Book Title: Tulsi Prajna 2004 01
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 76
________________ को भी मान्य नहीं है। तब फिर 'बल्ब में शून्यावकाश होने से वायु नहीं है और वायु नहीं होने से अग्नि उत्पन्न नहीं हो सकती' ऐसा कैसे कहा जा सकता है? स्वीच ओन करने के बाद बल्ब में इलेक्ट्रीसीटी का प्रवेश तथा प्रकाश की उत्पत्ति साइन्स को भी मान्य है और यह बात अनुभव सिद्ध भी है। तब फिर तुल्य युक्ति से बल्ब में आवश्यक वायु का प्रवेश मानने में क्या एतराज हो सकता है? तथा विद्युत् प्रकाश को सजीव मानने में आगम-विरोध भी किस प्रकार से आ सकता है ? क्योंकि उसके लक्षण वहां देखने को मिलते ही हैं। अत्यन्त तपे हुए लोहे के गोले के मध्य भाग में वायु का अस्तित्व शास्त्र मान्य ही है।' उत्तर-बल्ब के विषय में हमने विस्तार से पूर्व भाग के नवें प्रभाग में चर्चा की है। उसी के सन्दर्भ में प्रस्तुत प्रश्न को समझना होगा 1. जैसे प्रश्न में ही स्पष्ट लिखा है-"यदि ऐसा नहीं किया जाए तो वह तार वास्तविक रूप से तुरंत जल जाएगा।" इससे स्पष्ट होता है कि ऑक्सीजन नामक वायु को बल्ब से हटाना जरूरी है। एब्सोल्युट वेक्यूम भले न हो पर ऑक्सीजन को तो बल्ब में से हटाए बिना तार का कंबश्चन होने की संभावना रहती है जिसे "आक्सीडेशन" कहा जाता है। (यहाँ आक्सीडेशन का यही अर्थ है, डी-इलेक्ट्रोशेन का तात्पर्य नहीं है।) इसलिए यह मानना कि "थोड़ा ऑक्सीजन अंदर रह जाता है या प्रवेश कर लेता है" बिल्कुल गलत है। बल्ब बनाने वाली कम्पनी यह सुनिश्चित करके ही बल्ब का मेनूफेक्चर करती है कि उसमें ऑक्सीजन का अंश मात्र भी न रहे। 2. निष्क्रिय वायु भरे हुए बल्ब में शून्य (निर्वात) है पर वायु की निष्क्रियता के कारण अग्नि पैदा हो नहीं सकती। 3. मूल प्रश्न यह नहीं है कि बल्ब में एब्सोल्युट वेक्युम है या नहीं? मूल प्रश्न यही है कि जो फिलामेंट प्रकाश देता है, वह क्या अग्नि के रूप में प्रकाश देता है? क्या वहाँ ऑक्सीजन है? उपर्युक्त उदाहरण से स्पष्ट हो रहा है कि प्रश्नकर्ता ने स्वयं यह तो स्वीकार कर लिया है कि निष्क्रिय वायु में अग्नि की क्रिया नहीं हो सकती फिर भी अपनी पूर्व धारणा को ही मानते हुए किसी भी तरह उसमें "ऑक्सीजन" का प्रवेश सिद्ध करना चाहते हैं जो न वैधानिक दृष्टि से संभव है, न ही जैन दृष्टि से। निष्कर्षतः कहा जा सकता है- बल्ब में पूर्ण शून्यावकाश संभव नहीं है। इसीलिए उसमें विद्यमान ऑक्सीजन आक्सीडेशन द्वारा अग्नि उत्पन्न कर सकता है। यह कहना गलत है। वेक्यूम का अर्थ निर्वात है, पदार्थ-शून्यता नहीं। यद्यपि पूर्ण शून्यावकाश करना संभव नहीं है, फिर भी यह कहना कि उसमें अवशिष्ट रूप में तुलसी प्रज्ञा जनवरी-मार्च, 2004 - - 71 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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