Book Title: Tulsi Prajna 2000 10
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ विनम्र निवेदन । भगवान् महावीर का 26सौवां जन्म कल्याणक दिवस राष्ट्रीय, अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अहिंसक चेतना जागरण की दृष्टि से एक महत्त्वपूर्ण प्रेरणा बनकर आ रहा है। यह एक अवसर है- पूरे जैन समाज में विचारक्रांति के साथ व्यक्तिक्राति आए और इसके लिए हर भक्त-हृदय स्वयं के प्रति समर्पित हो, जीवन को नई पहचान दे। वार्तमानिक समस्याओं का सटीक समाधान तलाशे । इस परिप्रेक्ष्य में तुलसी प्रज्ञा' भी अहिंसा और अनेकान्त से जुड़े भगवान् महावीर के जीवन-दर्शन को आप तक पहुंचा कर इस धर्मयज्ञ में स्वयं की सहभागिता देना चाहेगी। अतः सभी सुधि विद्वानों एवं लेखकों से निवेदन है कि अपने शोधपूर्ण मौलिक आलेख शीघ्र प्रेषित करें। सधन्यवाद, -सम्पादक पार्श्व स्तुति संदोह तुलसी प्रज्ञा का अभिनव विशेषांक भगवान पार्श्वनाथ श्रमण परम्परा के तेईसवें तीर्थंकर हैं। उनकी जितनी स्तुतियाँ, स्तवनाएँ उपलब्ध हैं, अन्य तीर्थंकरों की नहीं। 'तुलसी प्रज्ञा' का यह अंक भगवान पार्श्व की स्तुतियों, स्तवनाओं, स्तोत्रों, दोहों, श्लोकों एवं गीतिकाओं का अनूठा संकलन है।। संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी और लोक भाषा में निबद्ध यह पार्श्व स्तुति संदोह' स्तुति साहित्य की परम्परा का एक पुरुषार्थी प्रयत्न कहा जा सकता है। पार्श्व स्तुतियों का एक साथ इतना बड़ा संकलन-संयोजन अन्यत्र देखने में नहीं आया। इस दृष्टि से 'तुलसी प्रज्ञा' का यह |विशिष्ट विशेषांक हर जैन परिवार, संस्थान, मन्दिर एवं पुस्तकालयों के लिए संग्रहणीय | है। अतः पत्रिका के सदस्य पाठकों के अतिरिक्त इस पुस्तक को सब तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। इस अंक को प्राप्त किया और कराया जा सकता है• अपने अर्थ सौजन्य से निर्णीत विद्वानों को भेजने की व्यवस्था करके। पर्वो, त्यौहारों, उत्सवों, जन्म-विवाह तथा अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों में भेंट स्वरूप देकर। एक प्रति मूल्य 100/- रुपये मात्र, दस प्रतियों पर 35 प्रतिशत एवं पचास पुस्तकों से ज्यादा मँगवाने पर 40 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। पार्श्वनाथ स्तुति संदोह आप अवश्य पढ़ें एवं सबको पढ़ने की प्रेरणा दें। - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 128