Book Title: Tulsi Prajna 2001 07
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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निर्देश आचार्य यशोविजय ने आध्यात्मोपनिषद् में किया है। हम प्रस्तुत आलेख का उपसंहार उन्हीं के शब्दों में करेंगे
चित्रमेकमनेकं च रूपं प्रामाणिक वदन् । योगोविशेषको वापि नानेकांतं प्रतिक्षिपेत् ॥ विज्ञानस्यमैकाकारं नानाकार करम्वितम् । इच्छंस्तथागतः प्राज्ञो नानेकांतं प्रतिक्षिपेत् ॥ जातिवाक्यात्मकं वस्तु वदन्ननुभवोचितम् । भाट्टो वा मुरारिर्वा नानेकांतं प्रतिक्षिपेत ॥ अबद्धं परमार्थेन बद्धं च व्यवहारतः । ब्रुवाणो ब्रह्मवेदान्ती नानेकान्तं प्रतिक्षिपेत् ॥ ब्रुवाण भिन्न-भिन्नार्थन् नयभेद व्यपेक्षया । प्रतिक्षिपेयुर्नो वेदाः स्याद्वादं सार्वतान्त्रिकं ॥
सन्दर्भ ग्रन्थ :
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नासदीयसूक्त 10/121
ऋग्वेद 1/164/46
नासदीय सूक्त 10/121/1 तैत्तिरीयोपनिषद् 2.7
छान्दोग्योपनिषद् 3/19/1
वही, 6:2:1, 3
बृहदारण्यकोपनिषद् 1: 4:1-4
वही, 2:4:12)
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10. तैत्तिरीयोपनिषद् 2:6
11. बृहदारण्यकोपनिषद् 3:8:8
12. तैत्तिरीयोपनिषद् 2:6
13. कठोपनिषद् 1: 20
14. उपनिषद् 3:12
15. श्वेताश्वतरोपनिषद् 1.7
16. ईशावास्य 6
छान्दोग्योपनिषद् 6:2:1,3
17. वही 10
18. वही 12
19. वही 9
20. वही 11
21. आश्वमेधिक, अनुगीता 35वां अध्ययन 17वां श्लोक
तुलसी प्रज्ञा जुलाई-दिसम्बर, 2001
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योगसूत्र, साधनापाद सूत्र 20
योगसूत्र विभूतिपाद 13 का भाष्य
योगसूत्र - समाधिपाद का सूत्र 7
विभूतिपाद, सूत्र 44
वैशेषिक सूत्र 1/2/5
वैशेषिक सूत्र 9/2/3
वैशेषिक सूत्र 9/9/4-5
न्यायसूत्र 1/1/41 के भाष्य
न्याय सूत्र 2/2/66 की टीका
न्यायसूत्र 4/1/48/50
मीमांसा श्लोक वार्तिक (21-23)
वही, श्लोक 75-80
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अभाव प्रकरण टीका
35.
ब्रह्मसूत्र शांकर भाष्य 2/2/4
36.
ब्रह्मसूत्र के तत्तु समन्वयात् 1 / 1/4 सूत्र की टीका
37.
वही 2/1/22 टीका पृ 164
38. विज्ञानामृत भाष्य, पृ. 111
39. वही पृष्ठ 63
40. ब्रह्मसूत्र का भाष्य पृ. 115
41.
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सूत्रकृतांग 1/1/4/22
मज्झिम निकाय 19
माध्यमिक कारिका 213
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35 ओसवालसेरी शाजापुर (म.प्र.) - 465001
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