (हि) + (लोपः) + (च) } वा { (श्रु) - (आदि) 6 / 3 } त्रिषु (त्रि) 7/3 { (अनुस्वार) - (वर्जं = सिवाय या रहित ) }1 { (हि) - ( लोपः) 1 / 1 } च = और विकल्प से वा = श्रु आदि (धातुओं) के तीनों पुरुषों में अनुस्वार रहित (आदेश होता है) और विकल्प से हि का लोप (होता है)। श्रु आदि (श्रु, वचि, गमि, रुदि और दृश इन पाँच धातुओं) के तीनों पुरुषों में अनुस्वार रहित (आदेश होता है) और विकल्प से हि का लोप होता है)। 1. समास के अन्त में वर्जं 'सिवाय' के अर्थ में प्रयुक्त होता है । देखें - संस्कृत हिन्दी कोश, वामन शिवराम आप्टे । Jain Education International वररुचि-प्राकृतप्रकाश (भाग - 2) For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62