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पार कर रहे हैं। कार्यकारण भाव सिद्धान्तानुसार तो यदि विभवरोध की ऊर्जा (Energy) इलैक्ट्रोन की ऊर्जा से अधिक हो तो इलैक्ट्रोन उसे पार नहीं कर सकता । इसके विपरीत यदि इलैक्ट्रोन की ऊर्जा विभव की ऊर्जा से अधिक हो तो कार्यकारण भाव सिद्धान्तानुसार वह उस विभवरोध को अवश्य पार कर जाएगा। परन्तु क्वान्तम यान्त्रिकी के सिद्धान्तों के अनुसार स्थिति बिल्कुल भिन्न है इलैक्ट्रोन के विभव को पार करने की कुछ सम्भावना है। कण तरंगात्मक है एवं इसकी गतिस्थिति में अनिश्चितता है। प्रकाश की तरंगों की तरह इसका कुछ भाग परावर्तित या अपवर्तित (Reflected or Refracted) हो सकता है। विशेष बात यह है कि कण की ऊर्जा बढ़ाते जाने पर कुछ ऊजांओं के लिये अपवर्तित भाग कम होने लगते हैं ऊर्जा और अधिक बढ़ाने पर पुन: अपवर्तित भाग अधिक होने लगती है। यदि ऊर्जा और अधिक बढ़ाई जाय तो फिर घटने लगता है। यह तथ्य कार्यकारण-भाव सिद्धान्तानुसार असंगत है। २. अनुनादी प्रकीर्णन (Resonance Scattering) भी एक ऐसा ही
उदाहरण है जिसका प्राचीन यांत्रिकी में कोई उपमेय Analogous नहीं है। इस प्रकीर्णन में आपाती कण की ऊर्जा विशेष के लिये प्रकीर्णन कृत्तक्षेत्र (Scattering Cross Section) अनन्त हो जाता है और ऊर्जा बढ़ाते जाने पर घटता बढ़ता हुआ कार्यकारण भाव सिद्धान्त के विरुद्ध घटनाएं उपस्थित करता है। इसे इसी प्रकार समझिये जैसे कि किसी विशेष आवर्ताक (Frequency) के लिये रेडियो में आरम्भ में अनुनाद में होता है और Frequency बदलने पर यह स्थिति नहीं रहती। इसे बढ़ाते जाने
पर अन्य आवर्तीक के लिये पुनः अनुनाद होते रहते हैं। ३. प्रकीर्णन के अतिरिक्त विनिमेयता-जन्य विजनितता (Exchange degen
eracy) भी एक उदाहरण है, जो कि प्राचीन यान्त्रिकीय धारणाओं के विरुद्ध तथ्य उपस्थित करती है। यदि कोई कुलक (System)-कृत्व: विजनितता (n-fold-degeneracy) वाला है, तो यह कलक यौगपद्येन
n अवस्थाओं में विद्यमान है। यह तथ्य अर्थापत्ति-प्रमाण के निगमन के विरुद्ध है, परन्तु-कुलक के अवयव घटक कणों की एक रूपता के कारण यह स्थिति क्वान्तम यान्त्रिकीय धारणाओं में मान्य है। यदि किसी परमाणु में दो इलैक्ट्रोन (जैसे He') में भिन्न-भिन्न कक्षाओं में होंगे; तो कौन सा इलैक्ट्रान किस कक्षा में है ? इसका निर्णय सम्भव नहीं। क्वान्तम यान्त्रिकीय धारणाओं के अनुसार यह कुलक योगपद्येन दो स्थितियों में है। प्रथम स्थिति वह है जिसमें इलेक्ट्रोन नं. 1 कक्षा नं. 1, (1S) में है और इलैक्ट्रोन नं. 2 कक्षा नं. 2, (2S) में है यह स्थिति अवस्था (1S)1(2S) है। दूसरी स्थिति में प्रथम इलैक्ट्रोन (2S) कक्षा में है, और दूसरा इलैक्ट्रोन (1S) कक्षा में है यह अवस्था (1S) (2S)1 है । क्वान्तम यान्त्रिकी के अनुसार यह
खंड २२, अंक २
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