Book Title: Vaastu Principles Hindi
Author(s): Ankit Mishra
Publisher: Ankit Mishra

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Page 19
________________ संगीत व वास्तु पुस्तक ( PDF ) मुफ्त डाउनलोड करें 9 देखें www.dwarkadheeshvatu.com प्रकृति ने भवन / बेडरूम में प्रत्येक व्यक्ति का स्थान निर्धारित किया हुआ है। भवन भवन / बेडरूम में सदस्यों का स्थान उस स्थान से सम्बन्धित व्यक्ति पर इसका आंशिक या गम्भीर प्रभाव पड़ता है । के किसी भी तरफ सड़क हो, भवन / बेडरूम के इन स्थानों में वास्तु दोष होने पर उत्तर भाग का सम्बन्ध धन, महिलाओं के स्वास्थ्य, मान-सम्मान और स्वभाव से होता है। W दिशा प्लॉट North west N South West North West Center East South S नार्थ-ईस्ट भाग का सम्बन्ध धन, पूरे परिवार की सुख-शान्ति, विदिशा प्लॉट पहली/चौथी / आठवीं संतान और घर के कमाने वाले सदस्य से होता है। North East South East E नार्थ-वेस्ट भाग का सम्बन्ध सुख-शान्ति, प्रशासनिक कार्यों, महिलाओं व तीसरी / सातवीं संतान से होता है। - पूर्व भाग का सम्बन्ध पुरूषों के स्वास्थ्य मान-सम्मान व स्वभाव से होता है। ब्रह्मस्थान का सम्बन्ध पूरे परिवार से है । साउथ-वेस्ट भाग का सम्बन्ध घर के मुखिया व -पहली / पाँचवी संतान से होता है। प्लॉट में निर्माण शुरू करने की विधि 1. प्लॉट चाहें दिशा हो या विदिशा, नींव की खुदाई नार्थ-ईस्ट से शुरू करते हुए नार्थ-वेस्ट व साउथ-ईस्ट तक साथ - साथ (समान्तर ) लाएँ, फिर नार्थ-वेस्ट और साउथ-ईस्ट से शुरू करते हुए साउथ-वेस्ट तक साथ-साथ लाकर पूर्ण करें। चित्र 1 व 2 देखें : 3. नींव भराई का काम साउथ-वेस्ट से शुरू करते हुए नार्थ-वेस्ट व साउथ-ईस्ट तक साथ-साथ (समान्तर) लाएं। फिर नार्थ-वेस्ट व साउथ-ईस्ट से शुरू करते हुए नार्थ-ईस्ट तक साथ-साथ लाकर पूर्ण करें। चित्र 3 व 4 देखें : 2. भूमि पूजन नार्थ-ईस्ट में ही करना चाहिए। इसके बाद पूर्व, नार्थ-ईस्ट या उत्तर में अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक, कुआँ या बोरिंग बना सकते हैं। ध्यान रहे कि भवन बनने के SW बाद मंदिर का स्थान साउथ-वेस्ट में ही हो । 4. दीवारें बनाते समय नींव की भराई वाला ही क्रम रखें। रोजाना शाम को ध्यान रखें कि दिनभर का कार्य पूरा होने के बाद पूर्व, उत्तर व नार्थ-ईस्ट की दीवारों की ऊँचाई व मोटाई कभी भी दक्षिण, पश्चिम व साउथ-वेस्ट की दीवारों से ज्यादा न हो। NW 6. सामग्री (सीमेंट, ईंट, पत्थर, लोहा, टाइल्स मिट्टी, रेत इत्यादि) को प्लॉट के दक्षिण पश्चिम या साउथ-वेस्ट में ही रखें। ध्यान रहे कि पूर्व उत्तर, नार्थ-ईस्ट, साउथ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट में कोई भी सामग्री न रखें। संभव हो तो सामग्री सड़क के दूसरी तरफ ही डालें। अपने प्लॉट के सम्मुख न रखें। W 7. भवन / बेडरूम में फर्श का ढ़ाल बनाते समय यह ध्यान रखें कि साउथ-वेस्ट में फर्श का ढ़ाल सबसे ऊँचा, साउथ-ईस्ट में साउथ-वेस्ट से नीचा, नार्थ-वेस्ट में साउथ-ईस्ट से नीचा व नार्थ-ईस्ट में सबसे नीचा रहना चाहिए। उदाहरण के लिए यदि साउथ-वेस्ट का तल 1 फीट ऊँचा है तो साउथ-ईस्ट 10 इंच, नार्थ-वेस्ट 8 इंच व नार्थ-ईस्ट का तल 6 इंच पर रख सकते हैं । दक्षिण भाग का सम्बन्ध धन, महिलाओं के स्वास्थ्य, मान-सम्मान और स्वभाव से होता है। - पश्चिम भाग का सम्बन्ध पुरूषों के स्वास्थ्य, मान-सम्मान व स्वभाव से साउथ-ईस्ट भाग का सम्बन्ध सुख-शान्ति, प्रशासनिक कार्यों, महिलाओं व दूसरी / छठी संतान से होता है । नींव की खुदाई का क्रम N NE NE NW W NW W चित्र 1 दिशा प्लॉट SW चित्र 3 दिशा प्लॉट N W 8 इंच दिशा प्लॉट N S E 6 इंच North North West 1 10 फीट इंच West SE W S SW नींव की भराई का क्रम N NE NE E SE NE NW E N SE NW फर्श के तल का क्रम North East SW S W SW S 5. भवन के आँगन, बरामदा, प्रत्येक कमरे आदि के फर्श का लेवल इस प्रकार रखें कि साफ-सफाई करने के दौरान बहने वाला पानी दक्षिण, पश्चिम या साउथ-वेस्ट से उत्तर, पूर्व या नार्थ-ईस्ट की ओर ही बहे। फर्श का ढ़ाल शून्य भी रख सकते हैं । किन्तु यह ध्यान रहे कि ढ़ाल किसी भी हाल में दक्षिण, पश्चिम या साउथ-वेस्ट की तरफ नहीं होना चाहिए । Center South West N NW चित्र 2 विदिशा प्लॉट चित्र 4 विदिशा प्लॉट East South East South 8 इंच विदिशा प्लॉट 1 फीट W NE 6 इंच SW S E SE S E SE E SE S

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