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तो मिली नां कह बोझा तो मरेगो। २७५. जाते चोर का झीटा ही चोखा । २७६. जावो लाख रहो साख । २७७. जिके गांव नहिं जाणूं धुं को गैलो ही क्यूं पूछणू । २७८. जीण का पडगां सुभावक जासी जीव सूं नीम न मीट्ठो होय शीसो गुड घीव सूं । २७९. जीकी खाई बाजरी उकी भरी हाजरी। २८.. जीको बाप बीजली से मरै वो कडक स के डर । २८१-२८२. जीव तडान हि दान मरयां नै पकवान --जीवत पिता की करी न सेवा
मरयां पाछै लाडू मेवा जीवत कीता की पूछी न बात मरयां पाछ चावल भात जीवत पिता के रह्यो न नेडो मरीया पाछ दीनों हेडो जीवित किता सू जंगम
जंगा मरै पिता पहुंचावै गंगा। २८३. जीवता लाख का, मरया सवा लाख का । २८४. जीवती माखी कोनी गिटी जाय । २८५. जूती चालेगी कतीक, कह बीमारी जाणिय । २८६. जे टूटा तो टोडा। २८७. जेठजी की पोल में जेठजी ही पोडे । २८८. जेठा वेटा र जेठा बाजरा राम दे तो पावे । २८९. जेवडी बलज्या पण बल कोनी जागे। २९०. जैकी टाट, जैकी मोगरी जीका सिर जिका जूता । २९१. जे धन दीखै जावतो, आधो दीजै बांट । २९२. ये बाणया तेरे पडगयो टोटो बडज्या घी का कोटा में खीर खांड का भोजन
कर ले यो भी टोटो टोटा में। २९३. ज्यादा लाड से टाबर बिगडै । २९४. ज्यूं ज्यूं बडो हुवै ज्यूं ज्यूं पत्थर पडै है। २९५. ज्वर जाचक अर पावणा चोथो मांगण हार लाघंण तीन करायदे कदै न
आसी द्वार। २९६. झखत विधा पचत खेती। २९७. झूठ बिना झगडो नहीं धूल बिना धडो नहीं । २९८. झूठ की के पीछाण, कैवो सोगन खाय ।
२९९. टका दाई लेगी उर कूडो फोडगी। ३००. टके की हांडी फूटी गंडक की जात पिछाणी। ३०१. टको टुसी एक न यार तोरण मारण होग्यो त्यार । ३०२. टक्को लाग्यो न पातडी, घर में भू दडक दे आवडी। ३०३. टांडो क्यूं हो ? कै सांड हां ! गोबर क्यूं करो ? के गउ का जाया हां ! ३०४. टाबर है पण बडा का कान कतरै ।
तुलसी प्रज्ञा
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