Book Title: Tulsi Prajna 2004 01
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 58
________________ अनुवाद इलेक्ट्रोड का कार्य है-पावर सप्लाई से कंरट को विरल गैस तक पहुंचाना। चूंकि उस पर लगातार इलक्ट्रोनों एवं आयनों की बमवर्षा होती रहती है, वह गरम हो जाता है। इसलिए उसकी संरचना ऐसी होनी जरूरी है जिससे वह गरमी को बर्दाश्त कर सके। इलेक्ट्रोड की धातु गरम होने पर रासायनिक दृष्टि से सक्रिय हो जाती है और ट्यूब में मौजूद गैसों और अशुद्धियों के साथ संयोग कर सकती है। इससे भी बड़ी कठिनाई है- चिटकने की क्रिया के कारण होती है। "स्पूटरिंग" यानी चिटकना तब घटित होता है जब भारी आयनों के टकराव के द्वारा इलेक्ट्रोड की धातु धीरे-धीरे क्षीण होती जाती है अर्थात् इलेक्ट्रोड की धातु के परमाणु चिटकते रहते हैं और शीशे की ट्यूब के अंदर जमा होते जाते हैं। यह प्रक्रिया अपने आप में कोई हानिकर नहीं होती, पर इससे धातु की जो परत ट्यूब के अन्त में भीतर में जमती है, उससे ट्यूब का अंतिम हिस्सा जो इलेक्ट्रोड के पास है, श्यामल होता है। (यह श्यामीकरण "चिटकने" से होता है।) आखिर में तो पूरा इलेक्ट्रोड ही इस प्रक्रिया के कारण क्षरण-ग्रस्त हो जाता है। किन्तु चूंकि सारी क्रियाएं बहुत ही मंद गति से चलती है, इलेक्ट्रोड अपनी सामान्य अवधि तक चला जाता है। फिर भी चिटकने की प्रक्रिया के साथ ही ट्यूब में विद्यमान गैस का दबाव कम होता जाता है जिससे आखिरकार ट्यूब लाइट काम करना बंद कर देती है। ( "ब्लेकनिंग" का कारण कार्बन जमा होना नहीं है।) चिटकने वाली इलेक्ट्रोड के धातु-कणों द्वारा ट्यूब में विद्यमान गैस को ग्रहण कर लेने पर ट्यूब में गैस का प्रेशर कम हो जाता है। कम हुए दबाव का अर्थ है- ट्यूब में गैस अणुगुच्छों की संख्या में कमी। इससे इलेक्ट्रोन और आयन आपस में टकराने या गैस अणुगुच्छ से टकराने से पूर्व लंबी दूरी तय कर लेते हैं । इलेक्ट्रोड पर प्रभाव लाने से पूर्व वे तीव्र गति या वेग प्राप्त कर लेते हैं। उच्च ऊर्जा के कारण इलेक्ट्रोड में ट्यूब के अंतिम छोर के पास गरमी की अच्छी मात्रा पैदा हो जाती है। आखिरकार इलेक्ट्रोड के चारों ओर का शीशा गरम हो जाएगा। यह क्रम तब तक चलेगा जब तक सापेक्ष शून्यावकाश गरम काच में चूस न लिया जाए। परिणामस्वरूप ट्यूब काम करना बंद कर देगी। (प्रारंभ के दिनों में यह कठिनाई बहुत ही आई।) वस्तुतः तो ट्यूब का लघु जीवन-काल चिटकने के कारण ही होता है। इसी के कारण ट्यूब लाइट के व्यापार में प्रारम्भ में बड़ी कठिनाइयां आईं। - टिप्पणी : 115. WWW.Strattman.com/articles/luminous tubes. html.— “The Luminous Tube” An illuminating description of how neon signs operate.” By Wayne Strattman, Page 1. तुलसी प्रज्ञा जनवरी-मार्च, 2004 3 53 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114