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७१९. हाथी आक की डाली के कोनी बंध । ७२०. हाथी का खाणा का दांत ओर होय है अर दिखावा का ओर है । ७२१. हाथी के खोज में सबका खोज समावै । ७२२. हाथी को गुर आंकस है । ७२३. हाथी नै हरया कुण कहै । ७२४. हाथी मरे तो भी नौ लाख को। ७२५. हारयो जुवारी दुणूं खेले । ७२६. हारयोड़ो ऊंट धर्मसाला कानी देखे । ७२७. हाल तो चावल का सा ही है । ७२८. हिया को आंधो गठड़ी को पुरो। ७२९. हिंजड़ा की कमाई मूंछ मुंडाई में । ७३०. हीजड़ा कीसी कतार लूंटी है। ७३१. हीरा की परख जोहरी ही जाणे । ७३२. हूणी ने नमस्कार है। ७३३. हेत कपट व्यवहार रहै न छानो । ६३४. हेत की भाण अण हेत को भाई । ७३५. होणी हो सो होय । नोट:-"औ", "अं", "अ" पर कोई कहावत नहीं है और डकार, अकार, ठकार,
णकार, यकार, शकार और षकार पर भी कोई कहावत संग्रह नहीं हुई है ।
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तुलसी प्रज्ञा
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