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५९१. रांड स्याणी तो होवे पण होवै खसम मरयां । ५९२. राई का भाव रात ही गया। ५९३. राजा के सोने का पागड़ा ? कह आज के दिन तो भला ई गुड़ का कराल्यो । ५९४. राड कर सो बोले आगे। ५९५. राड को घर हांसी रोग को घर खांसी । ५९६. रात चानणी बात आख्यां देखी मानणी । ५९७. रात बी खोई जगात भी दी। ५९८. राबड़ी भी कहै मन्न दातां से खावो। ५९९. राबड़ी मे राख रांध चुन चाट पीसती देखो रे फुहड़ रांड चाल पल्ला घीसती । ६००. रामजी को नाम सदा मिसरी जद चाखै जद गूंद गिरी। ६०१. राम दे तो बाड़ में ही दे दे। ६०२. रामदेव जी ने मिल्या जका ढेढ़ ही ढेढ़। ६०३. राम राम चौधरी सलाम मियांजी पगे लागू पांडियां दंडोत बाबाजी । ६०४. राम रूस्योडो बुरो।। ६०५. रावली घोडी बावला असबार । ६०६. रावल को तेल पल्ले मेई चोखो। ६०७. रूपिया तेरी रात दूजो नर जम्यो नहि जे जल्म्या दो च्यार तो जुग मे जीया
नहिं । ६०८. रिपियो हाथ को मेल है। ६०९. रेवड में कुण गयो ? बाबो ! कहना भेड्या से भी बुरो । ६१०. रोज में रोवण जोगो न गीत में गावण जोगो न । ६११. रोगी की रात अर भोगी के दिन करडो नीसर । ६१२. रोयां बिना मां 'बी' बोबो कोनी दे । ६१३. रोयां राबडी कुण घाल ।। ६१४. रोवतो जाय मुवै की खबर ल्यावै ।
६१५. लंका मे किसा दालदी कोनी वस । ६१६. लंका में सब बावन हाथ का (गज)। ६१७. लंघन से लापसी चोखी। ६१८. लज्जवंती घर मे बडी, फूड जाणो मेर से डरी । ६१९. लाखां पर लेखो, क्रोडां पर कलम । ६२०. लाग्यो तो तीर, नहिं तुक्को ही सही । ६२१. लाठी टूट न भांडो फूठ । ६२२. लाडू को कोर चाखे जठे ही मीठी । ६२३. लाडू फूटै जठे भोरा खिडै ही।
तुलसी प्रज्ञा
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