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६५६. सांप सलेटा सदाई देख्या इजगर बाबो अवके । ६५७ सापां के किसा साख । ६५८. सापां के डर गुगो ध्यावै। ६५९. सांस जब लग आस । ६६०. सैसीया के क्यांको दीवालो। ६६१. सांसी साह सरावगी श्रीमाल सुनार ये सस्सा पाचूं बुरा पहले करो विचार : ६६२. साठी बुध नाठी "सात बार नौ' त्यौहार । ६६३. सात मामा को भाणजो भूखो रैज्या । ६६४. साधवा के कसो सुवाद मावणदे मलाई सुदाई । ६६५. सांभर पड्यो सो लूण।। ६६६. सारी रामायण पढ़ली ! सीता कुण की भू। ६६७. साली छोड सासुआं सैई मस्करी । ६६८. साल बिना क्यां को सासरो। ६६९. सावण का पंचक गलै नदी बहता नीर । ६७० सावण की छा भूता नै काती छा पूतां नै । ६७१. सावण छाछ न घालती भर बैसाखां दूध गरज दिवानी गूजरी घर में मांदो
पूत । ६७२. सासरै को वास आपरे कुल को नाश । ६७३. सासरै खटावै कोनी. पीर में सुहावै कोनी । ६७४. सासू बोली-बीनणी ग्यारस करसी के टाबर हूं-सागार लेसोके इसीके अभागण
हूं सो सागार कोनी ल्यूं । ६७५. सासू मरगी कटगी बेड़ी भू चढ़गी हरकी पेडी। ६७६. सिकार की बखत कुतियां हंगाई । ६७७. सीर पर भीटको तम्बू में वडवादे । ६७८. शिव-शिव रटै संकट कटै । ६७९. सित को चनण घसरै लास्या तूं भी घस तेरा घर का नै बुलाल्या । ६८०. सीतला माता घोडो दिये मन्न कह मैं गधे पर चढ़ी हूं। ६८१. सीधी आंगतियां धी कोन्या नीकले । ६८२. सीध पर दो लदै । ६८३. सीर सगाई चाकरी खुशी दावे को काम । ६८४. सीली हो ! सपूती हो सात पूत की मां हो कह रहण दे तेरी आसीस ने नौ तो
पेला ही है। ६८५. सोली हो सपूती हो बूड़ सुहागण हो दूदां न्हावो पूतां फलो । ६८६, सुसरो वैद कुठोड़ खाई । ६८७. सूत्या की पाडा ही जणै । ६८८. सूदी छिपकली घणा जनावर खाय ।
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तुलसी प्रज्ञा
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