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१३९. काठ की हांडी दूसरा कोनी चढ़े। १४०. काठ डुबै लोडा तिर। १४१. काणती भाभी छाछ घाल घालस्यूं दही सू सु प्यार । १४२. काणी को काजल भी कोनी सुहावै। १४३. काणी छोरी तनं कुण व्यावेगो ना मैं मेरे भाया ने खीलाऊंगी। १४४. काणू खोडो खायरो ऐ चाताणूं होय इणने जदहि छोडिय हाथे घसेलो होय १४५. कात्या जी का सूत जाया जी का पूत। १४६. कातिक की छांट बुरी बाणियां की नांट बुरी भाया की आंट बुरी। . १४७. काती कुती माह बिलाई फागण मर्द अर ब्याह लुगाई। १४८. काती सब साथी। १४९. कान में किटी क अंतर लगा स्यूं । १५०. काम करै कोई मौज उडावे कोई। १५१. काल कुसुम ना मरै बामण बकरी ऊंट बो मांग वा चरै बो सूखा चाबे ढूंठ १५२. काल मरी सासू आज आयो आंसू । १५३. कालै के कालो नहीं जामै तो कोड्रालो तो जरूर जाम । १५४. कालो आंक भैंस बराबर । १५५. कि में गुड गीलो कि मै बाणियो ढीलो। १५६. कृपण के दालिदर नही नही सूरां के सीस दाता रां के धन नही ना कायर
के रीस। १५७. किसन कर सो लीला म्हें बाजा लंगवाडा । १५८. कीडी सींचे तीतर खाय पापीको धन परलै जाय । १५९. कुत्ती क्यू धूस है के टुकड़े खातर । १६०. कुत्ते की पूंछ बारा वर्ष दबी रही पण जद निकली जद टेढी की टेढी । १६१. कुमाणस आयो भलो न जायो। १६२. कुल विना लाजना — बिना खाजना । १६३. कूण किसी के आवे दाणूं पाणी जावे । १६४. कूदिये ना कुवै खेलिये ना जुवै । १६५. कूदो पेड खजूर सू राम करै सो होय । १६६. के गीतडा के भीतडा। १६७. के तो फूहड चाल कोनी र चालं जद नो गांव की सीमा फाडै । १६८. के नागी धोवे र के नागी निचौवे । १६९. के फूंक सै पहाड उडे हैं । १७०. के बाड पर सोनू सूके है। १७१. के बेटी जेठ के सहारे जाई है। १७२. के मीयां मरगा के रोजा घटगा । १७३. के सौवे बंबी को सांप के सोवे जी के मांय न बाप । १७४. के जाग जै के घर में सांप के जागं बेटी को बाप । .
तुलसी प्रज्ञा
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