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पृष्ठ सं० 1. इंसान के लिए भगवान का कानून।
भवनों के नक्शे (वास्तु दोष व समाधान सहित) 2. सूर्य/कम्पास द्वारा दिशाएँ देखने की विधि।
एक तरफ सड़क
दिशा 3. भवन में मंदिर का स्थान।
पूर्व फेसिंग भवन
74-83 4. वास्तु के अनुसार भूमि का उपयोग।
उत्तर फेसिंग भवन
84-93 5. प्लॉट में दिशाओं का विभाजन।
दक्षिण फेसिंग भवन
94-103 6. ब्रह्मस्थान व मुख्य ब्रह्मस्थान का निर्धारण।
पश्चिम फेसिंग भवन
104-113 7. भवन/बेडरूम के आकार का प्रभाव।
विदिशा 8. भवन/बेडरूम में सदस्यों का स्थान।
नार्थ-ईस्ट फेसिंग भवन
114-123 . प्लॉट में निर्माण शुरू करने की विधि।
नार्थ-वेस्ट फेसिंग भवन
124-133 10. वास्तु के अनुसार भवन के निर्माण की विधि।
साउथ-ईस्ट फेसिंग भवन
134-143
साउथ-वेस्ट फेसिंग भवन 11. कम्पाउन्ड वॉल।
144-153 12. कम्पाउन्ड वॉल के अंदर निर्माण के प्रभाव।
दो तरफ सड़क 13. बोरिंग व अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक।
दिशा 14. दरवाजे।
पूर्व और उत्तर फेसिंग भवन
154-163 15. दरवाजे के साथ सीढ़ी व मुमटी का निर्माण।
पूर्व और पश्चिम फेसिंग भवन
164-173 उत्तर और दक्षिण फेसिंग भवन
174-185 16. दरवाजों की चाल (क्रम) का प्रभाव।
उत्तर और पश्चिम फेसिंग भवन
186-195 17. सीढ़ी व मुमटी।
दक्षिण और पश्चिम फेसिंग भवन
196-205 18. रसोई का स्थान।
दक्षिण और पूर्व फेसिंग भवन
206-215 19. टॉयलेट का स्थान। 20. सेप्टिक टैंक।
विदिशा
साउथ-ईस्ट और नार्थ-वेस्ट फेसिंग भवन 216-225 21. फर्श का लेबल/पानी का निकास।
नार्थ-ईस्ट और साउथ-ईस्ट फेसिंग भवन 226-235 22. फर्श का सड़क से लेबल।
नार्थ-ईस्ट और साउथ-वेस्ट फेसिंग भवन 236-246 23. बेसमेंट के प्रभाव।
नार्थ-वेस्ट और साउथ-वेस्ट फेसिंग भवन 247-256 24. टाँड, परछत्ति व अलमारी।
साउथ-ईस्ट और नार्थ-वेस्ट फेसिंग भवन 257-266
साउथ-वेस्ट और साउथ-ईस्ट फेसिंग भवन 267-276 25. डूप्लेक्स हाउस/मेजानाईन फ्लोर। 26. डक्ट/शॉफ्ट/खुला स्थान के प्रभाव।
तीन तरफ सड़क 27. कोना कटना/बढ़ना जानने की विधि।
दिशा 28. भवन/कमरे में बॉलकनी के प्रभाव।
पूर्व , पश्चिम और उत्तर फेसिंग भवन
277-286 29. बहुमंजिला भवन में बालॅकनी के प्रभाव।
पूर्व , पश्चिम और दक्षिण फेसिंग भवन
287-296 उत्तर , दक्षिण और पूर्व फेसिंग भवन
297-306 30. बॉलकनी के निर्माण की विधि।
उत्तर , दक्षिण और पश्चिम फेसिंग भवन 307-317 31. बिजली का तार (वॉयर)/रस्सी के प्रभाव। 32. भूमि/निर्माण/कमरे में कोना कटना व बढ़ना।
विदिशा 33. छत की स्लैब के निर्माण की विधि।
साउथ-ईस्ट , नार्थ वेस्ट और नार्थ ईस्ट फेसिंग भवन 318-330
साउथ-ईस्ट , नार्थ-वेस्ट और साउथ-वेस्ट फेसिंग भवन 331-340 34. छत का कोई एक भाग नीचा होना।
नार्थ ईस्ट , साउथ वेस्ट और साउथ-ईस्ट फेसिंग भवन 341-350 35. छत का कोई एक भाग ऊँचा होना/ओवरहेड वॉटर टैंक।
नार्थ ईस्ट , साउथ वेस्ट और नार्थ वेस्ट फेसिंग भवन 351-360 36. छत पर निर्माण। 37. छत का आकार। 38. छत पर निर्माण से नीचे की मंजिल के कमरों पर प्रभाव। 39. भवन/बेडरूम के कोने में निर्माण/गढ़ढ़े के प्रभाव । 40. पैराफिट वॉल/रैलिंग। 41. छत पर झण्डा/एंटीना/खम्भे का प्रभाव। 42. भवन/कमरे में सड़क/गैलरी की टक्कर ।
द्वारकाधीश-वास्तु ( भवन निर्माण ) 43. आस-पड़ोस के भवनों/कमरों में बेसमेंट/गढ्ढ़े का प्रभाव।
द्वारकाधीश धार्मिक समिति, 44. आस-पड़ोस के भवनों/कमरों का प्रभाव।
ई-मेल : dwarkadheeshvastu@gmail.com 45. बहुमंजिली इमारत में फ्लैटों पर प्रभाव।
वेबसाईट : www.dwarkadheeshvastu.com 46. भवन/बेडरूम के आस-पास ऊँचा/नीचा होने का प्रभाव।। संस्करण : प्रथम-2010 47. भवन/बेडरूम में संतानों का स्थान।
लेखन, डिजाईन एण्ड सेटिंग : अंकित मिश्रा 48. सूर्य की स्थिति समय के अनुसार देखकर भवन में
फोन : 08010381364 वास्तु दोषों के प्रभाव जानने की विधि
ई-मेल : ankit_mishratilhar@rediffmail.com