Book Title: Tulsi Prajna 2004 01
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 56
________________ अनुवाद निओन बत्ती (light) वह है जो विज्ञापन संकेतों में काम ली जाती है। ये संकेत बत्तियां लंबी, संकरी शीशे की नलिकाओं से बनती हैं। इन नलिकाओं को विभिन्न आकारों में मोड़ा जाता है। उन्हें किसी अक्षर - विशेष की दृष्टि से आकार दिया जा सकता है। इसमें भिन्न-भिन्न रंग की रोशनी उत्सर्जित होती है। ट्यूब लाइट या फ्लोरेसेंट लाइट अधिकाशतः लंबी, सीधी नलिका से बनाई जाती है जिसमें सफेद रोशनी निकलती है। आफिसों, दुकानों या घरों में इन फ्लोरेसेंट लाइटों का प्रयोग किया जाता है। निओन बत्ती का सिद्धान्त बहुत ही सरल है। उसमें ट्यूब के अंदर निओन, आर्गन या क्रिप्टोन जैसी गैस कम दबाव पर भरी जाती है । (ऑक्सीजन नहीं होता । ) ट्यूब के दोनों छोर पर धातु के इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं। जब इलेक्ट्रोड्स पर उच्च वाल्टेज लगाया जाता है, तब निओन गैस के परमाणुओं का " आयनीकरण" होता है और इलेक्ट्रोन का प्रवाह गैस में से गुजरता है । ये इलक्ट्रोन निओन के परमाणुओं को उत्तेजित कर देते हैं और उसके फलस्वरूप वे रोशनी (प्रकाश) के रूप में ऊर्जा का विकिरण करते हैं जिसे हम देख सकते हैं । निओन गैस के परमाणु लाल किरणों का उत्सर्जन करते हैं । दूसरी गैसें दूसरे रंगों का विकिरण उत्सर्जित करते हैं । फ्लोरेसेंट लाईटें (ट्यूब लाइटें ) भी इसी प्रकार के सिद्धान्त पर कार्य करती है, किन्तु इसमें एक चरण और अधिक है। ट्यूब लाइट के अंदर कम दबाव पर मर्कुरी वेपर (पारे की वाष्प) भर दी जाती है। जब इसका आयनीकरण होता है, तब यह अल्ट्रा-वायलेट (पराबैंगनी विकिरणों का उत्सर्जन करती हैं । हमारी आंखें इन्हें देख नहीं सकती। (हां, हमारी चमड़ी इसके प्रति संवेदनशील होती है।) इसलिए ट्यूब लाइट के अंदर दीवार पर "फोस्फर' (स्फुरदीसि) यानी रोशनी का स्फुरण करने की क्षमता वाले पदार्थ का लेप लगा हुआ रहता है । इस पर अल्ट्रा-वायलेट किरणें गिरने से यह फोस्फर पदार्थ दृश्य रोशनी के रूप में प्रकाश-किरणों का उत्सर्जन करता है । फोस्फर पदार्थ का तात्पर्य है वह पदार्थ जो एक रूप ऊर्जा को ग्रहण करता है। (जैसे- तेज गति वाले इलक्ट्रोन की ऊर्जा को टी.वी. ट्यूब में ग्रहण किया जाता है ।) और दृश्य प्रकाश की तरंगों के रूप में उसी ऊर्जा को विसर्जन कर देता है । फ्लोरेसेंट लाइट या ट्यूब लाइट में फोस्फोर पदार्थ अल्ट्रा-वायलेट फोटोनों (प्रकाशाणु) की ऊर्जा को ग्रहण करता है और दृश्य फोटोनों (प्रकाशाणु) का उत्सर्जन करता है । (इसमें कहीं भी कार्बन, ऑक्सीजन आदि नहीं होते । ) इस प्रकार ट्यूब लाइट से आने वाली रोशनी जो हम देख रहे हैं वह फोस्फर तुलसी प्रज्ञा जनवरी-मार्च, 2004 Jain Education International For Private & Personal Use Only 51 www.jainelibrary.org

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