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राजा - मंत्री की तरफ से तुझे क्या मिलता है? मालिन - कभी किसी पर्वोत्सव के समय अच्छा इनाम मिल जाया करता है। राजा - जिनमन्दिरों से क्या मिलता है? मालिन - कोई अच्छा गृहस्थ जिनपूजा के लिए यदि मुझसे पुष्प लेता है तो वह मुझे इनाम दे जाता है। राजा - तूं उत्तमकुमार को पहिचानती है? मालिन -(मन में कुछ सोच कर ) नहीं; मैं उसे नहीं जानती। राजा - कोई राजकुमार हमारा जंवाई है और वह इस दरबार में रहता है, यह बात | तुझे मालूम है? मालिन - हाँ, मैं राजकुमारी तिलोत्तमा के महलों में जब फूल देने जाती हूँ, तब वहाँ कई बार उन्हें देखती हूँ। राजा - उनका नाम क्या है यह तुझे मालूम नहीं? मालिन - उनके नाम का मुझे पता नहीं है। राजा - वह कभी जिनपूजा करने के लिए जिनालय में आते हैं या नहीं? मालिन - यह बात भी मुझे मालूम नहीं। राजा - तूं उन्हें देखकर पहिचान भी सकती है या नहीं? मालिन - हाँ,
यह सुनकर राजा ने उत्तमकुमार को बुला लाने के लिए एक नौकर भेजा। | वह नौकर दौड़ा हुआ गया और उत्तमकुमार को बुला लाया । राजा ने उसे आदर पूर्वक अपने पास आसन पर बिठाया । कुमार की ओर संकेत कर राजा ने मालिन से पूछा - "क्यों बाई ! इनको तूं पहिचानती है?" मालिन - हाँ, पहिचानती हूँ, यह तिलोत्तमा बाई के पति देव हैं।" राजा - ये कभी जिनालय में पूजा करने गये थे ? मालिन - यह मुझे नहीं मालूम। राजा - तूने कभी जिनपूजा के लिए इन्हें पुष्प दिये हैं ?
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