Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 05 Author(s): Sudharmaswami, Lakshmivallabh Gani Publisher: Shravak Hiralal Hansraj View full book textPage 3
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ श्रीजिनाय नमः ॥ 4- उत्तराध्ययन सूत्रम् ॥ श्रीमदुत्तराध्ययनसूत्रम् ॥ ( भाग ५) भाषांतर अध्य०१९ ११०५॥ (मूलकर्ता-श्रीसुधर्मास्वामी टीकाकार--श्रीलक्ष्मीवल्लभगणी) (मूल, मूलार्थ, टीका अने टीकाना भापान्तर. सहित ) ॥ अथैकोनविंशतितममध्ययनं प्रारभ्यते ॥ अष्टादशेऽध्ययने भोगर्टानां त्याग उक्तः, भोगड़ियागारमाधुत्वं स्यात्, नत्माधुवं घप्रतिकमतया स्यात् तत् एकोनविंशतितमेऽध्ययने निःप्रतिकर्मतां मृगापुनदृष्टांतेन कथयति अथ उत्तराध्ययननु मृगापुत्री नामर्नु ओगणीशमुं अध्ययन-अढारमा अध्ययनमा भोग तथा ऋद्धिनो त्याग कयो केयके भोगादिनो त्याग कर्याथी साधुत्व थाय, ते साधुत्व पण अप्रतिकर्म पणाथी थाय तेथी आ ओगणीशमां अध्ययनमा निःपतिकर्मता 241:44. For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 254