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को प्रयत्न करना चाहिए।
प्रिय पाठक वृन्द ! इस ज्ञानप्रद चरित्र से आपको जो अच्छा लगे वही ग्रहण करें । इस सांसारिक दुःख को त्यागकर, सर्वदा प्रसन्नता धारण करें ।
आप इस संसार के समस्त उत्तम पदार्थ एवं सद्गुणों को प्राप्त करने के अधिकारी हैं । योग्यता, अधिकार, जो भी कहा जाय वह आप ही में हैं । क्योंकि मनुष्य जन्म चिन्तामणि रत्न के समान है, अतः आप भी चिन्तामणि रत्न के समान हैं । जिन गुणों को प्राप्त करने के लिए आप यत्न करोगे उन गुणों को प्राप्त करने का पूर्ण सामर्थ्य आप ही में है। ___यह संसार दुःखमय है, इसे त्याग करने की सामर्थ्य शक्ति आप में हो तो संयम को ग्रहण करें । किन्तु कदाच आप में वैसी शक्ति न हो तो उस दुःखमय संसार को सुखमय बनाने का प्रयत्न करें । यदि इस प्रकार प्रयत्न करना हो तो उसका मुख्य साधन ऐसी-ऐसी सत् पुस्तकों का पठन और मनन है । इस प्रकार की पुस्तकों के वांचन और मनन से आप समाज में धर्म और नीति का प्रचार कर सकेंगे एवं दुःखमय संसार को सुखमय बना सकेंगे।
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