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पड़ाव पर मंडराता रहता है। समता और सहिष्णुता से विषम पगडंडियों को पार किया जा सकता है। अन्याय और अत्याचार को सहना पाप है तो बड़े बुजुर्गों के आदेश निर्देशों को सहन न करना अभिशाप है। इन दोनों के बीच का एक नया रास्ता है— अनेकांत जो समन्वय के आधार पर सहन करने की भावना का विकास करता है। असहिष्णुता के युग में सहिष्णुता का दर्शन यदि जीवन में उतरे तो निश्चित रूप से व्यक्ति अपने जीवन में शांतसहवास का अनुभव करेगा तथा उसके व्यवहार में शांति का प्रतिबिम्ब झलकेगा। आग्रही मनोवृत्ति :
सामुदायिक जीवन में सामंजस्य का बहुत बड़ा विघ्न है— आग्रही मनोवृत्ति । समूह में अनेक प्रकार के व्यक्ति होते हैं कुछ विनम्र, समर्पित व अनाग्रही, तो कुछ उद्दण्ड, स्वेच्छाचारी व आग्रही । आग्रही मनोवृत्ति का मूल कारण है- व्यक्ति की अहं भावना । अहंप्रधान दृष्टिकोण के कारण व्यक्ति केवल अपनी ही पकड़ रखता है। दूसरों के चिन्तन, तर्क या विचार को सनने या समझने के लिए वह तैयार नहीं। मानव मन में छिपी इस अहं की चिनगारी ने अनेक
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